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अमेरिका के 9/11 आतंकी हमले से दिल्ली दंगों की तुलना, उमर खालिद की जमानत का विरोध

उमर खालिद की जमानत का विरोध करते हुए स्पेशल पब्लिक प्रोसिक्यूटर अमित प्रसाद ने कहा कि 9/11 आतंकी हमले और दिल्ली दंगे का पैटर्न एक ही था. दोनों में ही एक विशेष स्थान पर पहले इसकी ट्रेनिंग ली गई थी.

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उमर खालिद (File Photo)
उमर खालिद (File Photo)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • दिल्ली पुलिस की दलील, धर्मनिरपेक्ष नहीं था आंदोलन
  • प्रशिक्षण लेकर दिया गया दंगे को अंजाम- दिल्ली पुलिस

दिल्ली पुलिस के वकील ने दिल्ली में हुए दंगों की तुलना अमेरिका में हुए सबसे खतरनाक आतंकी हमले से की है. उन्होंने कोर्ट में कहा कि जैसे अमेरिका में हुए 9/11 हमलों के पहले सभी आतंकियों को बकायदा ट्रेनिंग दी गई थी और हमले को अंजाम देने से पहले सभी अपने-अपने ठिकाने पर पहुंच गए थे. ठीक ऐसा ही दिल्ली दंगों के दौरान भी हुआ है.

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कोर्ट में शुक्रवार को JNU के पूर्व छात्र उमर खालिद की जमानत याचिका पर सुनवाई हुई. याचिका का विरोध करते हुए स्पेशल पब्लिक प्रोसिक्यूटर अमित प्रसाद ने खालिद पर साजिश के तहत बैठकें आयोजित करने और धरना स्थल की निगरानी करने का आरोप लगाया. प्रसाद ने कहा कि बाहरी तौर पर दिखावे के लिए आंदोलन को धर्मनिरपेक्ष बताया गया, जबकि आंदोलन पूर्व नियोजित और परीक्षण किया हुआ था.

प्रशिक्षण लेकर दिया दंगे को अंजाम

एडिशनल सेशन जज अमिताभ रावत ने मामले की सुनवाई की. खालिद की जमानत का विरोध करते हुए SPP अमित प्रसाद ने कहा कि अमेरिका में हुए 9/11 आतंकी हमले और दिल्ली में हुए दंगे का पैटर्न एक जैसा ही है. 9/11 हमले के पहले सभी आतंकी एक विशेष स्थान पर पहुंचे थे और बकायदा प्रशिक्षण लिया था. इसके बाद हमले से एक महीने पहले सभी अपने-अपने ठिकानों पर पहुंच गए थे. ठीक इसी तरह दिल्ली दंगों में भी हुआ है.

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चैट से मिलती है साजिश की जानकारी

पब्लिक प्रोसिक्यूटर ने आगे कहा कि यहा 9/11 आतंकी हमलों का जिक्र बेहद जरूरी है. उस हमले का मास्टमाइंड पहले कभी अमेरिका नहीं गया था. उस साजिश की बैठक मलेशिया में हुई थी. उस समय व्हाट्स ऐप चैट नहीं होते थे. लेकिन आज ऐसा नहीं है. हमारे पास दस्तावेज मौजूद हैं कि खालिद भी दिल्ली दंगों में शामिल समूह का हिस्सा था. दस्तावेजों से पता चलता है कि इसके कारण हिंसा होने की पूरी आशंका थी.

प्रदर्शनकारी चाहते थे यह अंतर्राष्ट्रीय मुद्दा बने

प्रसाद ने कोर्ट में आगे कहा कि 2020 में हुए विरोध-प्रदर्शन का मुद्दा CAA या NRC नहीं था. प्रदर्शन करने वाले सरकार को शर्मिंदा करना चाहते थे. वह चाहते थे कि यह मुद्दा अंतर्राष्ट्रीय मीडिया में सुर्खियों में आ जाए. इससे पहले हुई सुनवाई में उन्होंने कहा था कि धरना स्थलों के लिए जानबूझकर मस्जिदों के पास के स्थान का चुनाव किया गया. लेकिन फिर ही प्रदर्शन को धर्मनिरपेक्ष बताया गया. बता दें कि दिल्ली दंगों में 53 लोगों की मौत हुई थी और 700 से ज्यादा लोग घायल हुए थे. उमर खालिद और कई अन्य लोगों को अनलॉफुल एक्टिविटीज प्रिवेंशन एक्ट (UAPA) के तहत कार्रवाई की गई है.

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