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दूसरों को देते हैं अपनी गाड़ी... जानें उससे हादसा या जुर्म होने पर क्या होगी कानूनी कार्रवाई? यूं बच सकते हैं आप

31 दिसंबर की रात उन लोगों ने जिस कार से दिल दहला देने वाली वारदात को अंजाम दिया और अंजलि को 12 किलोमीटर तक घसीटा, वो कार उन पांचों में से किसी की नहीं थी, बल्कि वो कार आरोपी अपने एक जानकार से मांग कर लाए थे.

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पांचों आरोपी जिस कार में सवार थे, वो उनकी नहीं थी
पांचों आरोपी जिस कार में सवार थे, वो उनकी नहीं थी

दिल्ली में 20 साल की अंजलि को बेरहमी के साथ मौत के मुंह में धकेलने वाले पांचों आरोपी अब कानून की गिरफ्त में हैं. मगर 31 दिसंबर की रात उन लोगों ने जिस कार से दिल दहला देने वाली वारदात को अंजाम दिया और अंजलि को 12 किलोमीटर तक घसीटा, वो कार उन पांचों में से किसी की नहीं थी, बल्कि वो कार आरोपी मांग कर लाए थे. अब ऐसे में सवाल उठता है कि अगर कोई किसी से कार मांगकर कहीं ले जाता है और उस कार से किसी हादसे या वारदात को अंजाम दे डालता है. या कार चलाते वक्त ऐसा कोई हादसा हो जाता है, कार के मालिक के खिलाफ क्या कार्रवाई हो सकती है?

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जानकारों के मुताबिक, अगर किसी कार या पैसेंजर वाहन से अंजलि जैसा हादसा होता है. यानी किसी की जान चली जाती है या कोई गंभीर रूप से घायल हो जाता है. तो तरह के मामलों में पुलिस आईपीसी की धारा 279, 304 या 304 ए के तहत केस दर्ज करती है. ऐसा ही अंजलि की मौत के मामले में भी किया गया है. पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ भारतयी दंड संहिता की धारा 279, 304 और 304ए भी लगाई है. तो पहले ये जान लेते हैं कि ये धाराएं आखिर क्या प्रावधान करती हैं. 

आईपीसी की धारा 279 (IPC Section 279)
भारतीय दंड संहिता यानी IPC की धारा 279 के अनुसार, जो भी कोई किसी वाहन को एक सार्वजनिक मार्ग पर किसी भी तरह की जल्दबाजी या लापरवाही से चलाता है या सवारी करता है, जिससे मानव जीवन को कोई संकट हो या किसी व्यक्ति को चोट या आघात पहुंचना सम्भाव्य हो, तो ऐसा करने वाला आरोपी माना जाएगा.

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सजा का प्रावधान
दोषी पाए जाने पर उसे किसी एक अवधि के लिए कारावास की सजा होगी, जिसे छह महीने तक बढ़ाया जा सकता है. या उस पर आर्थिक दंड लगाया जाएगा, जो एक हजार रुपए तक हो सकता है. या फिर दोषी को दोनों तरह से दंडित किया जाएगा. यह एक जमानती और संज्ञेय अपराध है. ऐसे मामलों की सुनवाई किसी भी मजिस्ट्रेट द्वारा की जा सकती है. यह अपराध समझौता करने योग्य नहीं है.

आईपीसी की धारा 304 (IPC Section 304)
भारतीय डंद संहिता के अनुसार, जो कोई भी गैर-इरादतन मानव वध करता है, जो हत्या की कोटि में नहीं आता है, तो भी ऐसा करने वाला शख्स आरोपी माना जाएगा. 

सजा का प्रावधान
ऐसे में दोषी पाए जाने पर आजीवन कारावास या दस साल तक की अवधि के लिए कारावास से दंडित किया जाएगा. साथ ही दोषी पर जुर्माना भी लगाया जाएगा. या उसे दोनों प्रकार से दंडित किया जाएगा.

