दंड प्रक्रिया संहिता (Code of Criminal Procedure) की धाराएं पुलिस (Police) और कोर्ट (Court) की कार्य प्रणाली के दौरान इस्तेमाल की जाने वाली कानूनी प्रक्रियाओं (Legal procedures) के बारे में जानकारी देती हैं. ऐसे ही सीआरपीसी (CrPC) की धारा 104 (Section 104) में पेश किए गए दस्तावेज आदि को जब्त करने की शक्ति से संबंधित प्रावधान किया गया है. आइए जान लेते हैं कि सीआरपीसी की धारा 104 इस बारे में क्या जानकारी देती है?
सीआरपीसी की धारा 104 (CrPC Section 104)
दंड प्रक्रिया संहिता (Code of Criminal Proced) की धारा (104 Section 104) में कोर्ट या मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश किए जाने वाले दस्तावेजों आदि को जब्त करने की शक्ति का प्रावधान किया गया है. CrPC की धारा 104 के मुताबिक, यदि कोई न्यायालय (Court) ठीक समझता है, तो वह किसी दस्तावेज (Document) या चीज (Thing) को, जो इस संहिता के अधीन (Under this Code) उसके समक्ष पेश की गई है, परिबद्ध (Impound) कर सकता है.
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क्या है सीआरपीसी (CrPC)
सीआरपीसी (CRPC) अंग्रेजी का शब्द है. जिसकी फुल फॉर्म Code of Criminal Procedure (कोड ऑफ क्रिमिनल प्रोसिजर) होती है. इसे हिंदी में 'दंड प्रक्रिया संहिता' कहा जाता है. CrPC में 37 अध्याय (Chapter) हैं, जिनके अधीन कुल 484 धाराएं (Sections) मौजूद हैं. जब कोई अपराध होता है, तो हमेशा दो प्रक्रियाएं होती हैं, एक तो पुलिस अपराध (Crime) की जांच करने में अपनाती है, जो पीड़ित (Victim) से संबंधित होती है और दूसरी प्रक्रिया आरोपी (Accused) के संबंध में होती है. सीआरपीसी (CrPC) में इन प्रक्रियाओं का ब्योरा दिया गया है.
1974 में लागू हुई थी CrPC
सीआरपीसी के लिए 1973 में कानून (Law) पारित किया गया था. इसके बाद 1 अप्रैल 1974 से दंड प्रक्रिया संहिता यानी सीआरपीसी (CrPC) देश में लागू हो गई थी. तब से अब तक CrPC में कई बार संशोधन (Amendment) भी किए गए है.