ADJ Uttam Anand Death Case: धनबाद जज उत्तम आनंद हिट एंड रन मामले में सीबीआई की जांच और जांच की प्रोग्रेस रिपोर्ट से झारखंड हाई कोर्ट खुश नहीं है. मामले में चीफ जस्टिस डॉ. रवि रंजन की डबल बेंच ने सीबीआई की जांच पर सवाल उठाते हुए मौखिक टिप्पणी करते हुए कहा है कि क्या सीबीआई आरोपियों को बचा रही है?
सीबीआई के द्वारा मोबाइल चोरी को जोड़ते हुए इस घटना को अंजाम देने के मामले को कोर्ट ने सिरे से खारिज कर दिया है. खंडपीठ ने यह कहा कि नार्को टेस्ट की रिपोर्ट में आरोपियों ने स्वीकार किया है कि जिस व्यक्ति को ऑटो से टक्कर मारा गया है, वह एक जज है. जिस समय यह घटना घटी, उस समय ऑटो सवार के हाथ में मोबाइल नहीं रुमाल था.
ADJ उत्तम आनंद जब मॉर्निंग वॉक से वापस घर जा रहे थे तो पीछे से ऑटो ने उन्हें जानबूझकर टक्कर मारी थी जो सीसीटीव फुटेज में साफ दिखाई देता है. ऑटो सीधे जा रहा था फिर तिरछी तरफ जाकर उसने जज को टक्कर मारी और फिर सीधे होकर चला गया.
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सुनवाई के दौरान एडिशनल सोलिस्टर एसवी राजू ने सीबीआई की ओर से पेश सभी जांच रिपोर्ट और नार्को टेस्ट रिपोर्ट का हवाला देकर कोर्ट में दलील पेश की. इस दौरान बताया गया कि कुछ साक्ष्य कहते हैं मोबाइल चोरी के लिए हत्या की गई, जबकि कुछ साक्ष्य कहते हैं कि टक्कर मारने से पहले ऑटो चालकों को जानकारी थी कि उक्त व्यक्ति जज है.
नार्को टेस्ट में भी ऑटो चालकों ने स्वीकार किया कि वे जज को जानते थे. इस पर कोर्ट ने कहा कि सीबीआई को मामले में सही से जांच करनी चाहिए. आरोपियों को बचाने के लिए कोर्ट में सीबीआई तर्क न पेश करें. मामले की अगली सुनवाई 28 जनवरी को होगी.
पूर्व की सुनवाई में भी कोर्ट ने सीबीआई जांच से असतुंष्टि व्यक्त की थी. कोर्ट ने कहा था सीबीआई की जांच से वह संतुष्ट नहीं है. ऐसे में नार्को टेस्ट समेत सभी जांच रिपोर्ट कोर्ट में उपलब्ध करायी जाए. कोर्ट ने सीबीआई को पहले ही कहा था कि जितना अधिक समय लगेगा उतने ही अधिक तथ्य ढूंढने होंगे. इस दौरान सीबीआई ने कोर्ट को बताया था कि अब तक मामले में दो सौ से अधिक लोगों से पूछताछ की गई है.
बता दें कि 28 जुलाई की सुबह करीब 5 बजे एडीजे उत्तम आनंद मॉर्निंग वॉक पर निकले थे, तभी एक ऑटो ने उन्हें पीछे से टक्कर मार दी थी. इस घटना में एडीजे की मौके पर ही मौत हो गई थी. उधर, पूरी घटना पास में लगे सीसीटीवी में कैद हो गई थी, जिसके आधार पर मामले की जांच की जा रही है. धनबाद पुलिस ने FIR में 302 की धारा लगाई थी. SIT का गठन कर जांच भी हुआ बाद में मामले को सीबीआई को सौंप दिया गया.