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CrPC Section 76: गिरफ्तार किए गए शख्स को कोर्ट में पेश करने से जुड़ी है धारा 76

सीआरपीसी की धारा 76 में गिरफ्तार किए गए शख्स को बिना देर किए कोर्ट में पेश करने का प्रावधान किया गया है. तो चलिए जानते हैं कि सीआरपीसी की धारा 76 इस बारे में क्या जानकारी देती है?

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गिरफ्तार शख्स को अविलंब कोर्ट में पेश करने का प्रावधान करती है CrPC धारा 76
गिरफ्तार शख्स को अविलंब कोर्ट में पेश करने का प्रावधान करती है CrPC धारा 76
स्टोरी हाइलाइट्स
  • गिरफ्तार किए गए शख्स की कोर्ट ले जाने से जुड़ी है ये धारा
  • 1974 में लागू की गई थी सीआरपीसी
  • CrPC में कई बार हुए है संशोधन

Code of Criminal Procedure: दंड प्रक्रिया संहिता की धाराओं (Sections) के विषय में हम लगातार आपको जानकारी दे रहे हैं. ताकि आप सीआरपीसी की धाराओं को जान लें. अब बात होगी सीआरपीसी (CrPC) की धारा 76 (Section 76) के बारे में, जो गिरफ्तार (Arrested) किए गए शख्स को बिना देर किए कोर्ट (Court) में पेश करने का प्रावधान (Provision) बताती है. तो चलिए जानते हैं कि सीआरपीसी की धारा 76 इस बारे में क्या जानकारी देती है?

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सीआरपीसी की धारा 76 (CrPC Section 76)
दंड प्रक्रिया संहिता (Code of Criminal Procedure) की धारा 76 (Section 76) में किसी भी मामले में गिरफ्तार किए गए किसी भी शख्स को बिना देरी के अदालत में पेश करने की प्रक्रिया को परिभाषित किया गया है. CrPC की धारा 76 के अनुसार, पुलिस अधिकारी (Police officer) या अन्य व्यक्ति, जो गिरफ्तारी के वारंट का निष्पादन (Execution of warrant) करता है, गिरफ्तार किए गए व्यक्ति को (धारा 71 के प्रतिभूति संबंधी उपबंधों के अधीन रहते हुए) अनावश्यक विलंब (Unnecessary delay) के बिना उस न्यायालय (Court) के समक्ष लाएगा जिसके समक्ष उस व्यक्ति को पेश करने के लिए वह विधि द्वारा अपेक्षित (Required by law) है. परंतु ऐसा विलंब किसी भी दशा में गिरफ्तारी के स्थान से मजिस्ट्रेट के न्यायालय (Court of magistrate) तक यात्रा के लिए आवश्यक समय को छोड़कर चौबीस घंटे से अधिक नहीं होगा.

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इसे भी पढ़ें--- CrPC Section 75: वारंट के सार की अधिसूचना से संबंधित है सीआरपीसी की धारा 75 

क्या है सीआरपीसी (CrPC)
सीआरपीसी (CRPC) अंग्रेजी का शब्द है. जिसकी फुल फॉर्म Code of Criminal Procedure (कोड ऑफ क्रिमिनल प्रोसिजर) होती है. इसे हिंदी में 'दंड प्रक्रिया संहिता' कहा जाता है. CrPC में 37 अध्याय (Chapter) हैं, जिनके अधीन कुल 484 धाराएं (Sections) मौजूद हैं. जब कोई अपराध होता है, तो हमेशा दो प्रक्रियाएं होती हैं, एक तो पुलिस अपराध (Crime) की जांच करने में अपनाती है, जो पीड़ित (Victim) से संबंधित होती है और दूसरी प्रक्रिया आरोपी (Accused) के संबंध में होती है. सीआरपीसी (CrPC) में इन प्रक्रियाओं का ब्योरा दिया गया है.

1974 में लागू हुई थी CrPC
सीआरपीसी के लिए 1973 में कानून (Law) पारित किया गया था. इसके बाद 1 अप्रैल 1974 से दंड प्रक्रिया संहिता यानी सीआरपीसी (CrPC) देश में लागू हो गई थी. तब से अब तक CrPC में कई बार संशोधन (Amendment) भी किए गए है.

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