Code of Criminal Procedure: दंड प्रक्रिया संहिता में अदालती कार्यवाही (Court proceedings) को संचालित करने की प्रक्रिया (Procedures) के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी (Detail information) दी गई है. ऐसे ही सीआरपीसी (CrPC) की धारा 113 (Section 113) में ऐसे व्यक्ति के बारे में समन या वारंट का प्रावधान मिलता है, जो उपस्थित नहीं है. चलिए जान लेते हैं कि सीआरपीसी की धारा 113 इस बारे में क्या कहती है?
सीआरपीसी की धारा 113 (CrPC Section 113)
दंड प्रक्रिया संहिता (Code of Criminal Proced 1973) की धारा 113 (Section 113) के अनुसार, यदि ऐसा व्यक्ति न्यायालय में उपस्थित नहीं (Not present in court) है तो मजिस्ट्रेट (Magistrate) उससे हाजिर होने की अपेक्षा करते हुए समन (summon), या जब ऐसा व्यक्ति अभिरक्षा में है तब जिस अधिकारी की अभिरक्षा (Officer's custody) में बह है उस अधिकारी को उसे न्यायालय (Court) के समक्ष लाने का निदेश देते हुए वारंट (Warrant), जारी करेगा:
परंतु जब कभी ऐसे मजिस्ट्रेट (Magistrate) को पुलिस अधिकारी की रिपोर्ट (Report of Police officer) पर या अन्य इत्तिला पर (जिस रिपोर्ट या इत्तिला का सार मजिस्ट्रेट द्वारा अभिलिखित किया जाएगा), यह प्रतीत होता है कि परिशांति भंग होने के डर (Fear of breach of peace) के लिए कारण है और ऐसे व्यक्ति की तुरंत गिरफ्तारी के बिना ऐसे परिशांति भंग करने का निवारण नहीं किया जा सकता है, तब वह मजिस्ट्रेट उसकी गिरफ्तारी (Arresting) के लिए किसी समय वारंट (Warrant) जारी कर सकेगा.
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क्या है सीआरपीसी (CrPC)
सीआरपीसी (CRPC) अंग्रेजी का शब्द है. जिसकी फुल फॉर्म Code of Criminal Procedure (कोड ऑफ क्रिमिनल प्रोसिजर) होती है. इसे हिंदी में 'दंड प्रक्रिया संहिता' कहा जाता है. CrPC में 37 अध्याय (Chapter) हैं, जिनके अधीन कुल 484 धाराएं (Sections) मौजूद हैं. जब कोई अपराध होता है, तो हमेशा दो प्रक्रियाएं होती हैं, एक तो पुलिस अपराध (Crime) की जांच करने में अपनाती है, जो पीड़ित (Victim) से संबंधित होती है और दूसरी प्रक्रिया आरोपी (Accused) के संबंध में होती है. सीआरपीसी (CrPC) में इन प्रक्रियाओं का ब्योरा दिया गया है.
1974 में लागू हुई थी CrPC
सीआरपीसी के लिए 1973 में कानून (Law) पारित किया गया था. इसके बाद 1 अप्रैल 1974 से दंड प्रक्रिया संहिता यानी सीआरपीसी (CrPC) देश में लागू हो गई थी. तब से अब तक CrPC में कई बार संशोधन (Amendment) भी किए गए है.