Code of Criminal Procedure: दंड प्रक्रिया संहिता में पुलिस (Police) की कार्य प्रणाली से संबंधित प्रावधान दर्ज किए गए हैं, जिनका इस्तेमाल ज़रुरत पड़ने पर पुलिस अधिकारी करते हैं. ऐसे ही सीआरपीसी की धारा 166 में बताया गया कि कब पुलिस थाने (Police Station) के प्रभारी अधिकारी (Officer in charge) को तलाशी वारंट (Search warrant) जारी करने के लिए किसी अन्य की आवश्यकता हो सकती है. आइए जानते हैं कि सीआरपीसी (CrPC) की धारा 166 इस बारे में क्या बताती है?
सीआरपीसी की धारा 166 (CrPC Section 166)
दंड प्रक्रिया संहिता (Code of Criminal Procedure 1975) की धारा 166 में दर्ज है कि पुलिस थाने का भारसाधक अधिकारी (SHO) कब किसी अन्य अधिकारी से तलाशी वारंट (Search warrant) जारी करने की अपेक्षा कर सकता है. CrPC की धारा 166 के अनुसार-
(1) पुलिस थाने का भारसाधक अधिकारी या उपनिरीक्षक से अनिम्न पंक्ति का पुलिस अधिकारी, जो अन्वेषण कर रहा है, किसी दूसरे पुलिस थाने के भारसाधक अधिकारी से, चाहे वह उस जिले में हो, या दूसरे जिले में हो, किसी स्थान में ऐसे मामले में तलाशी लिवाने की अपेक्षा कर सकता है जिसमें पूर्वकथित अधिकारी स्वयं अपने थाने की सीमाओं के अन्दर ऐसी तलाशी लिवा सकता है.
(2) ऐसा अधिकारी ऐसी अपेक्षा किए जाने पर धारा 165 के उपबन्धों के अनुसार कार्यवाही करेगा और यदि कोई चीज मिले तो उसे उस अधिकारी के पास भेजेगा जिसकी अपेक्षा पर तलाशी ली गई है.
(3) जब कभी यह विश्वास करने का कारण है कि दूसरे पुलिस थाने के भारसाधक अधिकारी से उपधारा (1) के अधीन तलाशी लिवाने की अपेक्षा करने में जो विलम्ब होगा उसका परिणाम यह हो सकता है कि अपराध किए जाने का साक्ष्य छिपा दिया जाए या नष्ट कर दिया जाए, तब पुलिस थाने के भारसाधक अधिकारी के लिए या उस अधिकारी के लिए, जो इस अध्याय के अधीन अन्वेषण कर रहा है, यह विधिपूर्ण होगा कि वह दूसरे पुलिस थाने की स्थानीय सीमाओं के अन्दर किसी स्थान की धारा 165 के उपबन्धों के अनुसार ऐसे तलाशी ले या लिवाए मानो ऐसा स्थान उसके अपने थाने की सीमाओं के अन्दर हो.
(4) कोई अधिकारी, जो उपधारा (3) के अधीन तलाशी संचालित कर रहा है, उस पुलिस थाने के भारसाधक अधिकारी को, जिसकी सीमाओं के अन्दर ऐसा स्थान है, तलाशी की सूचना तत्काल भेजेगा और ऐसी सूचना के साथ धारा 100 के अधीन तैयार की गई सूची की (यदि कोई हो) प्रतिलिपि भी भेजेगा और उस अपराध का संज्ञान करने के लिए सशक्त निकटतम मजिस्ट्रेट को धारा 165 की उपधारा (1) और (3) में निर्दिष्ट अभिलेखों की प्रतिलिपियां भी भेजेगा.
(5) जिस स्थान की तलाशी ली गई है, उसके स्वामी या अधिभोगी को, आवेदन करने पर उस अभिलेख की, जो मजिस्ट्रेट को उपधारा (4) के अधीन भेजा जाए, प्रतिलिपि निःशुल्क दी जाएगी.
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क्या है दण्ड प्रक्रिया संहिता (CrPC)
दण्ड प्रक्रिया संहिता 1973 (Code of Criminal Procedure, 1973) भारत में आपराधिक कानून के क्रियान्यवन के लिये मुख्य कानून है. यह सन् 1973 में पारित हुआ था. इसे देश में 1 अप्रैल 1974 को लागू किया गया. दंड प्रक्रिया संहिता का संक्षिप्त नाम 'सीआरपीसी' है. सीआरपीसी (CRPC) अंग्रेजी का शब्द है. जिसकी फुल फॉर्म Code of Criminal Procedure (कोड ऑफ क्रिमिनल प्रोसिजर) होती है. इसे हिंदी में 'दंड प्रक्रिया संहिता' कहा जाता है.
CrPC में 37 अध्याय (Chapter) हैं, जिनके अधीन कुल 484 धाराएं (Sections) मौजूद हैं. जब कोई अपराध होता है, तो हमेशा दो प्रक्रियाएं होती हैं, एक तो पुलिस अपराध (Crime) की जांच करने में अपनाती है, जो पीड़ित (Victim) से संबंधित होती है और दूसरी प्रक्रिया आरोपी (Accused) के संबंध में होती है. सीआरपीसी (CrPC) में इन प्रक्रियाओं का ब्योरा दिया गया है. CrPC में अब तक कई बार संशोधन (Amendment) भी किए जा चुके हैं.