दंड प्रक्रिया संहिता (Code of Criminal Procedure) में कोर्ट (Court) और उनसे जुड़ी प्रक्रिया (Procedure) के साथ-साथ उनसे जुड़े प्रावधान (Provision) मिलते हैं. जिसमें सीआरपीसी (CrPC) की धारा 34 (Section 34) न्यायाधीशों (Judges) और मजिस्ट्रेटों (Magistrates) की शक्तियों के प्रयोग (Uses) किए जाने से संबंधित है. आइए जानते हैं कि सीआरपीसी की धारा 35 (Section 35) इस प्रक्रिया के बारे में क्या कहती है?
सीआरपीसी की धारा 35 (CrPC Section 35)
दंड प्रक्रिया संहिता (Code of Criminal Procedure) की धारा 35 (Section 35) हमें यह बताती है कि न्यायाधीशों (Judges) और मजिस्ट्रेटों (Magistrates) की शक्तियों (Powers) का इस्तेमाल (Use) उनके समक्ष पद धारण वाले (their successors in office) कर सकते हैं.
(1) इस संहिता (Code) के अन्य उपबंधों (Provisions) के अधीन रहते हुए, किसी न्यायाधीश (Judge) या मजिस्ट्रेट (Magistrate) की शक्तियों (Powers) और कर्तव्यों (Duties) का प्रयोग (Exercised) या पालन (Performed) उसके पद-उत्तरवर्ती (Successor in office) द्वारा किया जा सकता है.
(2) जब इस बारे में कोई शंका (Doubt) है कि किसी अपर (Additional) या सहायक सेशन न्यायाधीश (Assistant Sessions Judge) का पद-उत्तरवर्ती कौन है, तब सेशन न्यायाधीश (Sessions Judge) लिखित आदेश (Order) द्वारा यह अवधारित करेगा कि कौन सा न्यायाधीश (Judge) इस संहिता (code) के, या इसके अधीन किन्हीं कार्यवाहियों (Proceedings) या आदेशों के प्रयोजनों (Purposes of orders) के लिए ऐसे अपर (Additional) या सहायक सेशन न्यायाधीश (Assistant Sessions Judge) का पद-उत्तरवर्ती समझा जाएगा.
(3) जब इस बारे में कोई शंका है कि किसी मजिस्ट्रेट (Magistrate) का पद-उत्तरवर्ती (Successor in office) कौन है तब, यथास्थिति, मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (Chief Judicial Magistrate) या जिला मजिस्ट्रेट (District Magistrate) लिखित आदेश द्वारा यह अवधारित करेगा कि कौन सा मजिस्ट्रेट (Magistrate) इस संहिता के, या इसके अधीन किन्हीं कार्यवाहियों (Proceedings) या आदेशों (Orders) के, प्रयोजनों के लिए ऐसे मजिस्ट्रेट (Magistrate) का पद-उत्तरवर्ती (Purposes of orders) समझा जाएगा.
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क्या होती है सीआरपीसी (CrPC)
सीआरपीसी (CRPC) अंग्रेजी का शब्द है. जिसकी फुल फॉर्म Code of Criminal Procedure (कोड ऑफ क्रिमिनल प्रोसिजर) होती है. इसे हिंदी में 'दंड प्रक्रिया संहिता' कहा जाता है. CrPC में 37 अध्याय (Chapter) हैं, जिनके अधीन कुल 484 धाराएं (Sections) मौजूद हैं. जब कोई अपराध होता है, तो हमेशा दो प्रक्रियाएं होती हैं, एक तो पुलिस अपराध (Crime) की जांच करने में अपनाती है, जो पीड़ित (Victim) से संबंधित होती है और दूसरी प्रक्रिया आरोपी (Accused) के संबंध में होती है. सीआरपीसी (CrPC) में इन प्रक्रियाओं का ब्योरा दिया गया है.
1974 में लागू हुई थी CrPC
सीआरपीसी के लिए 1973 में कानून (Law) पारित किया गया था. इसके बाद 1 अप्रैल 1974 से दंड प्रक्रिया संहिता यानी सीआरपीसी (CrPC) देश में लागू हो गई थी. तब से अब तक CrPC में कई बार संशोधन (Amendment) भी किए गए है.