दंड प्रक्रिया संहिता (Code of Criminal Procedure) यानी CrPC पुलिस को पीड़ित (Victim) और आरोपी (Accused) के संबंध में दिशा निर्देश तो देती ही है, साथ ही कोर्ट और अदालती कार्रवाई के बारे में भी जानकारी देती है. ऐसी ही है सीआरपीसी की धारा 6. आइए जानते हैं कि CrPC की धारा 6 (Section 6) क्या है और ये क्या कहती है?
सीआरपीसी की धारा 6 (CrPC Section 6)
दंड प्रक्रिया संहिता (Code of Criminal Procedure) की धारा 6 (Section 6) दंड न्यायालयों के वर्गीकरण को स्पष्ट करती है. धारा 6 के मुताबिक उच्च न्यायालयों और इस संहिता से भिन्न किसी विधि के अधीन गठित न्यायालयों के अतिरिक्त, प्रत्येक राज्य में चार प्रकार दंड न्यायालय होंगे. (1) सेशन न्यायालय, (2) प्रथम वर्ग न्यायिक मजिस्ट्रेट और किसी महानगर क्षेत्र में महानगर मजिस्ट्रेट, (3) द्वितीय वर्ग न्यायिक मजिस्ट्रेट और (4) कार्यपालक मजिस्ट्रेट.
साधारण भाषा में कहें तो दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) की धारा 6 (Section 6) ये बताता है कि हाई कोर्ट (High Court) और सीआरपीसी (CrPC) के अलावा किसी और लॉ के तहत अगर न्यायालय गठित किए गए हैं, तो उनको छोड़कर हमारे पास चार तरह के क्रिमिनल कोर्ट (Criminal Court) होते हैं-
(1) सेशन न्यायालय (Session Court)
(2) प्रथम वर्ग न्यायिक मजिस्ट्रेट और किसी महानगर क्षेत्र में महानगर मजिस्ट्रेट (Judicial Magistrate of the first class and Metropolitan Magistrate in any metropolitan area)
(3) द्वितीय वर्ग न्यायिक मजिस्ट्रेट (Judicial Magistrate of the second class)
(4) कार्यपालक मजिस्ट्रेट (Executive Magistrate)
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क्या होती है सीआरपीसी (CrPC)
सीआरपीसी (CRPC) अंग्रेजी का शब्द है. जिसकी फुल फॉर्म Code of Criminal Procedure (कोड ऑफ क्रिमिनल प्रोसिजर) होती है. इसे हिंदी में 'दंड प्रक्रिया संहिता' कहा जाता है. दंड प्रिक्रिया संहिता यानी CrPC में 37 अध्याय हैं, जिनके अधीन कुल 484 धाराएं आती हैं. जब कोई अपराध होता है, तो हमेशा दो प्रक्रियाएं होती हैं, एक तो पुलिस अपराध की जांच करने में अपनाती है, जो पीड़ित से संबंधित होती है और दूसरी प्रक्रिया आरोपी के संबंध में होती है. सीआरपीसी (CrPC) में इन प्रक्रियाओं का ब्योरा दिया गया है.
1974 में लागू हुई थी CrPC
सीआरपीसी के लिए 1973 में कानून पारित किया गया था. इसके बाद 1 अप्रैल 1974 से दंड प्रक्रिया संहिता यानी सीआरपीसी (CrPC) देश में लागू हो गई थी. तब से अब तक CrPC में कई बार संशोधन भी किए गए है.