scorecardresearch
 

5 दिन, 18 टीमें और पुलिस की बदलती कहानी... कैसे सामने आएगा अंजलि की मौत का सच?

5 दिन का वक्त बीत चुका है. मगर एक सवाल अभी तक चीख रहा है कि आखिर अंजलि की मौत का सच क्या है? उस रात अंजलि के साथ क्या हुआ था? पुलिस के हर खुलासे के साथ इस मामले में नए सवाल खड़े हो रहे हैं.

Advertisement
X
हर कोई यही सवाल पूछ रहा है कि आखिर अंजलि की मौत का सच कब सामने आएगा?
हर कोई यही सवाल पूछ रहा है कि आखिर अंजलि की मौत का सच कब सामने आएगा?

दिल्ली के कंझावला कांड में दिल्ली पुलिस की फजीहत हो रही है. ऐसा लग रहा है कि पुलिस एक गलती को छुपाने चक्कर में अब कई गलतियां करती जा रही है. पुलिस ने इस केस में गुरुवार को नए ड्राइवर के नाम और दो नए आरोपियों का जो खुलासा किया है, उसमें खुद पुलिस पर सवाल उठ रहा है. एक तरफ जहां अंजलि की सहेली निधि की कहानी में झोल नजर आता है, वहीं पुलिस के दावों में भी दम नजर नहीं दिख रहा.

Advertisement

5 दिन का वक्त बीत चुका है. मगर एक सवाल अभी तक चीख रहा है कि आखिर अंजलि की मौत का सच क्या है? उस रात अंजलि के साथ क्या हुआ था? पुलिस के हर खुलासे के साथ इस मामले में नए सवाल खड़े हो रहे हैं. गुरुवार को जब दिल्ली पुलिस ने तीसरी बार प्रेस कॉन्फ्रेंस की. तो स्पेशल कमिश्नर सागरप्रीत सिंह हुड्डा ने सबको यह कहकर चौंका दिया कि वारदात के वक्त कार दीपक नहीं बल्कि दूसरा आरोपी अमित चला रहा था. 

तो इस बात का मतलब ये हुआ कि चार दिन से पुलिस आरोपियों को हिरासत में रखकर पूछताछ कर रही है और आरोपी पूछताछ में पुलिस से लगातार झूठ बोल रहे थे. चार दिन तक पुलिस यही बताती रही कि वारदात की रात अंजलि को पथरीली सड़क पर घसीटते वक्त कार दीपक चला रहा था. लेकिन गुरुवार को यानी पांचवे दिन अचानक कार का ड्राइवर बदल गया. अब चाहे इसके पीछे वजह जो भी हो लेकिन पुलिस यहां अपनी ही बात से पलट गई. 

Advertisement

साथ ही दिल्ली पुलिस ने एक नया खुलासा और कर दिया. पुलिस ने बताया कि इस केस में आरोपी पांच नहीं बल्कि सात हैं. दो आरोपी आशुतोष और अंकुश खन्ना हैं. अंकुश आरोपी दीपक का भाई है. अब दोनों की तलाश की जा रही है.

पुलिस का कहना है कि वो इस मामले में मजबूत चार्जशीट बनाएगी ताकि कोई भी मुजरिम सजा से ना बच पाए. साथ ही स्पेशल सीपी ने साफ कर दिया कि अभी इस मामले की कंप्लीट पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट और एफएसएल रिपोर्ट आनी बाकी है. ये दोनों रिपोर्ट आ जाने के बाद तस्वीर कुछ साफ होगी.

असल में पहली जनवरी को जब यह मामला सामने आया था, तभी कंझावला कांड पर जानकारी देते हुए इलाके के डीसीपी ने ऐलान कर दिया था कि ये मामला एक मामूली रोड एक्सीडेंट का है. इस केस का रेप या मर्डर से कोई लेना देना नहीं है. यानी डीसीपी साहब ने पांचों आरोपियों को पहले ही दिन अपनी तरफ से क्लीनचिट दे दी थी. यही वो मौका था, जब पुलिस ने इस मामले में गलतियों की शुरूआत की थी.

इसके बाद जैसे ही इस मामले ने तूल पकड़ा और ये घटना मीड़िया की सुर्खियों में छा गई तो दिल्ली पुलिस को अपनी गलती का अहसास हुआ. इसके बाद पुलिस ने शुरू में दर्ज की गई हल्की एफआईआर में गैर इरादतन हत्या की धारा भी जोड़ दी थी. अब पुलिस उसी एंगल से जांच तो कर रही है, लेकिन सच पुलिस की पहुंच से बाहर है, या पुलिस उस तक पहुंचना ही नहीं चाहती.

Advertisement

जहां तक बात इस मामले की अहम चश्मदीद निधि की है, तो अंजलि की मौत के इस मामले का सच तो वही बता सकती है. लेकिन जो कहानी वो फिलहाल बता रही है, वो किसी के भी गले नहीं उतरती. यहां तक कि अंजलि की मां भी यही कह रही है कि वो कैसी दोस्त है, जो अपनी सहेली को मरता छोड़ वहां से भाग गई थी. असल में जब उस रात स्कूटी कार से टकराई तब निधि उसी स्कूटी पर अंजलि के पीछे बैठी थी. 

हालांकि अंजलि ने ये तो बताया है कि वारदात के वक्त कार में बैठे लोगों को पता था कि अंजलि कार में फंसी है. पर उन्होंने जानबूझकर आगे पीछे की और बाद में सड़क पर दौड़ा दी. उसका कहना है कि आरोपियों ने ये सब जानबूझकर किया था. यानी अंजलि की मौत हादसा नहीं, हत्या थी. 

निधि हादसे के बारे में अब तक की सबसे चौंकाने वाली बात कह रही है. उसका दावा है कि कार सवार आरोपियों को पता था कि वो क्या कर रहे हैं. बेशक कत्ल सोची समझी साज़िश का नतीजा नहीं था. पर मामला तो कत्ल का बन रहा है. जब उन लोगों को अहसास हुआ कि उन्होंने स्कूटी को टक्कर मार दी है. और उनकी कार में एक लड़की फंस गई है. तो पांचों डर गए. उन्हें पता था कि लड़की जिंदा बच गई और बयान दे दिया तो पांचों पकड़े जाएंगे. 

Advertisement

लिहाजा, पहले से ही नशे में कार चला रहा कार का ड्राइवर अमित जिंदा अंजलि को कार से घसीटते हुए करीब 12 किलोमीटर तक भाागता रहा. फिर 12 किलोमीटर बाद कार में फंसी अंजलि की लाश बाहर निकाल कर पांचों मौके से भाग निकले. यानी यहां इन्टेंशन या मकसद अंजलि की जान लेना ही था. इसलिए कायदे से ये केस सीधे-सीधे आईपीसी की धारा 302 यानी कत्ल का नजर आ रहा है. बाकी पुलिस इस मामले में क्या कहानी बनाएगी या चार्जशीट में क्या लिखेगी? ये तो आनेवाला वक्त ही बताएगा.

 

Advertisement
Advertisement