Code of Criminal Procedure: दंड प्रक्रिया संहिता में कोर्ट (Court) और पुलिस (Police) की कार्य प्रणाली से संबंधित प्रावधान दर्ज किए गए हैं. ऐसे ही सीआरपीसी की धारा 163 में कोई उत्प्रेरणा (Inducement) नहीं दिए जाना परिभाषित किया गया है. चलिए जानते हैं कि सीआरपीसी (CrPC) की धारा 163 इस बारे में क्या बताती है?
सीआरपीसी की धारा 163 (CrPC Section 163)
दंड प्रक्रिया संहिता (Code of Criminal Procedure 1973) की धारा 163 में किसी तरह के उत्प्रेरणा (Inducement) यानी प्नलोभन का ना दिए जाना परिभाषित किया गया है. CrPC की धारा 163 के अनुसार-
(1) कोई पुलिस अधिकारी या प्राधिकार वाला अन्य व्यक्ति भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 (1872 का 1) की धारा 24 में यथावर्णित कोई उत्प्रेरणा, धमकी या वचन न तो देगा और न करेगा तथा न दिलवाएगा और न करवाएगा.
(2) किंतु कोई पुलिस अधिकारी या अन्य व्यक्ति इस अध्याय के अधीन किसी अन्वेषण के दौरान किसी व्यक्ति को कोई कथन करने से, जो वह अपनी स्वतंत्र इच्छा से करना चाहे, किसी चेतावनी द्वारा या अन्यथा निवारित न करेगा:
परंतु इस धारा की कोई बात धारा 164 की उपधारा (4) के उपबंधों पर प्रभाव न डालेगी.
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क्या है दण्ड प्रक्रिया संहिता (CrPC)
दण्ड प्रक्रिया संहिता 1973 (Code of Criminal Procedure, 1973) भारत में आपराधिक कानून के क्रियान्यवन के लिये मुख्य कानून है. यह सन् 1973 में पारित हुआ था. इसे देश में 1 अप्रैल 1974 को लागू किया गया. दंड प्रक्रिया संहिता का संक्षिप्त नाम 'सीआरपीसी' है. सीआरपीसी (CRPC) अंग्रेजी का शब्द है. जिसकी फुल फॉर्म Code of Criminal Procedure (कोड ऑफ क्रिमिनल प्रोसिजर) होती है. इसे हिंदी में 'दंड प्रक्रिया संहिता' कहा जाता है.
CrPC में 37 अध्याय (Chapter) हैं, जिनके अधीन कुल 484 धाराएं (Sections) मौजूद हैं. जब कोई अपराध होता है, तो हमेशा दो प्रक्रियाएं होती हैं, एक तो पुलिस अपराध (Crime) की जांच करने में अपनाती है, जो पीड़ित (Victim) से संबंधित होती है और दूसरी प्रक्रिया आरोपी (Accused) के संबंध में होती है. सीआरपीसी (CrPC) में इन प्रक्रियाओं का ब्योरा दिया गया है. CrPC में अब तक कई बार संशोधन (Amendment) भी किए जा चुके हैं.