अगर ऐसा काम जिसकी वजह से किसी मौत हुई है, मृत्यु कारित करने के मकसद से किया गया हो, या ऐसी शारीरिक क्षति कारित करने के लिए किया गया हो जिससे मृत्यु होने की संभावना हो; तो ऐसा करने वाला भी आरोपी होगा.

अगर काम इस जानकारी के साथ किया गया हो कि इससे किसी जान जाने की संभावना है, लेकिन मृत्यु के इरादे के बिना. या वो काम ऐसी शारीरिक चोट का कारण बनता है, जिससे मृत्यु होने की संभावना है. तो ऐसा करने वाला भी धारा 304 के तहत दोषी माना जाएगा.

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सजा का प्रावधान
दोषी सिद्ध होने पर ऐसे शख्स को किसी एक अवधि के लिए कारावास की सजा होगी, जिसे दस साल तक बढ़ाया जा सकता हैय या उस पर जुर्माना किया जाएगा. या फिर उसे दोनों ही प्रकार से दंडित किया जाएगा. 

आईपीसी की धारा 304ए (IPC Section 304 A)
IPC की धारा 304 ए के मुताबिक, जो कोई उतावलेपन के या उपेक्षापूर्ण किसी ऐसे कार्य से किसी व्यक्ति की मृत्यु कारित करेगा, जो आपराधिक मानववध की कोटि में नहीं आता, तो वह ऐसे अपराध के लिए आरोपी माना जाएगा.

सजा का प्रावधान
ऐसा करने वाले शख्स को दोषी पाए जाने पर किसी भांति के कारावास की सजा दी जाएगी. जिसकी अवधि दो वर्ष तक की हो सकेगी, या उस पर जुर्माना भी किया जाएगा. या फिर उसे दोनों ही तरह से दंडित किया जाएगा.

कार मालिक के खिलाफ एक्शन!
अब बात करते हैं उस कार की जिससे इस तरह का हादसा या वारदात होती है. अंजलि की मौत के मामले यानी कंझावला कांड में पांच आरोपी जिस कार में सवार थे और उससे अंजलि को 12 किलोमीटर तक एक पथरीली सड़क पर घसीटते रहे. वो कार उनमें से किसी की भी नहीं थी. वो कार असल में आरोपियों के परिचित आशुतोष नामक शख्स की थी. अब सवाल उठता है कि क्या पुलिस कार के मालिक के खिलाफ भी एक्शन लेगी? जानकार इस बारे में क्या कहते हैं?  
 
कार चालक के खिलाफ होती है कार्रवाई
यूपी पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इस तरह के सड़क हादसों में अमूमन पुलिस आईपीसी की धारा 304 ए के तहत कार्रवाई करती है. यानी जो शख्स कार चला कर अनजाने में बिना किसी इरादे के किसी को टक्कर मारकर या कुचलकर उसकी जान ले लेता है. तो उसके खिलाफ पुलिस इसी धारा के तहत मामला दर्ज करती है. और कार चलाने वाले के खिलाफ अगर दोष सिद्ध हो जाता है तो कार चालक को 10 साल से लेकर उम्रकैद तक की सजा हो सकती है. 

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कार मालिक से हो सकती है पूछताछ
कुछ मामले ऐसे होते हैं, जिनमें कार चालक या कार सवारों में गाड़ी का मालिक नहीं होता है. और वे कार किसी से मांगकर ले जाते हैं. ऐसे में अगर कार के मालिक को इस बारे में कोई जानकारी नहीं है कि कार मांगकर ले जाने वाले उस गाड़ी से कोई वारदात अंजाम देंगे या किसी घटना या अपराध को करने के मकसद से कार ले जाएंगे. तो ऐसे में कार मालिक की कोई जिम्मेदारी नहीं बनती. पुलिस महज उसे नोटिस भेजकर पूछताछ के लिए बुला सकती है. पुलिस उससे गाड़ी के बारे में पूछताछ कर सकती है. कार मालिक से पुलिस कुछ इस तरह के सवाल कर सकती है. मसलन-

