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CrPC Section 181: कुछ अपराधों के मामले में ट्रायल के स्थान का प्रावधान करती है ये धारा

सीआरपीसी की धारा 181 में कुछ अपराधों की दशा में विचारण का स्थान स्पष्ट किया गया है. आइए जानते हैं कि सीआरपीसी (CrPC) की धारा 181 इस बारे में क्या जानकारी देती है?

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कुछ अपराधों के ट्रायल से संबंधित है ये धारा
कुछ अपराधों के ट्रायल से संबंधित है ये धारा
स्टोरी हाइलाइट्स
  • कुछ अपराधों के ट्रायल से संबंधित है ये धारा
  • 1974 में लागू की गई थी सीआरपीसी
  • CrPC में कई बार हुए है संशोधन

Code of Criminal Procedure: दंड प्रक्रिया संहिता में न्यायलय (Court) और पुलिस (Police) की कार्य प्रणाली से जुड़े कई तरह के कानूनी प्रावधान (Provision) किए गए हैं. इसके अधीन सीआरपीसी की धारा 181 में कुछ अपराधों की दशा में विचारण का स्थान स्पष्ट किया गया है. आइए जानते हैं कि सीआरपीसी (CrPC) की धारा 181 इस बारे में क्या जानकारी देती है?  

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सीआरपीसी की धारा 181 (CrPC Section 181)
दंड प्रक्रिया संहिता (Code of Criminal Procedure 1975) की धारा 181 में कुछ अपराधों की दशा में विचारण के स्थान को लेकर प्रावधान किया गया है. CrPC की धारा 181 के मुताबिक-

(1) ठग होने के, या ढंग द्वारा हत्या के, डकैती के, हत्या सहित डकैती के, डकैतों की टोली का होने के, या अभिरक्षा से निकल भागने के किसी अपराध की जांच या विचारण ऐसे न्यायालय द्वारा किया जा सकता है जिसकी स्थानीय अधिकारिता के अन्दर अपराध किया गया है या अभियुक्त व्यक्ति मिला है.

(2) किसी व्यक्ति के व्यपहरण या अपहरण के किसी अपराध की जांच या विचारण ऐसे न्यायालय द्वारा किया जा सकता है जिसकी स्थानीय अधिकारिता के अन्दर वह व्यक्ति व्यपहृत या अपहृत किया गया या से जाया गया या छिपाया गया या निरुद्ध किया गया है.

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(3) चोरी, उद्दापन या लूट के किसी अपराध की जांच या विचारण ऐसे न्यायालय द्वारा किया जा सकता है जिसकी स्थानीय अधिकारिता के अन्दर ऐसा अपराध किया गया है या चुराई हुई सम्पत्ति को जो कि अपराध का विषय है उसे करने वाले व्यक्ति द्वारा या किसी ऐसे व्यक्ति द्वारा कब्जे में रखी गई है जिसने उस सम्पत्ति को चुराई हुई सम्पत्ति जानते हुए या विश्वास करने का कारण रखते हुए प्राप्त किया या रखे रखा.

(4) आपराधिक दुर्विनियोग या आपराधिक न्यासभंग के किसी अपराध की जांच या विचारण ऐसे न्यायालय द्वारा किया जा सकता है जिसकी स्थानीय अधिकारिता के अन्दर अपराध किया गया है या उस सम्पत्ति का, जो अपराध का विषय है, कोई भाग अभियुक्त व्यक्ति द्वारा प्राप्त किया गया या रखा गया है अथवा उसका लौटाया जाना या लेखा दिया जाना अपेक्षित है.

(5) किसी ऐसे अपराध की, जिसमें चुराई हुई सम्पत्ति का कब्जा भी है, जांच या विचारण ऐसे न्यायालय द्वारा किया जा सकता है जिसकी स्थानीय अधिकारिता के अन्दर ऐसा अपराध किया गया है या चुराई हुई सम्पत्ति किसी ऐसे व्यक्ति द्वारा कब्जे में रखी गई है, जिसने उसे चुराई हुई जानते हुए या विश्वास करने का कारण होते हुए प्राप्त किया या रखे रखा.

इसे भी पढ़ें--- CrPC Section 180: किसी स्थान पर किया गया अपराध से जुड़ा काम तो लागू होगी ये धारा 

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क्या है दण्ड प्रक्रिया संहिता (CrPC)
दण्ड प्रक्रिया संहिता 1973 (Code of Criminal Procedure, 1973) भारत में आपराधिक कानून के क्रियान्यवन के लिये मुख्य कानून है. यह सन् 1973 में पारित हुआ था. इसे देश में 1 अप्रैल 1974 को लागू किया गया. दंड प्रक्रिया संहिता का संक्षिप्त नाम 'सीआरपीसी' है. सीआरपीसी (CRPC) अंग्रेजी का शब्द है. जिसकी फुल फॉर्म Code of Criminal Procedure (कोड ऑफ क्रिमिनल प्रोसिजर) होती है. इसे हिंदी में 'दंड प्रक्रिया संहिता' कहा जाता है. 

CrPC में 37 अध्याय (Chapter) हैं, जिनके अधीन कुल 484 धाराएं (Sections) मौजूद हैं. जब कोई अपराध होता है, तो हमेशा दो प्रक्रियाएं होती हैं, एक तो पुलिस अपराध (Crime) की जांच करने में अपनाती है, जो पीड़ित (Victim) से संबंधित होती है और दूसरी प्रक्रिया आरोपी (Accused) के संबंध में होती है. सीआरपीसी (CrPC) में इन प्रक्रियाओं का ब्योरा दिया गया है. CrPC में अब तक कई बार संशोधन (Amendment) भी किए जा चुके हैं.

 

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