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दिल्लीः एमसीडी अफसर बनकर ट्रेड लाइसेंस चेक करने के नाम पर करते थे ठगी, 3 गिरफ्तार

राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में पुलिस ने तीन ऐसे लोगों को गिरफ्तार किया है जिनपर दुकानदारों का ट्रेड लाइसेंस चेक कर उनसे ठगी करने का आरोप है. दिल्ली पुलिस के मुताबिक पकड़े गए आरोपी खुद को नगर निगम का अफसर बताकर दुकानदारों का ट्रेड लाइसेंस चेक करते थे.

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पुलिस की गिरफ्त में आरोपी
पुलिस की गिरफ्त में आरोपी
स्टोरी हाइलाइट्स
  • पुलिस खंगाल रही आपराधिक रिकॉर्ड
  • ट्रेड लाइसेंस न होने पर ऐंठते थे रुपये

पुलिस-प्रशासन डाल-डाल है तो ठग-बदमाश पात-पात. ठग भी ठगी के नए-नए तरीके खोज रहे हैं. राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में पुलिस ने तीन ऐसे लोगों को गिरफ्तार किया है जिनपर दुकानदारों का ट्रेड लाइसेंस चेक कर उनसे ठगी करने का आरोप है. दिल्ली पुलिस के मुताबिक पकड़े गए आरोपी खुद को नगर निगम का अफसर बताकर दुकानदारों का ट्रेड लाइसेंस चेक करते थे.

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दिल्ली पुलिस की ओर से मिली जानकारी के मुताबिक 3 जुलाई को शाहदरा के एक दुकानदार सत्येंद्र शर्मा ने मानसरोवर पार्क थाने में शिकायत दी कि उनकी दुकान में तीन लोग आए और खुद को एमसीडी का अफसर बताते हुए ट्रेड लाइसेंस चेक करने लगे. सत्येंद्र शर्मा ने उस वक्त लाइसेंस पास ना होने की बात कही तो तीनों ने उनसे रिश्वत के तौर पर 3000 रुपये की मांग की.

पुलिस के मुताबिक तीनों की किसी बात को लेकर शर्मा को शक होने लगा. शर्मा ने तीनों से आईकार्ड मांगा जिसके बाद खुद को एमसीडी अफसर बताने वाले लोग भागने लगे. देखते ही देखते सत्येंद्र शर्मा ने आसपास के दुकानदारों को भी इकट्ठा कर लिया और खुद को एमसीडी का अफसर बताने वाले तीन में से एक शख्स को पकड़ लिया. पकड़े गए आरोपी की पहचान सीलमपुर के रहने वाले ओमप्रकाश के रूप में हुई है.

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आपराधिक रिकॉर्ड खंगाल रही पुलिस

दिल्ली पुलिस ने बताया कि पकड़े गए ओमप्रकाश से पूछताछ हुई तो उसने अपने दो अन्य साथियों का नाम-पता भी बता दिया. पुलिस ने उसके दोनों साथियों विकास पांचाल और सतीश गर्ग को भी गिरफ्तार कर लिया. इन लोगों ने बताया कि वे नकली एमसीडी अफसर बनकर ट्रेड लाइसेंस चेक करने के नाम पर लोगों से ठगी करते थे. दिल्ली पुलिस इनके बैंक खाते और आपराधिक रिकॉर्ड खंगाल रही है.

बोलते थे फर्राटेदार अंग्रेजी

बताया जाता है कि खुद को एमसीडी का अफसर बताकर ये तीनों दुकानदारों के ट्रेड लाइसेंस चेक करते थे और जिस दुकानदार के पास ट्रेड लाइसेंस नहीं होता था, उसे अपने झांसे में लेकर धन उगाही करते थे. ये शातिर अफसरों की तरह सूटेड-बूटेड रहते थे और किसी को इनपर शक न होने पाए, इसके लिए ये फर्राटेदार अंग्रेजी भी बोलते थे. इससे दुकानदार भी आसानी से इनके झांसे में आ जाते थे.

 

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