Code of Criminal Procedure: दंड प्रक्रिया संहिता की धाराएं उन कानूनी प्रक्रियाओं (Legal procedures) के बारे में विधिपूर्ण जानकारी देती हैं, जो न्यायलय (Court) और पुलिस (Police) की कार्य प्रणाली के दौरान प्रयोग में लाई जाती हैं. इसी प्रकार सीआरपीसी (CrPC) की धारा 96 (Section 96) में जब्ती की घोषणा रद्द करने के लिए उच्च न्यायालय (High Court) में आवेदन करने की प्रक्रिया को परिभाषित (Define) करती है. आइए जानते हैं कि सीआरपीसी की धारा 96 इस बारे में क्या कहती है?
सीआरपीसी की धारा 96 (CrPC Section 96)
दंड प्रक्रिया संहिता (Code of Criminal Proced) की धारा (96 Section 96) में जब्ती की घोषणा रद्द करने के लिए उच्च न्यायालय में आवेदन करने का प्रावधान बताया गया है. CrPC की धारा 96 के मुताबिक-
(1) किसी ऐसे समाचार-पत्र, पुस्तक या अन्य दस्तावेज में, जिसके बारे में धारा 95 के अधीन समपहरण की घोषणा की गई है, कोई हित रखने वाला कोई व्यक्ति उस घोषणा के राजपत्र में प्रकाशन की तारीख से दो मास के अंदर उस घोषणा को इस आधार पर अपास्त कराने के लिए उच्च न्यायालय में आवेदन कर सकता है कि समाचार-पत्र के उस अंक या उस पुस्तक अथवा अन्य दस्तावेज में, जिसके बारे में वह घोषणा की गई थी; कोई ऐसी बात अंतर्विष्ट नहीं है जो धारा 95 की उपधारा (1) में निर्दिष्ट है.
(2) जहां उच्च न्यायालय में तीन या अधिक न्यायाधीश हैं, वहां ऐसा प्रत्येक आवेदन उच्च न्यायालय के तीन न्यायाधीशों से बनी विशेष न्यायपीठ द्वारा सुना और अवधारित किया जाएगा और जहां उच्च न्यायालय में तीन से कम न्यायाधीश हैं वहां ऐसी विशेष न्यायपीठ में उस उच्च न्यायालय के सब न्यायाधीश होंगे.
(3) किसी समाचार-पत्र के संबंध में ऐसे किसी आवेदन की सुनवाई में, उस समाचार-पत्र में, जिसकी बाबत समपहरण की घोषणा की गई थी, अंतर्विष्ट शब्दों, चिह्नों या दृश्यरूपणों की प्रकृति या प्रवृत्ति के सबूत में सहायता के लिए उस समाचार-पत्र की कोई प्रति साक्ष्य में दी जा सकती है.
(4) यदि उच्च न्यायालय का इस बारे में समाधान नहीं होता है कि समाचार-पत्र के उस अंक में या उस पुस्तक या अन्य दस्तावेज में, जिसके बारे में वह आवेदन किया गया है, कोई ऐसी बात अंतर्विष्ट है जो धारा 95 की उपधारा (1) में निर्दिष्ट है, तो वह समपहरण की घोषणा को अपास्त कर देगा.
(5) जहां उन न्यायाधीशों में, जिनसे विशेष न्यायपीठ बनी है, मतभेद है वहां विनिश्चय उन न्यायाधीशों की बहुसंख्या की राय के अनुसार होगा.
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क्या है सीआरपीसी (CrPC)
सीआरपीसी (CRPC) अंग्रेजी का शब्द है. जिसकी फुल फॉर्म Code of Criminal Procedure (कोड ऑफ क्रिमिनल प्रोसिजर) होती है. इसे हिंदी में 'दंड प्रक्रिया संहिता' कहा जाता है. CrPC में 37 अध्याय (Chapter) हैं, जिनके अधीन कुल 484 धाराएं (Sections) मौजूद हैं. जब कोई अपराध होता है, तो हमेशा दो प्रक्रियाएं होती हैं, एक तो पुलिस अपराध (Crime) की जांच करने में अपनाती है, जो पीड़ित (Victim) से संबंधित होती है और दूसरी प्रक्रिया आरोपी (Accused) के संबंध में होती है. सीआरपीसी (CrPC) में इन प्रक्रियाओं का ब्योरा दिया गया है.
1974 में लागू हुई थी CrPC
सीआरपीसी के लिए 1973 में कानून (Law) पारित किया गया था. इसके बाद 1 अप्रैल 1974 से दंड प्रक्रिया संहिता यानी सीआरपीसी (CrPC) देश में लागू हो गई थी. तब से अब तक CrPC में कई बार संशोधन (Amendment) भी किए गए है.