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CrPC Section 155: असंज्ञेय मामलों की जानकारी और जांच से जुड़ी है सीआरपीसी की धारा 155

सीआरपीसी की धारा 155 (Section 155) में असंज्ञेय मामलों (Non- cognizable cases) की जानकारी और ऐसे मामलों की जांच का प्रावधान (Provision of inquiry) किया गया है. आइए जानते हैं कि सीआरपीसी (CrPC) की धारा 155 इस बारे में क्या जानकारी देती है?

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असंज्ञेय मामलों की जानकारी और जांच से जुड़ी है ये धारा
असंज्ञेय मामलों की जानकारी और जांच से जुड़ी है ये धारा
स्टोरी हाइलाइट्स
  • असंज्ञेय मामलों की जानकारी और जांच से जुड़ी है ये धारा
  • 1974 में लागू की गई थी सीआरपीसी
  • CrPC में कई बार हुए है संशोधन

Code of Criminal Procedure: दंड प्रक्रिया संहिता में अदालत (Court) और पुलिस (Police) की कार्यप्रणाली से जुड़े कई अहम कानूनी प्रावधान मौजूद हैं. इसी प्रकार से सीआरपीसी की धारा 155 (Section 155) में असंज्ञेय मामलों (Non- cognizable cases) की जानकारी और ऐसे मामलों की जांच का प्रावधान (Provision of inquiry) किया गया है. आइए जानते हैं कि सीआरपीसी (CrPC) की धारा 155 इस बारे में क्या जानकारी देती है? 

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सीआरपीसी की धारा 155 (CrPC Section 155)
दंड प्रक्रिया संहिता (Code of Criminal Procedure 1973) की धारा 155 में असंज्ञेय मामलों की जानकारी देने और ऐसे मामलों की जांच किए जाने संबंधी प्रावधान किए गए हैं. CrPC की धारा 155 के मुताबिक-

(1) जब पुलिस थाने के भारसाधक अधिकारी (Officer in charge of police station) को उस थाने की सीमाओं (police station limits) के अंदर असंज्ञेय अपराध (Non- cognizable cases) के किए जाने की इत्तिला (Information) दी जाती है तब वह ऐसी इत्तिला का सार (Essence of information), ऐसी पुस्तक में, जो ऐसे अधिकारी (Officer) द्वारा ऐसे प्ररूप में रखी जाएगी जो राज्य सरकार (State Government) इस निमित्त विहित (Prescribed in this behalf) करे, प्रविष्ट (enter) करेगा या प्रविष्ट कराएगा और इत्तिला देने वाले को मजिस्ट्रेट (Magistrate) के पास जाने को निर्देशित (Directed) करेगा.
 
(2) कोई पुलिस अधिकारी (Police officer) किसी असंज्ञेय मामले (Non- cognizable cases) का अन्वेषण (inquiry) ऐसे मजिस्ट्रेट के आदेश (Magistrate's order) के बिना नहीं करेगा जिसे ऐसे मामले का विचारण (Trial) करने की या मामले को विचारणार्थ सुपुर्द करने की शक्ति (Power to deliver) है.

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(3) कोई पुलिस अधिकारी (Police officer) ऐसा आदेश मिलने पर (वारंट के बिना गिरफ्तारी करने की शक्ति के सिवाय) अन्वेषण (inquiry) के बारे में वैसी ही शक्तियों का प्रयोग (Use of powers) कर सकता है, जैसे पुलिस थाने (Police station) का भारसाधक (in charge) संज्ञेय मामले में कर सकता है.

(4) जहां मामले का संबंध ऐसे दो या अधिक अपराधों से है, जिनमें से कम से कम एक संज्ञेय (Cognizable) है, वहां इस बात के होते हुए भी कि अन्य अपराध (offense) असंज्ञेय हैं, यह मामला संज्ञेय (Cognizable) मामला समझा जाएगा.

इसे भी पढ़ें--- CrPC Section 154: संज्ञेय मामलों में सूचना दिए जाने से संबंधित है सीआरपीसी की धारा 154 

क्या है दण्ड प्रक्रिया संहिता (CrPC)
दण्ड प्रक्रिया संहिता 1973 (Code of Criminal Procedure, 1973) भारत में आपराधिक कानून के क्रियान्यवन के लिये मुख्य कानून है. यह सन् 1973 में पारित हुआ था. इसे देश में 1 अप्रैल 1974 को लागू किया गया. दंड प्रक्रिया संहिता का संक्षिप्त नाम 'सीआरपीसी' है. सीआरपीसी (CRPC) अंग्रेजी का शब्द है. जिसकी फुल फॉर्म Code of Criminal Procedure (कोड ऑफ क्रिमिनल प्रोसिजर) होती है. इसे हिंदी में 'दंड प्रक्रिया संहिता' कहा जाता है. 

CrPC में 37 अध्याय (Chapter) हैं, जिनके अधीन कुल 484 धाराएं (Sections) मौजूद हैं. जब कोई अपराध होता है, तो हमेशा दो प्रक्रियाएं होती हैं, एक तो पुलिस अपराध (Crime) की जांच करने में अपनाती है, जो पीड़ित (Victim) से संबंधित होती है और दूसरी प्रक्रिया आरोपी (Accused) के संबंध में होती है. सीआरपीसी (CrPC) में इन प्रक्रियाओं का ब्योरा दिया गया है. CrPC में अब तक कई बार संशोधन (Amendment) भी किए जा चुके हैं.

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