दंड प्रक्रिया संहिता (Code of Criminal Procedure) में अदालत (Court) और पुलिस (Police) के काम करने की प्रक्रिया (Process) के बारे में जानकारी मौजूद है. ऐसे ही सीआरपीसी (CrPC) की धारा 67 (Section 67) में स्थानीय सीमाओं के बाहर (Outside Local Limits) समन की तामील को लेकर प्रावधान (provision) किया गया है. तो चलिए जानते हैं कि सीआरपीसी की धारा 67 इस बारे में क्या कहती है?
सीआरपीसी की धारा 67 (CrPC Section 67)
दंड प्रक्रिया संहिता (Code of Criminal Procedure) की धारा 67 (Section 67) में बताया गया है कि स्थानीय सीमाओं के बाहर (Outside Local Limits) समन की तामील (service of summons) करने के बारे में बताया गया है. CrPC की धारा 67 के मुताबिक, जब न्यायालय (Court) यह चाहता है कि उसके द्वारा जारी किए गए समन (summon) की तामील उसकी स्थानीय अधिकारिता (local jurisdiction) के बाहर किसी स्थान में की जाए तब वह मामूली तौर पर ऐसा समन दो प्रतियों में उस मजिस्ट्रेट (magistrate) को भेजेगा, जिसकी स्थानीय अधिकारिता के अंदर उसकी तामील की जानी है या समन किया गया व्यक्ति निवास करता है.
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क्या होती है सीआरपीसी (CrPC)
सीआरपीसी (CRPC) अंग्रेजी का शब्द है. जिसकी फुल फॉर्म Code of Criminal Procedure (कोड ऑफ क्रिमिनल प्रोसिजर) होती है. इसे हिंदी में 'दंड प्रक्रिया संहिता' कहा जाता है. CrPC में 37 अध्याय (Chapter) हैं, जिनके अधीन कुल 484 धाराएं (Sections) मौजूद हैं. जब कोई अपराध होता है, तो हमेशा दो प्रक्रियाएं होती हैं, एक तो पुलिस अपराध (Crime) की जांच करने में अपनाती है, जो पीड़ित (Victim) से संबंधित होती है और दूसरी प्रक्रिया आरोपी (Accused) के संबंध में होती है. सीआरपीसी (CrPC) में इन प्रक्रियाओं का ब्योरा दिया गया है.
1974 में लागू हुई थी CrPC
सीआरपीसी के लिए 1973 में कानून (Law) पारित किया गया था. इसके बाद 1 अप्रैल 1974 से दंड प्रक्रिया संहिता यानी सीआरपीसी (CrPC) देश में लागू हो गई थी. तब से अब तक CrPC में कई बार संशोधन (Amendment) भी किए गए है.
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