किसी अपराध के बाद पुलिस पीड़ित और आरोपी के संबंध में जिस प्रक्रिया को अपनाती है, उसका प्रावधान दंड प्रक्रिया संहिता (Code of Criminal Procedure) के तहत किया गया है. पुलिस सीआरपीसी (CrPC) के तहत ही जांच पड़ताल करती है. आइए आपको बताते हैं कि सीआरपीसी की धारा 1 क्या है?
सीआरपीसी (CrPC) की धारा 1 (सेक्शन 1)
धारा 1 के मुताबिक, इस अधिनियम का संक्षिप्त नाम दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 है. जिसका विस्तार संपूर्ण भारत पर है, लेकिन इस संहिता के अध्याय 8, 10 और 11 से संबंधित उपबंधों से अलग उपबंध हैं. जिसके अनुसार नागालैंड राज्य और जनजाति क्षेत्रों में यह लागू नहीं होंगे. (पहले यह जम्मू कश्मीर में भी लागू नहीं थे)
किंतु संबद्ध राज्य सरकार अधिसूचना द्वारा, ऐसे उपबंधों या उनमें से किसी को, यथास्थिति, संपूर्ण नागालैंड राज्य या ऐसे जनजाति क्षेत्र अथवा उनके किसी भाग पर ऐसे अनुपूरक, आनुषंगिक या पारिणामिक उपान्तरों सहित लागू कर सकती है, जो अधिसूचना में विनिर्दिष्ट किए जाएं.
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इस संबंध में स्पष्ट किया गया है कि इस धारा में, जनजाति क्षेत्रों का अभिप्राय राज्य के उन इलाकों से है, जो 1972 की जनवरी के 21वें दिन के ठीक पहले, संविधान की षष्ठ अनुसूची के पैरा 20 में यथानिर्दिष्ट असम के जनजाति क्षेत्रों में सम्मिलित थे और जो शिलांग नगरपालिका की स्थानीय सीमाओं के भीतर के क्षेत्रों से अलग हैं.
क्या होती है सीआरपीसी (CrPC)?
सीआरपीसी (CRPC) अंग्रेजी का शब्द है. जिसकी फुल फॉर्म Code of Criminal Procedure (कोड ऑफ क्रिमिनल प्रोसिजर) होती है. इसे हिंदी में 'दंड प्रक्रिया संहिता' कहा जाता है. दंड प्रिक्रिया संहिता यानी CrPC में 37 अध्याय हैं, जिनके अधीन कुल 484 धाराएं आती हैं. जब कोई अपराध होता है, तो हमेशा दो प्रक्रियाएं होती हैं, एक तो पुलिस अपराध की जांच करने में अपनाती है, जो पीड़ित से संबंधित होती है और दूसरी प्रक्रिया आरोपी के संबंध में होती है. सीआरपीसी (CrPC) में इन प्रक्रियाओं का ब्योरा दिया गया है.
1974 में लागू हुई थी CrCP
सीआरपीसी के लिए 1973 में कानून पारित किया गया था. इसके बाद 1 अप्रैल 1974 से दंड प्रक्रिया संहिता यानी सीआरपीसी (CrPC) देश में लागू हो गई थी. तब से अब तक CrPC में कई बार संशोधन भी किए गए है.