दिल्ली कैंट में 9 साल की मासूम बच्ची की हत्या के मामले में सियासत तेज़ हो गई है. पीड़ित परिवार से हर राजनीतिक पार्टी के लोग मिलने पहुंच रहे हैं. दिल्ली प्रदेश कांग्रेस की लीगल टीम ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग से अपील की है कि आयोग की टीम पीड़िता के परिजनों से मिलने जाए और उनके बयान दर्ज करे. पीड़ित परिवार से जाने कि हादसा किस तरह से हुआ? उधर, दिल्ली में ऐसे मामलों की संख्या पर नजर डालें तो पता चलता है कि इस साल रेप और छेड़खानी के मामलों में बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है.
लीगल टीम के हेड सुनील कुमार ने कहा कि पुलिस ने ठीक तरीके से अपनी ड्यूटी नहीं निभाई. पीड़िता के परिजनों को टॉर्चर किया. छह-सात घंटे थाने में बिठाए रखा. एससी एसटी एक्ट भी बाद में लगाया. इस बात की भी जांच होनी चाहिए कि पुलिस ने डिले क्यों किया. पीड़िता को मुआवजा मिले. उनके परिजनों को सिक्योरिटी दी जाए. क्योंकि परिजनों को सिक्योरिटी थ्रेट है.
खासकर महिलाओं बच्चों के मामले में जब भी एससी एसटी एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज होता है तो पुलिस को विशेष रूप से एसआईटी का गठन करना चाहिए. यह डायरेक्शन मानवाधिकार आयोग पुलिस को दे. पुलिसिंग को सुधारना पड़ेगा पुलिस ढंग से इन्वेस्टिगेट करे तो मुजरिम नहीं बचेगा.
उधर, दिल्ली बीजेपी महिला मोर्चा की अध्यक्षा योगिता सिंह ने भी पीड़ित परिवार के लिए इसाफ की मांग की है.
राजधानी दिल्ली में अगर इस साल अपराध के आंकड़ों पर नजर डाली जाए तो पता चलता है कि पिछले साल की तुलना में इस साल रेप और छेड़खानी के मामलों में इजाफा हुआ है. दिल्ली पुलिस के आंकड़ो पर गौर करें तो इस साल रेप, डकैती, लूटपाट, हत्या जैसे संगीन जुर्म पिछले साल के मुकाबले हर दिन बढ़े हैं.-
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2020 |
2021 |
रेप |
580 |
833 |
छेड़खानी |
735 |
1022 |
डकैती |
4 |
7 |
हत्या का प्रयास |
236 |
295 |
झपटमारी |
2612 |
3829 |
मारपीट |
421 |
493 |
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(आंकड़े 15 जून तक) |
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दिल्ली पुलिस के पीआरओ चिन्मय बिश्वाल का कहना है कि दिल्ली में महिलाओं, लड़कियों की सुरक्षा सबसे बड़ी प्राथमिकता है. यही वजह है कि महिला पुलिसकर्मी भी बाइक और स्कूटर से पट्रोलिंग करती हैं. बीट में महिला ऑफिसर भी तैनाती की गई हैं.