दंड प्रक्रिया संहिता (Code of Criminal Procedure) कोर्ट (Court) और पुलिस (Police) से जुड़ी प्रक्रिया (Procedure) के संबंध में प्रावधान (Provision) बताती है. जिसमें सीआरपीसी (CrPC) की धारा 38 (Section 38) ऐसे व्यक्ति को सहायता (Aid) करने के बारे में जानकारी देती है, जो वारंट (Warrant) का निष्पादन (Execution) कर रहा है. तो चलिए जानते हैं कि सीआरपीसी की धारा 34 (Section 34) क्या कहती है?
सीआरपीसी की धारा 38 (CrPC Section 38)
दंड प्रक्रिया संहिता (Code of Criminal Procedure) की धारा 38 (Section) में 'पुलिस अधिकारी से भिन्न ऐसे व्यक्ति को सहायता (Aid) देने का प्रावधान (Provision) है, जो वारंट का निष्पादन (Execution) कर रहा है.' CrPC की धारा 38 के अनुसार जब कोई वारंट (Warrant) पुलिस अधिकारी (Police Officer) से भिन्न किसी व्यक्ति को निदिष्ट (Directed) है, तब कोई भी अन्य व्यक्ति उस वारंट (warrant) के निष्पादन (Execution) में सहायता (Aid) कर सकता है यदि वह व्यक्ति, जिसे वारंट निदिष्ट है, पास में हैं और वारंट के निष्पादन में कार्य कर रहा है.
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क्या होती है सीआरपीसी (CrPC)
सीआरपीसी (CRPC) अंग्रेजी का शब्द है. जिसकी फुल फॉर्म Code of Criminal Procedure (कोड ऑफ क्रिमिनल प्रोसिजर) होती है. इसे हिंदी में 'दंड प्रक्रिया संहिता' कहा जाता है. CrPC में 37 अध्याय (Chapter) हैं, जिनके अधीन कुल 484 धाराएं (Sections) मौजूद हैं. जब कोई अपराध होता है, तो हमेशा दो प्रक्रियाएं होती हैं, एक तो पुलिस अपराध (Crime) की जांच करने में अपनाती है, जो पीड़ित (Victim) से संबंधित होती है और दूसरी प्रक्रिया आरोपी (Accused) के संबंध में होती है. सीआरपीसी (CrPC) में इन प्रक्रियाओं का ब्योरा दिया गया है.
1974 में लागू हुई थी CrPC
सीआरपीसी के लिए 1973 में कानून (Law) पारित किया गया था. इसके बाद 1 अप्रैल 1974 से दंड प्रक्रिया संहिता यानी सीआरपीसी (CrPC) देश में लागू हो गई थी. तब से अब तक CrPC में कई बार संशोधन (Amendment) भी किए गए है.
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