- हादसे या वारदात के वक्त कार मालिक कहां था? 
- अगर वो कार में नहीं था, तो कार कौन चला रहा था? 
- कार चलाने वाले से उसका क्या रिश्ता है? वो कार किस वजह से मांग कर ले गया था?
- कार मालिक ने आरोपी को अपनी कार क्यों दी थी?
- क्या कार मालिक को इस बात की जानकारी थी कि कार मांगकर ले जाने वाला कहां और क्यों जा रहा है? 
- कार से जो हादसा पेश आया या वारदात अंजाम दी गई, क्या उसके बारे में कार मालिक को जानकारी थी?

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ऐसे में हो सकती है कार मालिक पर कार्रवाई
मगर कुछ मामले ऐसे होते हैं, जिनमें भले ही कार मालिक हादसे या वारदात के वक्त कार में मौजूद नहीं था. उस वक्त कार कोई और चला रहा था. लेकिन इसके बावजूद उसे इस बारे में जानकारी थी कि कार मांग कर ले जाने वाले कोई वारदात करने के लिए जा रहे हैं या किसी हादसे को अमली जामा पहनाने वाले हैं तो ऐसे में कार का मालिक भी आरोपियों के साथ साजिश में शामिल माना जाएगा और वो कानून के शिकंजे में आ जाएगा. उसके खिलाफ पुलिस कार्रवाई करेगी.  

या ऐसी कार के मालिक पर भी कानूनी शिकंजा कस सकता है, जो कार परिवहन विभाग द्वारा फिट ना हो. मसलन उस कार के दस्तावेज पूरे ना हों. या इंश्योरेंस आदि खत्म हो चुका हो. कार का पोल्यूशन सर्टिफिकेट ना हो. तो ऐसे में भी कार के पकड़े जाने पर कार मालिक के खिलाफ कार्रवाई हो सकती है.

दोष सिद्ध होने पर कड़ी सजा का प्रावधान
और अगर खुद कार मालिक हादसे या वारदात के समय कार में मौजूद होता है या कार चला रहा होता है, तो ऐसे में उसके खिलाफ गैर इरादतन हत्या या जांच में पुष्टि होने पर हत्या का मामला दर्ज हो सकता है. दोष सिद्ध हो जाने पर ऐसे कार मालिक को भी आरोपियों के समान सख्त सजा मिल सकती है. 

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अंजलि की दर्दनाक मौत का मामला सामने आने के बाद पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ संगीन वारदातें जोड़ दी थीं. अब पुलिस का दावा है कि इस घटना के लिए जिम्मेदार दरिंदों को कड़ी से कड़ी सजा दिलाने का काम किया जाएगा. 

पुलिस के मुताबिक ये थी घटना
बकौल दिल्ली पुलिस कार में सवार पांच लोगों ने अब तक जो बताया है, उससे हादसे की तस्वीरें कुछ-कुछ साफ हो गई हैं. पुलिस के मुताबिक पांचों आरोपियों में से एक दीपक ने बताया कि वो कार चला रहा था. मनोज मित्तल आगे उसकी बगलवाली सीट पर बैठा हुआ था. पीछे की सीट पर बाकी तीनों बैठे थे. कृष्ण विहार में शनि बाजार रोड़ पर उनकी कार ने एक स्कूटी को टक्कर मार दी. स्कूटी पर सवार लड़की गिर गई. पांचों डर से वहां से कंझावला की तरफ भाग गए. उन्होंने कंझावला रोड पर जोंटी गांव के नजदीक कार रोकी तो कार के नीचे एक लड़की दिखाई दी. पांचों लड़कों ने उस लड़की को कार से खींचकर कार के निचले हिस्से से बाहर निकाला और वहीं सड़क पर छोड़ कर वहां से निकल गए और कार मालिक आशुतोष के घर पहुंच गए थे. वहां गाड़ी खड़ी करने के बाद सब अपने-अपने घर लौट गए.

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