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CrPC Section 160: गवाहों को बुलाने के लिए पुलिस अफसर की शक्ति बताती है धारा 160

सीआरपीसी की धारा 160 में गवाहों की हाजिरी की अपेक्षा करने की पुलिस अधिकारी की शक्ति को परिभाषित किया गया है. चलिए जानते हैं कि सीआरपीसी (CrPC) की धारा 160 इस बारे में क्या बताती है?

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गवाहों से संबंधित पुलिस अफसर की शक्ति से जुड़ी है ये धारा
गवाहों से संबंधित पुलिस अफसर की शक्ति से जुड़ी है ये धारा
स्टोरी हाइलाइट्स
  • गवाहों से संबंधित पुलिस अफसर की शक्ति से जुड़ी है ये धारा
  • 1974 में लागू की गई थी सीआरपीसी
  • CrPC में कई बार हुए है संशोधन

Code of Criminal Procedure: दंड प्रक्रिया संहिता में कोर्ट (Court) और पुलिस (Police) की कार्य प्रणाली से संबंधित प्रावधान दर्ज किए गए हैं. जिनका प्रयोग ज़रूरत पड़ने पर किया जाता है. इसी तरह से सीआरपीसी की धारा 160 में गवाहों की हाजिरी की अपेक्षा करने की पुलिस अधिकारी की शक्ति को परिभाषित किया गया है. चलिए जानते हैं कि सीआरपीसी (CrPC) की धारा 160 इस बारे में क्या बताती है? 

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सीआरपीसी की धारा 160 (CrPC Section 160)
दंड प्रक्रिया संहिता (Code of Criminal Procedure 1973) की धारा 160 में पुलिस अधिकारी की उस शक्ति के बारे में प्रावधान किया गया है, जिसके अधीन वह गवाहों की हाजिरी की अपेक्षा करता है. CrPC की धारा 160 के अनुसार-

(1) कोई पुलिस अधिकारी, जो इस अध्याय के अधीन अन्वेषण कर रहा है, अपने थाने की या किसी पास के थाने की सीमाओं के अन्दर विद्यमान किसी ऐसे व्यक्ति से, जिसकी दी गई इत्तिला से या अन्यथा उस मामले के तथ्यों और परिस्थितियों से परिचित होना प्रतीत होता है, अपने समक्ष हाजिर होने की अपेक्षा लिखित आदेश द्वारा कर सकता है और वह व्यक्ति अपेक्षानुसार हाजिर होगा:

परन्तु किसी पुरुष से जो पन्द्रह वर्ष से कम आयु का है या पैंसठ वर्ष से अधिक आयु है का या किसी स्त्री से या शारीरिक या मानसिक रूप से निर्योग्य किसी व्यक्ति से, ऐसे स्थान से जिसमें ऐसा पुरुष या स्त्री निवास करती है, भिन्न किसी स्थान पर हाजिर होने की अपेक्षा नहीं की जाएगी.

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(2) अपने निवास स्थान से भिन्न किसी स्थान पर उपधारा (1) के अधीन हाजिर होने के लिए प्रत्येक व्यक्ति के उचित खर्चों का पुलिस अधिकारी द्वारा संदाय कराने के लिए राज्य सरकार इस निमित्त बनाए गए नियमों द्वारा उपबन्ध कर सकती है.

इसे भी पढ़ें--- CrPC Section 159: जांच या प्रारंभिक जांच की शक्ति से संबंधित है सीआरपीसी की धारा 159 

क्या है दण्ड प्रक्रिया संहिता (CrPC)
दण्ड प्रक्रिया संहिता 1973 (Code of Criminal Procedure, 1973) भारत में आपराधिक कानून के क्रियान्यवन के लिये मुख्य कानून है. यह सन् 1973 में पारित हुआ था. इसे देश में 1 अप्रैल 1974 को लागू किया गया. दंड प्रक्रिया संहिता का संक्षिप्त नाम 'सीआरपीसी' है. सीआरपीसी (CRPC) अंग्रेजी का शब्द है. जिसकी फुल फॉर्म Code of Criminal Procedure (कोड ऑफ क्रिमिनल प्रोसिजर) होती है. इसे हिंदी में 'दंड प्रक्रिया संहिता' कहा जाता है. 

CrPC में 37 अध्याय (Chapter) हैं, जिनके अधीन कुल 484 धाराएं (Sections) मौजूद हैं. जब कोई अपराध होता है, तो हमेशा दो प्रक्रियाएं होती हैं, एक तो पुलिस अपराध (Crime) की जांच करने में अपनाती है, जो पीड़ित (Victim) से संबंधित होती है और दूसरी प्रक्रिया आरोपी (Accused) के संबंध में होती है. सीआरपीसी (CrPC) में इन प्रक्रियाओं का ब्योरा दिया गया है. CrPC में अब तक कई बार संशोधन (Amendment) भी किए जा चुके हैं.

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