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CrPC Section 88: हाजिरी के लिए बंधपत्र लेने की शक्ति बताती है सीआरपीसी की धारा 88

सीआरपीसी (CrPC) की धारा 88 (Section 88) हाजिरी के लिए बंधपत्र (Bond) लेने की शक्ति का प्रावधान (Provision) करती है. तो चलिए जानते हैं कि सीआरपीसी की धारा 88 इस बारे में क्या जानकारी देती है?

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CrPC की धारा 88 हाजिरी के लिए बंधपत्र लेने की शक्ति से संबंधित है
CrPC की धारा 88 हाजिरी के लिए बंधपत्र लेने की शक्ति से संबंधित है
स्टोरी हाइलाइट्स
  • हाजिरी के लिए बंधपत्र लेने की शक्ति से जुड़ी है ये धारा
  • 1974 में लागू की गई थी सीआरपीसी
  • CrPC में कई बार हुए है संशोधन

Code of Criminal Procedure: दंड प्रक्रिया संहिता की धाराओं में उन कानूनी प्रक्रियाओं (Legal procedures) को परिभाषित किया गया है, जिनका इस्तेमाल कोर्ट (Court) और पुलिस (Police) अपने काम के दौरान करती है. ऐसे ही सीआरपीसी (CrPC) की धारा 88 (Section 88) हाजिरी के लिए बंधपत्र (Bond) लेने की शक्ति का प्रावधान (Provision) करती है. तो चलिए जानते हैं कि सीआरपीसी की धारा 88 इस बारे में क्या जानकारी देती है?

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सीआरपीसी की धारा 88 (CrPC Section 88)
दंड प्रक्रिया संहिता (Code of Criminal Proced) की धारा 88 के तहत हाजिरी यानि पेशी के लिए बंधपत्र (Bond) लेने की शक्ति को परिभाषित करते हुए इसका प्रावधान बताया गया है. CrPC की धारा 88 के मुताबिक, जब कोई व्यक्ति, जिसकी हाजिरी या गिरफ्तारी (Appearing or arrest) के लिए किसी न्यायालय (Court) का पीठासीन अधिकारी (Presiding Officer) समन या वारंट (Summon or warrant) जारी करने के लिए सशक्त (Strong) है, ऐसे न्यायालय में उपस्थित है तब वह अधिकारी (Officer) उस व्यक्ति से अपेक्षा कर सकता है कि वह उस न्यायालय में या किसी अन्य न्यायालय में, जिसको मामला विचारण के लिए अंतरित (Transferred for trial) किया जाता है, अपनी हाजिरी के लिए बंधपत्र, प्रतिभुओं (Bond for attendance, sureties) सहित या रहित, निष्पादित करे.

इसे भी पढ़ें--- IPC Section 87: सहमति से किए गए कार्य को परिभाषित करती है आईपीसी की धारा 87 

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क्या है सीआरपीसी (CrPC)
सीआरपीसी (CRPC) अंग्रेजी का शब्द है. जिसकी फुल फॉर्म Code of Criminal Procedure (कोड ऑफ क्रिमिनल प्रोसिजर) होती है. इसे हिंदी में 'दंड प्रक्रिया संहिता' कहा जाता है. CrPC में 37 अध्याय (Chapter) हैं, जिनके अधीन कुल 484 धाराएं (Sections) मौजूद हैं. जब कोई अपराध होता है, तो हमेशा दो प्रक्रियाएं होती हैं, एक तो पुलिस अपराध (Crime) की जांच करने में अपनाती है, जो पीड़ित (Victim) से संबंधित होती है और दूसरी प्रक्रिया आरोपी (Accused) के संबंध में होती है. सीआरपीसी (CrPC) में इन प्रक्रियाओं का ब्योरा दिया गया है.

1974 में लागू हुई थी CrPC
सीआरपीसी के लिए 1973 में कानून (Law) पारित किया गया था. इसके बाद 1 अप्रैल 1974 से दंड प्रक्रिया संहिता यानी सीआरपीसी (CrPC) देश में लागू हो गई थी. तब से अब तक CrPC में कई बार संशोधन (Amendment) भी किए गए है.

 

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