दिल्ली पुलिस की आईएफएसओ (IFSO) यूनिट ने जाने-माने फैक्ट चैकर मोहम्मद जुबैर को गिरफ्तार कर लिया. दरअसल, उनकी ये गिरफ्तारी भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 153 और 295ए के तहत की गई है. तो चलिए जानते हैं कि आखिर आईपीसी की इन दोनों धाराओं में किस तरह के अपराध और उसकी सजा का प्रावधान किया गया है.
दिल्ली पुलिस की IFSO यूनिट ने सोमवार को मुकदमा अपराध संख्या- 194/20 के सिलसिले में पूछताछ करने के लिए जुबैर को बुलाया गया था. लेकिन इसी बीच उन्हें मुकदमा अपराध संख्या- 172/22 के तहत गिरफ्तार कर लिया गया. उनके खिलाफ आईपीसी की धारा 153 और 295ए के तहत यह कार्रवाई की गई है. पुलिस ने जुबैर को कोर्ट में पेश कर एक दिन की कस्टडी में लिया है.
आईपीसी की धारा 153 (IPC Section 153)
भारतीय दंड संहिता 1860 के अध्याय 8 की धारा 153 (Section 153) में केवल दंगा भड़काने के इरादे से उकसाने की प्रक्रिया को लेकर प्रावधान किया गया है. IPC की धारा 153 के मुताबिक, जो भी कोई अवैध बात करके किसी व्यक्ति को द्वेषभाव या बेहूदगी से प्रकोपित करने के आशय से या यह सम्भाव्य जानते हुए करेगा कि ऐसे प्रकोपन के परिणामस्वरूप उपद्रव का अपराध हो सकता है;
सजा का प्रावधान
यदि उपद्रव होता है - यदि ऐसे प्रकोपन के परिणामस्वरूप उपद्रव का अपराध होता है, तो उसे किसी एक अवधि के लिए कारावास की सजा जिसे एक वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है, या आर्थिक दण्ड या दोनों से दण्डित किया जाएगा.
यदि उपद्रव नहीं होता है - यदि उपद्रव का अपराध नहीं होता है, तो उसे किसी एक अवधि के लिए कारावास की सजा, जिसे छह मास तक बढ़ाया जा सकता है, या आर्थिक दण्ड या दोनों से दण्डित किया जाएगा.
आईपीसी की धारा 295 (ए) (IPC Section 295A)
अगर कोई व्यक्ति भारतीय समाज के किसी भी वर्ग के धर्म या धार्मिक विश्वासों का अपमान करता है या उनकी धार्मिक भावनाओं को आहत करने के इरादे से जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण कार्य करता है या इससे संबंधित वक्तव्य देता है, तो वह आईपीसी (IPC) यानी भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 295 ए के तहत दोषी माना जाएगा.
सजा का प्रावधान
दोषी पाए गए ऐसे व्यक्ति को अधिकतम दो साल तक के लिए कारावास की सजा का प्रावधान है और उस पर आर्थिक दंड भी लगाया जा सकता है. या फिर उसे दोनों ही तरह से दण्डित किया जा सकता है. यह एक संज्ञेय अपराध है, जो गैर जमानती है. ऐसे मामलों की सुनवाई कोई भी मजिस्ट्रेट कर सकता है.
इसे भी पढ़ें--- IPC Section 166: सरकारी अफसर ने किया ऐसा काम, तो इस धारा के तहत मिलेगी सजा
क्या होती है आईपीसी (IPC)
भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) IPC भारत में यहां के किसी भी नागरिक (Citizen) द्वारा किये गये कुछ अपराधों (certain offenses) की परिभाषा (Definition) और दंड (Punishment) का प्रावधान (Provision) करती है. आपको बता दें कि यह भारत की सेना (Indian Army) पर लागू नहीं होती है. पहले आईपीसी (IPC) जम्मू एवं कश्मीर में भी लागू नहीं होती थी. लेकिन धारा 370 हटने के बाद वहां भी आईपीसी लागू हो गई. इससे पहले वहां रणबीर दंड संहिता (RPC) लागू होती थी.
अंग्रेजों ने लागू की थी IPC
ब्रिटिश कालीन भारत (British India) के पहले कानून आयोग (law commission) की सिफारिश (Recommendation) पर आईपीसी (IPC) 1860 में अस्तित्व में आई. और इसके बाद इसे भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) के तौर पर 1862 में लागू किया गया था. मौजूदा दंड संहिता को हम सभी भारतीय दंड संहिता 1860 के नाम से जानते हैं. इसका खाका लॉर्ड मेकाले (Lord Macaulay) ने तैयार किया था. बाद में समय-समय पर इसमें कई तरह के बदलाव किए जाते रहे हैं.