दंड प्रक्रिया संहिता (Code of Criminal Procedure) यानी सीआरपीसी (CrPC) पुलिस को विधिवत कार्य करने में मदद करती है. किसी भी मामले में पुलिस पीड़ित (Victim) और आरोपी (Accused) के संबंध में सीआरपीसी की धाराओं के अनुरूप ही काम करती है. सीआरपीसी की धारा 1 के बारे में हम आपको बता चुके हैं. अब हम बात करेंगे CrPC की धारा 2 (Section 2) के बारे में.
सीआरपीसी (CrPC) की धारा 2 (सेक्शन 2)
दंड प्रक्रिया संहिता (Code of Criminal Procedure) की धारा पुलिस से जुड़े कई महत्वपूर्ण शब्दों को परिभाषित करती है. जिनका इस्तेमाल पुलिसकर्मी और अधिकारियों के साथ-साथ आमजन भी करते हैं. हम आपको वो सभी शब्द क्रमानुसार यहां बता रहे हैं, ताकि आप भी जान लें कि धारा 2 में किन शब्दों की व्याख्या मिलती है.
(क) जमानतीय अपराध
(ख) आरोप
(ग) संज्ञेय अपराध
(घ) परिवाद
(ङ) उच्च न्यायालय
(च) भारत
(छ) जांच
(ज) अन्वेषण
(झ) न्यायिक कार्रवाई
(ञ) स्थानीय अधिकारिता
(ट) महानगर क्षेत्र
(ठ) असंज्ञेय अपराध
(ड) अधिसूचना
(ढ) अपराध
(ण) पुलिस थाने का भारसाधक अधिकारी
(त) स्थान
(थ) प्लीडर
(द) पुलिस रिपोर्ट
(ध) पुलिस थाना
(न) विहित
(प) लोक अभियोजक
(फ) उपखण्ड
(ब) समन-मामला
(ब) क- आहत
(भ) वारंट-मामला
(म) उन शब्दों और पदों के, जो इसमें प्रयुक्त है और पारिभाषित नहीं है, किन्तु भारतीय दण्ड संहिता में परिभाषित है. उनके वही अर्थ होंगे जो उसके उस संहिता में है.
पाठकों की सुविधा के लिए यहां सीआरपीसी की धारा 2 के तहत आने वाले शब्दों को उनकी श्रेणी के क्रम में ही लिखा गया है. धारा 2 में इन शब्दों को कानून भाषा में परिभाषित किया गया है. ताकि पुलिस कार्रवाई या अदालत की कार्रवाई के दौरान उनका इस्तेमाल उनके कानूनी अर्थ को ध्यान में रखते हुए किया जाए.
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क्या होती है सीआरपीसी (CrPC)
सीआरपीसी (CRPC) का अंग्रेजी का शब्द है. जिसकी फुल फॉर्म Code of Criminal Procedure (कोड ऑफ क्रिमिनल प्रोसिजर) होती है. इसे हिंदी में 'दंड प्रक्रिया संहिता' कहा जाता है. दंड प्रक्रिया संहिता यानी CrPC में 37 अध्याय हैं, जिनके अधीन कुल 484 धाराएं आती हैं. जब कोई अपराध होता है, तो हमेशा दो प्रक्रियाएं होती हैं, एक तो पुलिस अपराध की जांच करने में अपनाती है, जो पीड़ित से संबंधित होती है और दूसरी प्रक्रिया आरोपी के संबंध में होती है. सीआरपीसी (CrPC) में इन प्रक्रियाओं का ब्योरा दिया गया है.
CrPC में हो चुके हैं कई संशोधन
सीआरपीसी के लिए 1973 में कानून पारित किया गया था. इसके बाद 1 अप्रैल 1974 से दंड प्रक्रिया संहिता यानी सीआरपीसी (CrPC) देश में लागू हो गई थी. तब से अब तक CrPC में कई बार संशोधन भी किए गए हैं.