दंड प्रक्रिया संहिता (Code of Criminal Procedure) यानी सीआरपीसी (CrPC) में कोर्ट (Court) और उससे जुड़ी प्रक्रिया (Process) के बारे में भी बताती है. सीआरपीसी की धारा 11 न्यायिक मजिस्ट्रेट और उनके न्यायालय से संबंधित है. आइए जानते हैं कि CrPC की धारा 11 (Section 11) क्या है? और इसका सेशन खंड और सेशन कोर्ट से क्या संबंध है?
सीआरपीसी की धारा 11 (CrPC Section 11)
Code of Criminal Procedure यानी दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 11 (Section 11) के मुताबिक न्यायिक मजिस्ट्रेटों के न्यायालय इस प्रकार से होते हैं. (1) प्रत्येक जिला जो महानगर क्षेत्र नहीं है, वहां प्रथम वर्ग और द्वितीय वर्ग न्यायिक मजिस्ट्रेटों (Judicial Magistrates) के इतने न्यायालय, ऐसे स्थानों में स्थापित किए जाएंगे, जितने और जो राज्य सरकार, उच्च न्यायालय से परामर्श के बाद जिनसे संबंधित अधिसूचना जारी की गई हो.
(2) उच्च न्यायालय (High Court) ऐसे न्यायालयों के पीठासीन अधिकारी (Presiding Officer) नियुक्त करेगा. (3) उच्च न्यायालय, जब कभी उसे यह समीचीन या आवश्यक प्रतीत हो, किसी सिविल न्यायालय (Civil Court) में न्यायाधीश (Judge) के रूप में कार्यरत राज्य की न्यायिक सेवा (State Judicial Service) के किसी सदस्य को प्रथम वर्ग या द्वितीय वर्ग मजिस्ट्रेट (Magistrate) की शक्तियां प्रदान कर सकता है.
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क्या होती है सीआरपीसी (CrPC)
सीआरपीसी (CRPC) अंग्रेजी का शब्द है. जिसकी फुल फॉर्म Code of Criminal Procedure (कोड ऑफ क्रिमिनल प्रोसिजर) होती है. इसे हिंदी में 'दंड प्रक्रिया संहिता' कहा जाता है. दंड प्रिक्रिया संहिता यानी CrPC में 37 अध्याय हैं, जिनके अधीन कुल 484 धाराएं आती हैं. जब कोई अपराध होता है, तो हमेशा दो प्रक्रियाएं होती हैं, एक तो पुलिस अपराध की जांच करने में अपनाती है, जो पीड़ित से संबंधित होती है और दूसरी प्रक्रिया आरोपी के संबंध में होती है. सीआरपीसी (CrPC) में इन प्रक्रियाओं का ब्योरा दिया गया है.
1974 में लागू हुई थी CrPC
सीआरपीसी के लिए 1973 में कानून पारित किया गया था. इसके बाद 1 अप्रैल 1974 से दंड प्रक्रिया संहिता यानी सीआरपीसी (CrPC) देश में लागू हो गई थी. तब से अब तक CrPC में कई बार संशोधन भी किए गए है.