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CrPC Section 42: जानें, क्या होती है सीआरपीसी की धारा 42?

सीआरपीसी (CrPC) की धारा 42 (Section 42) में नाम (Name) और निवास (Residence) बताने से इनकार (Refuse) करने पर गिरफ्तारी के संबंध में बताया गया है. तो आइए जानते हैं कि सीआरपीसी की धारा 42 (Section 42) इस संबंध में क्या बताती है?

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CrPC की धारा 42 पुलिस को नाम पता नहीं बताने या गलत बताने से संबंधित है
CrPC की धारा 42 पुलिस को नाम पता नहीं बताने या गलत बताने से संबंधित है
स्टोरी हाइलाइट्स
  • नाम पता ना बताने पर गिरफ्तारी से संबंधित है धारा 42
  • 1974 में लागू की गई थी सीआरपीसी
  • CrPC में कई बार हुए है संशोधन

Code of Criminal Procedure यानी दंड प्रक्रिया संहिता में अदालत (Court) और पुलिस (Police) से जुड़ी प्रक्रिया (Procedure) और प्रावधानों (Provisions) के बारे में परिभाषा दी गई है. ऐसे ही सीआरपीसी (CrPC) की धारा 42 (Section 42) में  नाम (Name) और निवास (Residence) बताने से इनकार (Refuse) करने पर गिरफ्तारी के संबंध में बताया गया है. तो आइए जानते हैं कि सीआरपीसी की धारा 42 (Section 42) इस संबंध में क्या बताती है?

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सीआरपीसी की धारा 42 (CrPC Section 42)

दंड प्रक्रिया संहिता (Code of Criminal Procedure) की धारा 42 (Section 42) में यह बताया गया है कि नाम (Name) और निवास (Residence) बताने से इनकार (Refuse)  करने पर गिरफ्तारी (Arresting) हो सकती है. CrPC की धारा 42 के अनुसार (1) जब कोई व्यक्ति जिसने पुलिस अधिकारी (Police officer) की उपस्थिति में असंज्ञेय अपराध (non cognizable offense) किया है या जिस पर पुलिस अधिकारी की उपस्थिति (Presence) में असंज्ञेय अपराध करने का अभियोग लगाया गया है, उस अधिकारी की मांग पर अपना नाम (Name) और निवास(Residence) बताने से इनकार करता है या ऐसा नाम या निवास बताता है, जिसके बारे में उस अधिकारी (officer) को यह विश्वास करने का कारण है कि वह मिथ्या (false) है, तब वह ऐसे अधिकारी द्वारा इसलिए गिरफ्तार किया जा सकता है कि उसका नाम और निवास अभिनिश्चित (ascertained) किया जा सके.

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(2) जब ऐसे व्यक्ति का सही नाम और निवास अभिनिश्चित (residence ascertained) कर लिया जाता है तब वह प्रतिभुओं (securities) सहित या रहित यह बंधपत्र निष्पादित (bond executed) करने पर छोड़ दिया जाएगा कि यदि उससे मजिस्ट्रेट के समक्ष हाजिर (Appear before a magistrate) होने की अपेक्षा की गई तो वह उसके समक्ष हाजिर (Appear) होगा:

परंतु यदि ऐसा व्यक्ति भारत में निवासी नहीं है तो वह बंधपत्र (bond) भारत में निवासी प्रतिभू (sureties) या प्रतिभुओं (sureties) द्वारा प्रतिभूत किया जाएगा.

(3) यदि गिरफ्तारी (Arresting) के समय से चौबीस घंटों (twenty four hours) के अंदर ऐसे व्यक्ति का सही नाम और निवास अभिनिश्चित नहीं किया जा सकता है या वह बंधपत्र निष्पादित करने में या अपेक्षित किए जाने पर पर्याप्त प्रतिभू देने में असफल रहता है तो वह अधिकारिता (jurisdiction) रखने वाले निकटतम मजिस्ट्रेट (Magistrate) के पास तत्काल भेज दिया जाएगा।

इसे भी पढ़ें--- CrPC Section 41: जानिए, क्या है सीआरपीसी की धारा 41? 

क्या होती है सीआरपीसी (CrPC)

सीआरपीसी (CRPC) अंग्रेजी का शब्द है. जिसकी फुल फॉर्म Code of Criminal Procedure (कोड ऑफ क्रिमिनल प्रोसिजर) होती है. इसे हिंदी में 'दंड प्रक्रिया संहिता' कहा जाता है. CrPC में 37 अध्याय (Chapter) हैं, जिनके अधीन कुल 484 धाराएं (Sections) मौजूद हैं. जब कोई अपराध होता है, तो हमेशा दो प्रक्रियाएं होती हैं, एक तो पुलिस अपराध (Crime) की जांच करने में अपनाती है, जो पीड़ित (Victim) से संबंधित होती है और दूसरी प्रक्रिया आरोपी (Accused) के संबंध में होती है. सीआरपीसी (CrPC) में इन प्रक्रियाओं का ब्योरा दिया गया है.

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1974 में लागू हुई थी CrPC

सीआरपीसी के लिए 1973 में कानून (Law) पारित किया गया था. इसके बाद 1 अप्रैल 1974 से दंड प्रक्रिया संहिता यानी सीआरपीसी (CrPC) देश में लागू हो गई थी. तब से अब तक CrPC में कई बार संशोधन (Amendment) भी किए गए है.

 

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