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ऑपरेशन मासूमः चाइल्ड पोर्नोग्राफी के मामले में 167 से ज्यादा केस दर्ज, 97 गिरफ्तार

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) और राष्ट्रीय गुमशुदा और शोषित बच्चों के केंद्र (NCMEMR) के बीच एक समझौता भी है. उसी के तहत जानकारी मिलने और उसकी पुष्टि करने के बाद अलग-अलग थानों में 100 से ज्यादा मामले दर्ज किए गए हैं

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दिल्ली पुलिस ने ऑपरेशन मासूम के तहत कई आरोपियों को पकड़ा है
दिल्ली पुलिस ने ऑपरेशन मासूम के तहत कई आरोपियों को पकड़ा है
स्टोरी हाइलाइट्स
  • दिल्ली पुलिस ने चलाया ऑपरेशन मासूम
  • चाइल्ड पोर्नोग्राफी के खिलाफ बड़ा अभियान
  • जारी है आरोपियों की धरपकड़

दिल्ली पुलिस ने चाइल्ड पोर्नोग्राफी के खिलाफ पूरे दिल्ली में ऑपरेशन मासूम की शुरुआत की थी. जिसके तहत स्पेशल सेल की साइबर क्राइम यूनिट और सभी जिलों पुलिस की पुलिस ने बाल अश्लील सामग्री से संबंधित उल्लंघन के मामलों की जानकारी जुटाई और कई आरोपियों को गिरफ्तार किया. इस संबंध में सौ से ज्यादा मामले दर्ज किए गए हैं.

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राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB)  और राष्ट्रीय गुमशुदा और शोषित बच्चों के केंद्र (NCMEMR) के बीच एक समझौता भी है. उसी के तहत जानकारी मिलने और उसकी पुष्टि करने के बाद अलग-अलग थानों में 100 से अधिक मामले दर्ज किए गए हैं और अपराधियों के खिलाफ आवश्यक कानूनी कार्रवाई की गई है. इस ऑपरेशन के दौरान अब तक 97 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है.

दरअसल, गुम और शोषित बच्चों के लिए NCMEC एक निजी और गैर-लाभकारी संगठन है. इस संगठन की स्थापना वर्ष 1984 में संयुक्त राष्ट्र कांग्रेस द्वारा की गई थी. यह संगठन यूएसए में स्थित है. संगठन ने फेसबुक, इंस्टाग्राम और अन्य जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के साथ भी करार किया है. उन्हें सोशल मीडिया पर जब भी बच्चों के संबंध में कोई अश्लील सामग्री मिलती है तो वो रेड फ्लैग कर देते हैं. वे उस उपयोगकर्ता का आईपी एड्रेस विवरण हासिल करते हैं, जिसने अश्लील सामग्री अपलोड की थी.

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ऐसे मामलों में यौन संबंधित आपत्तिजनक सामग्री को शेयर या अपलोड करने वाले व्यक्ति की डिटेल एनसीएमईसी द्वारा एनसीआरबी को भेजी जाती है, जो बाद में इसे संबंधित राज्य की नोडल एजेंसियों के साथ शेयर करते हैं.

साइबर क्राइम यूनिट (IFSO), स्पेशल सेल, दिल्ली में इस काम के लिए नोडल एजेंसी है. आईएफएसओ इकाई में, एनसीआरबी से प्राप्त ब्यौरों का विश्लेषण पहचान के उद्देश्य से किया जाता है. इसके बाद संदिग्धों की पहचान की जाती है. फिर उनके खिलाफ एक्शन लिया जाता है.

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