Code of Criminal Procedure: दंड प्रक्रिया संहिता में न्यायलय (Court) और पुलिस (Police) की कार्य प्रणाली से जुड़े कई तरह के कानूनी प्रावधान (Provision) किए गए हैं. इसके अधीन सीआरपीसी की धारा 180 में बताया गया कि विचारण की वो जगह, जहां किया गया कार्य किसी अन्य अपराध से सम्बन्धित होने के कारण अपराध है. आइए जानते हैं कि सीआरपीसी (CrPC) की धारा 180 इस बारे में क्या जानकारी देती है?
सीआरपीसी की धारा 180 (CrPC Section 180)
दंड प्रक्रिया संहिता (Code of Criminal Procedure 1975) की धारा 180 में मामले की सुनवाई (Hearing of the case) के लिए वह स्थान भी बताया है, जहां किया गया कार्य अन्य अपराध से सम्बन्धित होने के कारण अपराध ही माना जाता है. CrPC की धारा 180 के मुताबिक, जब कोई कार्य किसी ऐसे अन्य कार्य से सम्बन्धित होने के कारण अपराध है, जो स्वयं भी अपराध है या अपराध होता यदि कर्त्ता अपराध करने के लिए समर्थ होता, तब प्रथम वर्णित अपराध की जांच या विचारण ऐसे न्यायालय द्वारा किया जा सकता है जिसकी स्थानीय अधिकारिता के अन्दर उन दोनों में से कोई भी कार्य किया गया है.
इसे भी पढ़ें--- CrPC Section 179: जहां हुआ अपराध वहीं होगी सुनवाई, यही प्रावधान करती है ये धारा
क्या है दण्ड प्रक्रिया संहिता (CrPC)
दण्ड प्रक्रिया संहिता 1973 (Code of Criminal Procedure, 1973) भारत में आपराधिक कानून के क्रियान्यवन के लिये मुख्य कानून है. यह सन् 1973 में पारित हुआ था. इसे देश में 1 अप्रैल 1974 को लागू किया गया. दंड प्रक्रिया संहिता का संक्षिप्त नाम 'सीआरपीसी' है. सीआरपीसी (CRPC) अंग्रेजी का शब्द है. जिसकी फुल फॉर्म Code of Criminal Procedure (कोड ऑफ क्रिमिनल प्रोसिजर) होती है. इसे हिंदी में 'दंड प्रक्रिया संहिता' कहा जाता है.
CrPC में 37 अध्याय (Chapter) हैं, जिनके अधीन कुल 484 धाराएं (Sections) मौजूद हैं. जब कोई अपराध होता है, तो हमेशा दो प्रक्रियाएं होती हैं, एक तो पुलिस अपराध (Crime) की जांच करने में अपनाती है, जो पीड़ित (Victim) से संबंधित होती है और दूसरी प्रक्रिया आरोपी (Accused) के संबंध में होती है. सीआरपीसी (CrPC) में इन प्रक्रियाओं का ब्योरा दिया गया है. CrPC में अब तक कई बार संशोधन (Amendment) भी किए जा चुके हैं.