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CrPC Section 75: वारंट के सार की अधिसूचना से संबंधित है सीआरपीसी की धारा 75

सीआरपीसी (CrPC) की धारा 75 के विषय में, जो वारंट के सार की अधिसूचना को लेकर प्रावधान करती है. आइए जानते हैं कि सीआरपीसी की धारा 75 इस विषय पर क्या कहती है?

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वारंट के सार की अधिसूचना से जुड़ी है धारा 74
वारंट के सार की अधिसूचना से जुड़ी है धारा 74
स्टोरी हाइलाइट्स
  • वारंट के सार की अधिसूचना से जुड़ी है धारा 74
  • 1974 में लागू की गई थी सीआरपीसी
  • CrPC में कई बार हो चुके हैं संशोधन

दंड प्रक्रिया संहिता (Code of Criminal Procedure) की धाराओं (Sections) और प्रावधानों (Provisions) के बारे में हम लगातार आपको जानकारी दे रहे हैं. इसी श्रृंखला में आगे हम बात करेंगे सीआरपीसी (CrPC) की धारा 75 (Section 75) के विषय में, जो वारंट के सार की अधिसूचना (Notification of substance of warrant) को लेकर प्रावधान (Provision) करती है. आइए जानते हैं कि सीआरपीसी की धारा 75 इस विषय पर क्या कहती है?

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सीआरपीसी की धारा 75 (CrPC Section 75)
दंड प्रक्रिया संहिता (Code of Criminal Procedure) की धारा 75 (Section 75) में वारंट के सार (Substance of warrant) की सूचना (Notification) के विषय में प्रावधान किया गया है. CrPC की धारा 75 के अनुसार, पुलिस अधिकारी (Police Officer) या अन्य व्यक्ति, जो गिरफ्तारी (Arresting) के वारंट का निष्पादन (Execution of warrant) कर रहा है, उस व्यक्ति को जिसे गिरफ्तार करना है, उसका सार सूचित (Abstract informed) करेगा और यदि ऐसी अपेक्षा की जाती है तो वारंट उस व्यक्ति को दिखा देगा.

आम भाषा में कहें तो अगर कोई पुलिस अधिकारी किसी भी व्यक्ति को गिरफ्तार करने जाता है, तो उससे पहले वो पुलिस अधिकारी गिरफ्तारी वारंट की सूचना देगा और अगर ज़रुरत पड़े तो उसे वारंट दिखाएगा. CrPC की धारा में 75 में यह अधिकार सभी आम लोगों के लिए है.

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इसे भी पढ़ें--- CrPC Section 73: किसी भी व्यक्ति को निर्देशित हो सकता है वारंट, ये है प्रावधान 

क्या होती है सीआरपीसी (CrPC)
सीआरपीसी (CRPC) अंग्रेजी का शब्द है. जिसकी फुल फॉर्म Code of Criminal Procedure (कोड ऑफ क्रिमिनल प्रोसिजर) होती है. इसे हिंदी में 'दंड प्रक्रिया संहिता' कहा जाता है. CrPC में 37 अध्याय (Chapter) हैं, जिनके अधीन कुल 484 धाराएं (Sections) मौजूद हैं. जब कोई अपराध होता है, तो हमेशा दो प्रक्रियाएं होती हैं, एक तो पुलिस अपराध (Crime) की जांच करने में अपनाती है, जो पीड़ित (Victim) से संबंधित होती है और दूसरी प्रक्रिया आरोपी (Accused) के संबंध में होती है. सीआरपीसी (CrPC) में इन प्रक्रियाओं का ब्योरा दिया गया है.

1974 में लागू हुई थी CrPC
सीआरपीसी के लिए 1973 में कानून (Law) पारित किया गया था. इसके बाद 1 अप्रैल 1974 से दंड प्रक्रिया संहिता यानी सीआरपीसी (CrPC) देश में लागू हो गई थी. तब से अब तक CrPC में कई बार संशोधन (Amendment) भी किए गए है.

 

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