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दिल्ली दंगों का एक सालः क्लेम कमिश्नर ने बताया कैसे काम कर रहा है क्षतिपूर्ति आयोग

क्लेम कमिश्नर ने आज तक / इंडिया टुडे से कहा, "मेरा मानना है कि जो दंगाई हैं अगर वो दोषी पाए जाते हैं कोर्ट से तो उनसे ही नुकसान की भरपाई वसूल की जाए. फिलहाल हमारा काम है जिन्हें दिल्ली सरकार ने मुआवजा दिया अगर उन्हें कम मिला और जांच करके उनको और मुआवजा दिलवाना और जिन्हें नहीं मिला उनको मुआवजा दिलवाना.''

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ये क्षतिपूर्ति आयोग दंगा प्रभावितों के लिए गठित किया गया है
ये क्षतिपूर्ति आयोग दंगा प्रभावितों के लिए गठित किया गया है
स्टोरी हाइलाइट्स
  • फरवरी 2020 में नॉर्थ ईस्ट दिल्ली में भड़का था दंगा
  • 2 दिन चली हिंसा में मारे गए थे 53 लोग
  • हाई कोर्ट ने नियुक्त किया क्लेम कमिश्नर

नार्थ ईस्ट दिल्ली में हुए दंगों का 1 साल पूरा हो चुका है. इन दंगों से प्रभावित लोगों को राहत देने के लिए हाई कोर्ट के जरिये जस्टिस (रिटायर्ड) सुनील गौड़ क्लेम कमिश्नर अपॉइंट किए गए हैं. जो दंगा पीड़ितो और प्रभावितों के मामलों को क्लेम दिए जाने के मामलों पर काम कर रहे हैं. उनसे आजतक की टीम ने विशेष बातचीत की.

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क्लेम कमिश्नर ने आज तक / इंडिया टुडे से कहा "मेरा मानना है कि जो दंगाई हैं अगर वो दोषी पाए जाते हैं कोर्ट से तो उनसे ही नुकसान की भरपाई वसूल की जाए. फिलहाल हमारा काम है जिन्हें दिल्ली सरकार ने मुआवजा दिया अगर उन्हें कम मिला और जांच करके उनको और मुआवजा दिलवाना और जिन्हें नहीं मिला, उनको मुआवजा दिलवाना. किसी के पास डॉक्यूमेंट नहीं लेकिन हालात ऐसे हमें लगे तो हम उनकी इंक्वायरी करके उन्हें भी मुआवजा दिलवाएंगे. हमारे पास ऐसे लोग भी आए, जिन्हें दिल्ली सरकार ने मुआवजा दिया लेकिन उनका कहना है कि कम मिला.''

उन्होंने कहा कि अप्रैल में एलजी ने ऑर्डर किया था इस कमीशन का, चूंकि लॉक डाउन था इसलिए क्लेम कमीशन का काम नहीं हो सका. पहले कोशिश की थी लॉक डाउन के दौरान भी कि मुझे रीजेडेन्स कम ऑफिस प्रोवाइड कर दें ताकि घर में रहते हुए भी ऑफिस चलाया जा सके लेकिन ऐसा हो नहीं पाया. लेकिन जब अनलॉक हुआ, तब मुझे नवंबर में आईटीओ में दफ्तर मिला है. नम्बर में ऑफिस ऑपरेशनल हो गया. फिर हमने अखबारों में इश्तेहार देकर क्लेम इनवाइट किए हैं.

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क्लेम कमिश्नर बताते हैं, "हमारे पास 2 से ढाई हजार क्लेम आ चुके हैं और अब हम उस क्लेम पर कार्रवाई कर रहे हैं. हमने सरकार को लिखा था कि हमें लॉ असेसर अपॉइंट किए जाएं. हमें सरकार ने 5 लोग अप्रूव करके दिए हैं. वो 5 को हमने क्लेम इंटरेस्ट कर दिए हैं. 10-10 क्लेम हमने को इंटरेस्ट कर दिए हैं कि आप इनपे इंक्वायरी करके रिपोर्ट दीजिये कि जिनके पास डॉक्युमेंट्री प्रूफ भी नहीं लेकिन उनके हालात जज करके हमें रिपोर्ट दीजिये कि क्या वाकई इनका नुकसान हुआ है. वो हमें रिपोर्ट देंगे. 10-15 दिन में जैसे ही वो रिपोर्ट देंगे. उस पे हम स्क्रूटनी करेंगे, फिर वो रिपोर्ट अप्रूव करके आगे हाई कोर्ट को भेजेंगे."

जो 5 लोग ऑफिस में अपॉइंट किए गए हैं, वो स्पॉट पर जाकर जांच करते हैं. जिन्होंने क्लेम किया है उनसे मिलते हैं. फिर अपनी रिपोर्ट बनाते है. इसमें हमारे पास ज्यादातर प्रोपर्टी के नुकसान को लेकर क्लेम आए हैं. कुछ घायलों के और कुछ जिनकी मौत हुई उनके रिश्तेदारों के, कुछ ऐसे भी केस हैं. जिनको पहले ही दिल्ली सरकार से मुआवजा मिल चुका है. मगर उनका मानना है कि उन्हें कम मिला है, तो हम उस क्लेम को भी एग्जामिन कर रहे हैं.

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जस्टिस (रिटायर्ड) सुनील गौड़ के मुताबिक जिनके पास डॉक्युमेंट नहीं है और उनके हालात जस्टिफाइ करते हैं. हमें लगता है कि उनके पास उतनी चीजें हो सकती हैं. जैसे कोई ज्वेलरी है या कुछ और हमें लगता है. उनकी माली हालत अच्छी है और उनको मुआवजा मिलना चाहिए, तो उस बेस पर हम उस तरफ भी काम कर रहे हैं.

जस्टिस (रिटायर्ड) सुनील गौड़ कहते हैं "मेरा मानना है कि ये सेकेंड स्टेज होनी चाहिए और दंगाइयों से वसूली होनी चाहिए. हमारा तो काम है रिपोर्ट हाई कोर्ट को देना. अगर हाई कोर्ट डायरेक्शन देती है कि जिनके उपर दंगा का केस चल रहा है वो कोर्ट से दोषी पाए जाते हैं उनसे रिकवरी की जाए तो होनी चाहिए. भले उसके लिए अलग से क्लेम कमिश्नर नियुक्त हो या SDM से करवाएं ये हाई कोर्ट पर निर्भर करता है. अभी तक हमें रिकवरी के लिए नहीं कहा गया है. अभी तक तो सिर्फ असेसमेन्ट के लिए हमें कहा गया है. हमारा काम है रिपोर्ट बनाकर देना. जिनको कम मिला उनको ठीक मिले और जिनको मुआवजा नहीं मिला. उनकी इंक्वायरी करके रिकमेंड करना. लेकिन मेरा मानना है कि जो दंगाई हैं अगर वो दोषी पाए जाते हैं तो उनसे नुकसान की भरपाई करवाई जाए."

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आपको एक बार फिर बता दें कि जस्टिस (रिटायर्ड) सुनील गौड़ को दिल्ली दंगो के बाद क्लेम कमिश्नर अपॉइंट किया गया है. जिनका दफ्तर ओल्ड पुलिस हेडक्वार्टर आईटीओ में है. जहां दिल्ली सरकार की तरफ से भी कुछ लोग अपॉइंट किए गए हैं. ये कमीशन सीधा दिल्ली हाई कोर्ट को रिपोर्ट सौंपता है.

 

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