Code of Criminal Procedure: दंड प्रक्रिया संहिता में न्यायलय (Court) और पुलिस (Police) की कार्य प्रणाली से जुड़े कई तरह के कानूनी प्रावधान (Provision) किए गए हैं. इसी के अधीन सीआरपीसी की धारा 179 में यह प्रावधान किया गया है कि कोई भी अपराध का मामला वहां विचारणीय होगा जहां उसे अंजाम दिया गया या जहां उसका परिणाम निकला. चलिए जान लेते हैं कि सीआरपीसी (CrPC) की धारा 179 इस बारे में क्या बताती है?
सीआरपीसी की धारा 179 (CrPC Section 179)
दंड प्रक्रिया संहिता (Code of Criminal Procedure 1975) की धारा 179 में यह स्पष्ट किया गया है कि अपराध (Offence) वहां विचारणीय (Triable) होगा जहां कार्य किया गया या जहां उसका परिणाम निकला. सीआरपीसी की धारा 179 के मुताबिक, जब कोई कार्य किसी की गई बात के और किसी निकले हुए परिणाम के कारण अपराध है तब ऐसे अपराध की जांच या विचारण (Investigation or trial of offense) ऐसे न्यायालय द्वारा किया जा सकता है, जिसकी स्थानीय अधिकारिता (Local jurisdiction) के अन्दर ऐसी बात की गई या ऐसा परिणाम निकला.
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क्या है दण्ड प्रक्रिया संहिता (CrPC)
दण्ड प्रक्रिया संहिता 1973 (Code of Criminal Procedure, 1973) भारत में आपराधिक कानून के क्रियान्यवन के लिये मुख्य कानून है. यह सन् 1973 में पारित हुआ था. इसे देश में 1 अप्रैल 1974 को लागू किया गया. दंड प्रक्रिया संहिता का संक्षिप्त नाम 'सीआरपीसी' है. सीआरपीसी (CRPC) अंग्रेजी का शब्द है. जिसकी फुल फॉर्म Code of Criminal Procedure (कोड ऑफ क्रिमिनल प्रोसिजर) होती है. इसे हिंदी में 'दंड प्रक्रिया संहिता' कहा जाता है.
CrPC में 37 अध्याय (Chapter) हैं, जिनके अधीन कुल 484 धाराएं (Sections) मौजूद हैं. जब कोई अपराध होता है, तो हमेशा दो प्रक्रियाएं होती हैं, एक तो पुलिस अपराध (Crime) की जांच करने में अपनाती है, जो पीड़ित (Victim) से संबंधित होती है और दूसरी प्रक्रिया आरोपी (Accused) के संबंध में होती है. सीआरपीसी (CrPC) में इन प्रक्रियाओं का ब्योरा दिया गया है. CrPC में अब तक कई बार संशोधन (Amendment) भी किए जा चुके हैं.