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दिल्ली में Spoofing App से कॉल कर मांगते थे रंगदारी, पुलिस ने पैसे भेजकर फंसाया तो खुला ये राज

दिल्ली में Spoofing App का इस्तेमाल कर रंगदारी मांगी गई है. शातिर बदमाश ने तीन बिजनेसमैन को अलग-अलग कॉल किए थे और लाखों रुपए देने की धमकी दी थी. इतना ही नहीं, नीतू पहलवान गैंग का नाम लेकर पैसे दिए जाने की धमकी दी गई थी. पुलिस ने पैसे भेजकर जाला फंसाया. उसके बाद सर्वेलंस की मदद से आरोपी को अरेस्ट कर लिया.

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दिल्ली पुलिस ने पैसे ऐंठने वाले शातिर बदमाश को पकड़ा है.
दिल्ली पुलिस ने पैसे ऐंठने वाले शातिर बदमाश को पकड़ा है.

दिल्ली में फ्रॉड ऐप Spoofing के जरिए कारोबारियों से लाखों रुपए की रंगदारी मांगे जाने की घटना सामने आई है. पुलिस ने इस पूरे स्कैम से पर्दा उठाया है. इस मामले में रोहिणी इलाके से एक शातिर बदमाश पकड़ा गया है. ये बदमाश व्यवसायियों से जबरन वसूली के लिए कॉल करता था. पुलिस के सामने मामला आया तो शातिर को उसी के अंदाज में झांसा दिया और उसे पकड़ लिया. पुलिस उससे पूछताछ कर रही है.

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पुलिस का कहना है कि दिल्ली के बुराड़ी और रोहिणी इलाकों में तीन व्यवसायियों को 'स्पूफिंग' ऐप के जरिए कॉल किया गया था और कथित तौर पर धमकाने और पैसे ऐंठने की कोशिश की गई थी. गिरफ्तार आरोपी की पहचान बेगमपुर के रामा विहार निवासी विकास शर्मा (46) के रूप में हुई है.

अलग-अलग नंबर्स से कॉल कर रहा था शातिर

मामला 29 जून को तब सामने आया, जब एक ज्वेलर्स शॉप के मालिक ने शिकायत दर्ज कराई कि एक व्यक्ति ने उसे फोन किया और उसे 15 लाख रुपये देने की धमकी दी. पुलिस उपायुक्त (उत्तर) सागर सिंह कलसी ने बताया कि जांच में पुलिस ने पाया कि कॉलर किसी ऐप के जरिए अलग-अलग नंबर्स से कॉल कर रहा था. यह भी पाया गया कि रोहिणी में दो अन्य व्यापारियों को भी इसी तरह की धमकियां दी गई हैं.

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तीनों शिकायतों की जांच की तो मिले सुराग

पुलिस ने जब तीनों शिकायतों के पहलुओं के बारे में पता किया तो सामने आया कि कॉलर ने पैसे की डिलीवरी के लिए जो जगह बताई है, वो एक-दूसरे से एक किमी के दायरे में ही है. इन कारोबारियों को नीतू दाबोदिया गिरोह के नीतू पहलवान के नाम पर धमकियां दी गईं थीं.

बिजनेसमैन को वॉयस कॉल के जरिए धमकियां

पुलिस का कहना था कि चूंकि धमकियां वॉयस कॉल के जरिए दी गई थीं, इसलिए पुलिस ने उनके सोर्स की जांच की और पता चला कि ये वॉयल कॉल बीएसएनएल की सिम के जरिए की गईं. पुलिस ने ज्यादा जानकारी जुटाने के लिए कंपनी से संपर्क किया. यह पाया गया कि भारत में ये कॉल्स दिल्ली, चेन्नई, ठाणे और एर्नाकुलम के जरिए दुबई और संयुक्त राज्य अमेरिका के विभिन्न सर्वरों से की गईं थीं.

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पैसे का बैग गिराया, इंतजार किया, नहीं आए बदमाश

पुलिस ने अपराधियों को पकड़ने के लिए जाल बुना. हालांकि, सफलता नहीं मिली. दरअसल, पहली बार पुलिस ने बेगमपुर चौक पर पैसों से भरा बैग गिराया और छिपकर इंतजार किया, लेकिन कोई उसे लेने नहीं आया. उसके बाद पैसे भेजने की एक और कोशिश की गई.

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सर्वेलंस के जरिए पकड़ में आया बदमाश

डीसीपी के मुताबिक, पुलिस ने VOIP कॉल और एक संदिग्ध नंबर को सर्वेलंस पर लगाया और नजर रखना शुरू कर दिया. इसकी लोकेशन बेगमपुर से प्रशांत विहार तक पाई गई. टेक्निकल सर्वेलंस के आधार पर संदिग्ध को पकड़ लिया गया. उससे सख्ती से पूछताछ की गई तो वो कथित जबरन वसूली करने वाला शातिर बदमाश निकला.

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क्या है Call Spoofing?

Spoofing ऐप को यूज करके कॉलर आईडी को बदल दिया जाता है. इससे सामने वाले को लगता है ये कॉल किसी खास व्यक्ति या जगह से आई है. ये स्कैम नया नहीं है. इसका यूज दुनियाभर में स्कैमर्स करते हैं. इसका यूज कई किडनैपर्स भी करते हैं. वो विक्टिम के घरवालों को उनके ही नंबर से कॉल करके पैसों की डिमांड करते हैं. ऐसा नहीं है कि कॉल स्पूफिंग का यूज सिर्फ क्राइम में किया जाता है. इसका यूज कई लोग दोस्तों के साथ प्रैंक करने के लिए भी करते हैं. वो दोस्तों को किसी सेलिब्रिटी के नंबर से कॉल करके उनके साथ मजाक करते हैं. उनके दोस्त को लगता है कि उन्हें किसी सुपरस्टार का कॉल आया है.

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आप किसी को किसी और के नंबर से बिना उसकी जानकारी के कॉल करते हैं तो इसे कॉल स्पूफिंग कहा जाता है. इसे ऐसे समझें अगर मैंने आपको आपके ही किसी जानने वाले के नंबर से कॉल किया लेकिन वो नंबर उनके पास मौजूद है और इस कॉल के बारे में उन्हें पता नहीं है तो इसे कॉल स्पूफिंग कहा जाता है.

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इस स्कैम की शुरुआत साल 2004 में शुरू हुई थी. तब ऐसी कॉल करने के लिए काफी ज्यादा टेक्निकल स्किल्स की जरूरत होती थी. अब इसके लिए कई ऐप्स हैं जो आसानी से ऐसा करने की सुविधा देते हैं. हैरानी की बात ये है कि ऐसे ऐप्स गूगल प्ले स्टोर पर भी मौजूद हैं. इन ऐप्स से कॉल करने वाली की आईडी बदल जाती है. जिससे सामने वाले को लगता है कि कॉल किसी खास व्यक्ति ने ही किया है. इसके लिए आपको पेड सर्विस भी लेनी होती है. विक्टिम कॉल करने की जाल में आसानी से फंस जाता है. इससे ऑडियो सिग्नल को कॉल के दौरान टेलीफोन लाइन से मिला दिया जाता है. इससे सामने वाले को लगता है कि किसी खास नंबर से कॉल आ रही है.

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