Code of Criminal Procedure: दंड प्रक्रिया संहिता में कोर्ट और पुलिस प्रशासन के काम करने की प्रक्रिया (Process) और उससे जुड़े प्रावधान मिलते हैं. ऐसे ही सीआरपीसी (CrPC) की धारा 71 (Section 71) में प्रतिभूति (Surety) लेने का निर्देश देने की शक्ति (Power) के बारे में बताया गया है. आइए जानते हैं कि सीआरपीसी की धारा 71 इस बारे में क्या जानकारी देती है?
सीआरपीसी की धारा 71 (CrPC Section 71)
दंड प्रक्रिया संहिता (Code of Criminal Procedure) की धारा 71 (Section 71) में प्रतिभूति लिए जाने का निदेश देने की शक्ति (Power to direct surety/security to be taken) के बारे में प्रावधान किया गया है. CrPC की धारा 71 के अनुसार-
(1) किसी व्यक्ति की गिरफ्तारी (Arrest of any person) के लिए वारंट (Warrant) जारी करने वाला कोई न्यायालय (Court) वारंट पर पृष्ठांकन द्वारा स्वविवेकानुसार (at its discretion) यह निदेश दे सकता है कि यदि वह व्यक्ति न्यायालय के समक्ष (Before the court) विनिर्दिष्ट समय (Specified time) पर और तत्पश्चात् जब तक न्यायालय द्वारा अन्यथा निदेश नहीं दिया जाता है, तब तक अपनी हाजिरी (Your attendance) के लिए पर्याप्त प्रतिभुओं (Sufficient securities) सहित बंधपत्र निष्पादित (Bond executed) करता है तो वह अधिकार जिसे वारंट निर्दिष्ट किया गया है. ऐसी प्रतिभूति (security) लेगा और उस व्यक्ति को अभिरक्षा (Custody) से छोड़ देगा.
(2) पृष्ठांकन (endorsement) में निम्नलिखित बातें कथित होंगी-
(क) प्रतिभुओं की संख्या; (the number of sureties)
(ख) वह रकम (Amount), जिसके लिए क्रमशः प्रतिभू (Surety) और वह व्यक्ति, जिसकी गिरफ्तारी के लिए वारंट जारी किया (Arrest the warrant is issued) गया है. आबद्ध होने हैं;
(ग) वह समय जब न्यायालय (Court) के समक्ष उसे हाजिर होना (to be present) है.
(3) जब कभी इस धारा के अधीन प्रतिभूति (surety is taken under this section) ली जाती है, तब वह अधिकारी (Officer) जिसे वारंट निर्दिष्ट है, बंधपत्र (Bond) न्यायालय के पास भेज देगा.
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क्या होती है सीआरपीसी (CrPC)
सीआरपीसी (CRPC) अंग्रेजी का शब्द है. जिसकी फुल फॉर्म Code of Criminal Procedure (कोड ऑफ क्रिमिनल प्रोसिजर) होती है. इसे हिंदी में 'दंड प्रक्रिया संहिता' कहा जाता है. CrPC में 37 अध्याय (Chapter) हैं, जिनके अधीन कुल 484 धाराएं (Sections) मौजूद हैं. जब कोई अपराध होता है, तो हमेशा दो प्रक्रियाएं होती हैं, एक तो पुलिस अपराध (Crime) की जांच करने में अपनाती है, जो पीड़ित (Victim) से संबंधित होती है और दूसरी प्रक्रिया आरोपी (Accused) के संबंध में होती है. सीआरपीसी (CrPC) में इन प्रक्रियाओं का ब्योरा दिया गया है.
1974 में लागू हुई थी CrPC
सीआरपीसी के लिए 1973 में कानून (Law) पारित किया गया था. इसके बाद 1 अप्रैल 1974 से दंड प्रक्रिया संहिता यानी सीआरपीसी (CrPC) देश में लागू हो गई थी. तब से अब तक CrPC में कई बार संशोधन (Amendment) भी किए गए है.