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केरल में बढ़ रहे तालिबान 'समर्थक', पढ़ी-लिखी महिलाएं हो रहीं टारगेट, CPM के दस्तावेजों में हुआ खुलासा

सीपीएम के दस्तावेजों में केरल में तालिबान समर्थक भावना बढ़ने पर चिंता जताई गई है. दस्तावेजों में जमात-ए-इस्लामी हिंद को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया गया है. दावा किया गया है कि तालिबान समर्थक भावनाएं बढ़ाने के लिए जमात पढ़ी-लिखी महिलाओं को टारगेट कर रहा है.

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सीपीएम ने ये दस्तावेज अपने कार्यकर्ताओं को बांटे हैं. (फाइल फोटो-पीटीआई)
सीपीएम ने ये दस्तावेज अपने कार्यकर्ताओं को बांटे हैं. (फाइल फोटो-पीटीआई)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • सीपीएम के दस्तावेजों में बड़ा खुलासा
  • केरल में तालिबान के प्रति बढ़ रहा झुकाव
  • पढ़ी-लिखी महिलाएं हो रहीं टारगेट

केरल में तालिबान का समर्थन बढ़ता जा रहा है. इस बात का खुलासा केरल की कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (मार्क्सवादी) के एक आंतरिक दस्तावेज से हुआ है. इन दस्तावेजों को सीपीएम ने अपने पार्टी काडरों के बीच बांटा था. इन दस्तावेजों को जब आज तक ने एक्सेस किया तो पता चला कि केरल में सीपीएम 'तालिबान समर्थित भावना' के बढ़ने से चिंता में है.

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इस दस्तावेज के मुताबिक, जमात-ए-इस्लामी हिंद सांप्रदायिक भावनाओं को भड़काने का का काम कर रहा है. दावा है कि जमात केरल में अपने एजेंडे को बढ़ाने के लिए अपने प्रकाशनों और सोशल मीडिया का इस्तेमाल कर रहा है. जमात का मकसद इस्लामिक राज की स्थापना है. सीपीएम के दस्तावेजों में दावा किया गया है कि अपने विचारों को मुस्लिम समुदाय के साथ-साथ दूसरे समाजों में भी फैला रहा है. इतना ही नहीं, ये भी दावा है कि ईसाइयों को मुसलमानों के खिलाफ भड़काने की कोशिश भी हो रही है.

पढ़ी-लिखी महिलाओं को किया जा रहा टारगेट

2011 की जनगणना के अनुसार, केरल की 26 फीसदी आबादी मुसलमान है. सीपीएम के दस्तावेज में कहा गया है, 'ये गंभीर चिंता का विषय है कि केरल में तालिबान के समर्थन की चर्चा हो रही है. जबकि, मुस्लिम समुदाय समेत दुनियाभर में इसकी निंदा हो रही है.' इसमें दावा किया गया है कि पढ़ी-लिखी महिलाओं को इस विचारधारा की ओर लुभाने की कोशिश हो रही है. 

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सीपीएम ने इसके लिए जमात को दोषी ठहराया है. साथ ही अपने संगठनों और कार्यकर्ताओं को सांप्रदायिकता के खिलाफ एकजुट होने की बात कही है. दस्तावेजों में ये भी कहा गया है कि संघ परिवार की गतिविधियों के कारण अल्पसंख्यकों में सांप्रदायिक भावनाएं बढ़ रही हैं. ये संभवतः पहली बार है जब मार्क्सवादी पार्टी ने केरल में मुसलमानों में बढ़ते कट्टरपंथ का मुकाबला करने के लिए इस तरह के कदम उठाए हैं.

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सीपीएम ने कहा, संघ की वजह से बढ़ रहा कट्टरपंथ

सीपीएम पोलितब्यूरो के सदस्य एमए बेबी ने आज तक से कहा, 'ये सही है कि हमने अपने पार्टी दस्तावेज में सांप्रदायिक और कट्टरपंथी ताकतों को लेकर आगाह किया है.' हालांकि, उन्होंने दावा करते हुए ये भी कहा कि युवाओं और छात्रों का 'कट्टरपंथी और आतंकवादी गतिविधियों' की ओर जाने को संघ परिवार की गतिविधियों से भी जोड़कर देखना चाहिए. 

सीपीएम ने दावा कि ये गतिविधियां राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की गतिविधियों के जवाब में हो रही हैं. उन्होंने कहा, 'आरएसएस की गतिविधियों के जवाब में अल्पसंख्यक समुदाय का एक वर्ग भी उसी तरह के प्रतिशोध की ओर आकर्षित होगा और संघ परिवार की नकल करेगा.' उन्होंने कहा, 'हमें इस बात की ओर भी ध्यान देना चाहिए कई कथित मुस्लिम देशों की तुलना में भारत में मुसलमान आबादी कहीं ज्यादा है.' हालांकि, उन्होंने ये भी कहा कि केरल में जमात-ए-इस्लामी चरमपंथी ताकतों के पनपने का माहौल बना रही है.

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जमात ने इन आरोपों को खारिज किया

वहीं, जमात-ए-इस्लामी हिंद ने इन आरोपों और दावों को खारिज कर दिया है. जमात के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मोहम्मद सलीम इंजीनियर ने कहा, 'जमात-ए-इस्लामी हिंद के बारे में गलत धारणा बनाने की कोशिश राजनीतिक मजबूरी या राजनीतिक फायदे के लिए की जा रही है.' उन्होंने दावा किया कि जमात का एजेंडा सांप्रदायिक और विभाजनकारी प्रकृति के खिलाफ रहता है. उन्होंने राजनीतिक पार्टियों को सुझाव दिया कि वो झूठा प्रोपेगैंडा फैलाना बंद करें.

तालिबान समर्थक भावनाएं बढ़ाने के आरोप को जमात ने बिना सबूत के झूठा प्रचार बताया है. जमात के सचिव सैयद तनवीर अहमद ने कहा कि ऐसे आरोप लगाने से पहले ठीक तरह से वेरिफाई कर लेना चाहिए. उन्होंने कहा कि ये एक गलत धारणा और झूठा प्रोपेगैंडा भी हो सकता है. उन्होंने कहा कि इस तरह के आरोपों से हिंदू-मुसलमानों में दूरियां बढ़ती हैं और इसका फायदा कुछ राजनीतिक पार्टियों को होता है.

 

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