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CrPC Section 68: जब तामील करने वाला अफसर न हो मौजूद, धारा 68 करती है ये प्रावधान

सीआरपीसी (CrPC) की धारा 68 (Section 68) में बताया गया कि ऐसे मामलों में और जब समन तामील करने वाला अधिकारी उपस्थित न हो तब तामील कैसे हो. तो चलिए जानते हैं कि सीआरपीसी की धारा 68 इस बारे में क्या कहती है?

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अफसर की गैरमौजूदगी में तामील कराने से जुड़ी है CrPC की धारा 68
अफसर की गैरमौजूदगी में तामील कराने से जुड़ी है CrPC की धारा 68
स्टोरी हाइलाइट्स
  • अफसर की गैरमौजूदगी में तामील कराने से जुड़ी है CrPC की धारा 68
  • 1974 में लागू की गई थी सीआरपीसी
  • CrPC में कई बार हुए है संशोधन

Code of Criminal Procedure (दंड प्रक्रिया संहिता) में न्यायलय (Court) और पुलिस (Police) के काम करने की प्रक्रिया (Process) के बारे में जानकारी मौजूद है. ऐसे ही सीआरपीसी (CrPC) की धारा 68 (Section 68) में बताया गया कि ऐसे मामलों में और जब समन तामील करने वाला अधिकारी उपस्थित न हो तब तामील कैसे हो. तो चलिए जानते हैं कि सीआरपीसी की धारा 68 इस बारे में क्या कहती है?

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सीआरपीसी की धारा 68 (CrPC Section 68)
दंड प्रक्रिया संहिता (Code of Criminal Procedure) की धारा 68 (Section 68) में बताया गया कि ऐसे मामलों में जब सेवारत अधिकारी उपस्थित न हों तो सेवा का प्रमाण कैसे लिया जाए. CrPC की धारा 68 के मुताबिक-

(1) जब न्यायालय द्वारा जारी किए गए समन (summons issued by a Court) की तामील उसकी स्थानीय अधिकारिता (local jurisdiction) के बाहर की गई है तब और ऐसे किसी मामले में जिसमें वह अधिकारी (officer) जिसने समन की तामील की है, मामले की सुनवाई (hearing of the case) के समय उपस्थित नहीं है, मजिस्ट्रेट के समक्ष (before a magistrate) किया गया तात्पर्यित यह शपथपत्र (purporting this affidavit) कि ऐसे समन की तामील हो गई है और समन की दूसरी प्रति, जिसका उस व्यक्ति द्वारा जिसको समन परिदत्त या निविदत्त (summons delivered or tendered) किया गया था, या जिसके पास वह छोड़ा गया था (धारा 62 या धारा 64 में उपबंधित प्रकार से), पृष्ठांकित होना तात्पर्यित (purported to be endorsed) है. साक्ष्य में ग्राह्य होगी और जब तक तत्प्रतिकूल साबित (prove to the contrary) न किया जाए, उसमें किए गए कथन सही माने जाएंगे.

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(2) इस धारा (Section) में वर्णित शपथपत्र (affidavit mentioned) समन की दूसरी प्रति (duplicate copy of the summon) से संलग्न किया जा सकता है और उस न्यायालय (court) को भेजा जा सकता है.

इसे भी पढ़ें--- CrPC Section 67: स्थानीय सीमाओं के बाहर समन की तामील करना बताती है धारा 67 

क्या होती है सीआरपीसी (CrPC)
सीआरपीसी (CRPC) अंग्रेजी का शब्द है. जिसकी फुल फॉर्म Code of Criminal Procedure (कोड ऑफ क्रिमिनल प्रोसिजर) होती है. इसे हिंदी में 'दंड प्रक्रिया संहिता' कहा जाता है. CrPC में 37 अध्याय (Chapter) हैं, जिनके अधीन कुल 484 धाराएं (Sections) मौजूद हैं. जब कोई अपराध होता है, तो हमेशा दो प्रक्रियाएं होती हैं, एक तो पुलिस अपराध (Crime) की जांच करने में अपनाती है, जो पीड़ित (Victim) से संबंधित होती है और दूसरी प्रक्रिया आरोपी (Accused) के संबंध में होती है. सीआरपीसी (CrPC) में इन प्रक्रियाओं का ब्योरा दिया गया है.

1974 में लागू हुई थी CrPC
सीआरपीसी के लिए 1973 में कानून (Law) पारित किया गया था. इसके बाद 1 अप्रैल 1974 से दंड प्रक्रिया संहिता यानी सीआरपीसी (CrPC) देश में लागू हो गई थी. तब से अब तक CrPC में कई बार संशोधन (Amendment) भी किए गए है.

 

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