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CrPC Section 154: संज्ञेय मामलों में सूचना दिए जाने से संबंधित है सीआरपीसी की धारा 154

सीआरपीसी की धारा 154 (Section 154) में संज्ञेय अपराध के किए जाने से संबंधित प्रत्येक इत्तिला का प्रावधान किया गया है. आइए जानते हैं कि सीआरपीसी की धारा 154 इस बारे में क्या प्रावधान करती है?

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संज्ञेय मामलों में इत्तिला दिए जाने से जुड़ी है ये धारा
संज्ञेय मामलों में इत्तिला दिए जाने से जुड़ी है ये धारा
स्टोरी हाइलाइट्स
  • संज्ञेय मामलों में इत्तिला दिए जाने से जुड़ी है ये धारा
  • 1974 में लागू की गई थी सीआरपीसी
  • CrPC में कई बार हुए है संशोधन

Code of Criminal Procedure: दंड प्रक्रिया संहिता में कोर्ट और पुलिस (Police) से जुड़े कई अहम कानूनी प्रावधान मौजूद हैं. इसी तरह से सीआरपीसी की धारा 154 (Section 154) में संज्ञेय अपराध के किए जाने से संबंधित प्रत्येक इत्तिला का प्रावधान किया गया है. आइए जानते हैं कि सीआरपीसी की धारा 154 इस बारे में क्या प्रावधान करती है? 

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सीआरपीसी की धारा 154 (CrPC Section 154)
दंड प्रक्रिया संहिता (Code of Criminal Procedure 1973) की धारा 154 में संज्ञेय अपराध के किए जाने से संबंधित प्रत्येक सूचना के बारे में प्रावधान किया गया है. CrPC की धारा 154 के अनुसार-

(1) संज्ञेय अपराध के किए जाने से संबंधित प्रत्येक इत्तिला, यदि पुलिस थाने के भारसाधक अधिकारी को मौखिक दी गई है तो उसके द्वारा या उसके निदेशाधीन लेखबद्ध कर ली जाएगी और इत्तिला देने वाले को पढ़कर सुनाई जाएगी और प्रत्येक ऐसी इत्तिला पर, चाहे वह लिखित रूप में दी गई हो या पूर्वोक्त रूप में लेखबद्ध की गई हो, उस व्यक्ति द्वारा हस्ताक्षर किए जाएंगे जो उसे दे और उसका सार ऐसी पुस्तक में, जो उस अधिकारी द्वारा ऐसे रूप में रखी जाएगी जिसे राज्य सरकार इस निमित्त विहित करे, प्रविष्ट किया जाएगा:

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(2) उपधारा (1) के अधीन अभिलिखित इत्तिला की प्रतिलिपि, इत्तिला देने वाले को तत्काल निःशुल्क दी जाएगी.

(3) कोई व्यक्ति जो किसी पुलिस थाने के भारसाधक अधिकारी के उपधारा (1) में निर्दिष्ट इत्तिला को अभिलिखित करने से इनकार करने से व्यथित है, ऐसी इत्तिला का सार लिखित रूप में और डाक द्वारा संबद्ध पुलिस अधीक्षक को भेज सकता है जो, यदि उसका यह समाधान हो जाता है कि ऐसी इत्तिला से किसी संज्ञेय अपराध का किया जाना प्रकट होता है तो, या तो स्वयं मामले का अन्वेषण करेगा या अपने अधीनस्थ किसी पुलिस अधिकारी द्वारा इस संहिता द्वारा उपबंधित रीति में अन्वेषण किए जाने का निदेश देगा और उस अधिकारी को उस अपराध के संबंध में पुलिस थाने के भारसाधक अधिकारी की सभी शक्तियां होंगी.

इसे भी पढ़ें--- CrPC Section 153: बाटों और मापों का निरीक्षण करने से जुड़ी है सीआरपीसी की ये धारा 

क्या है दण्ड प्रक्रिया संहिता (CrPC)
दण्ड प्रक्रिया संहिता 1973 (Code of Criminal Procedure, 1973) भारत में आपराधिक कानून के क्रियान्यवन के लिये मुख्य कानून है. यह सन् 1973 में पारित हुआ था. इसे देश में 1 अप्रैल 1974 को लागू किया गया. दंड प्रक्रिया संहिता का संक्षिप्त नाम 'सीआरपीसी' है. सीआरपीसी (CRPC) अंग्रेजी का शब्द है. जिसकी फुल फॉर्म Code of Criminal Procedure (कोड ऑफ क्रिमिनल प्रोसिजर) होती है. इसे हिंदी में 'दंड प्रक्रिया संहिता' कहा जाता है. 

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CrPC में 37 अध्याय (Chapter) हैं, जिनके अधीन कुल 484 धाराएं (Sections) मौजूद हैं. जब कोई अपराध होता है, तो हमेशा दो प्रक्रियाएं होती हैं, एक तो पुलिस अपराध (Crime) की जांच करने में अपनाती है, जो पीड़ित (Victim) से संबंधित होती है और दूसरी प्रक्रिया आरोपी (Accused) के संबंध में होती है. सीआरपीसी (CrPC) में इन प्रक्रियाओं का ब्योरा दिया गया है. CrPC में अब तक कई बार संशोधन (Amendment) भी किए जा चुके हैं.

 

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