मेहुल चोकसी के मामले में भारतीय एजेंसियों की एक स्पेशल टीम डोमिनिका में है. ये टीम इस बात की कोशिश कर रही है कि किसी भी तरह भगोड़े चोकसी को भारत वापस लाने की रुकावट को दूर किया जा सके. डोमिनिका में मौजूद उस विशेष टीम में सीबीआई के दो अधिकारी, प्रवर्तन निदेशालय के दो अधिकारी और सीआरपीएफ के कमांडो समेत 8 लोग हैं. वहां की हाई कोर्ट और निचली अदालत में मेहुल को लेकर सुनवाई की जा रही है. जिस पर भारतीय टीम नजर रख रही है.
इस टीम की अगुवाई सीबीआई की अधिकारी शारदा राउत कर रही हैं, जो सीबीआई में बैंकिंग फ्रॉड्स के मामले देखने वाली टीम की हेड हैं और मेहुल चोकसी से जुड़े साढ़े 13 हजार करोड़ के पीएनबी घोटाले की जांच कर रही हैं.
डोमिनिका उच्च न्यायालय का मामला:
मेहुल चोकसी ने अपनी गिरफ्तारी और 'अवैध प्रवेश' के आरोपों को चुनौती देते हुए डोमिनिका उच्च न्यायालय में एक आवेदन दायर किया. मेहुल के इस आवदेन पर 2 जून को हाई कोर्ट के जस्टिस बर्नी स्टीफेंसन ने सुनवाई की थी.
मेहुल चोकसी के वकील
चोकसी की तरफ से जाने-माने वकील पैरवी कर रहे हैं. जिनमें एंटीगुआ और डोमिनिकन के पूर्व एजी का बॉर्न जस्टिन साइमन क्यूसी, जॉन कैरिंगटन क्यूसी, कारा शिलिंगफोर्ड मार्श, जूलियन प्रीवोस्ट, वेन नॉर्ड और वेन मार्श शामिल हैं.
डोमिनिकन सरकार के वकील
सरकार की ओर से इस मामले में मेहुल के खिलाफ अटॉर्नी जनरल लेवी पीटर, लेनोक्स लॉरेंस और जोड़ी ल्यूक मुकदमा लड़ रहे हैं.
भारतीय पर्यवेक्षक टीम
भारत की ओर से आठ सदस्यीय टीम डोमिनिका में है. जिसमें सीआरपीएफ के दो कमांडो, विदेश मंत्रालय, सीबीआई और ईडी के दो-दो सदस्य शामिल हैं. इनमें से चार कोर्ट में मौजूद थे.
चोकसी के वकीलों ने बंदी प्रत्यक्षीकरण की बात करते हुए कहा कि डोमिनिकन कानूनों के अनुसार चोकसी को गिरफ्तारी के 72 घंटों के भीतर मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया जाना चाहिए था.
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हाई कोर्ट के न्यायाधीश ने सरकार को निर्देशित करते हुए कहा कि मेहुल को शाम 4 बजे से पहले निचली अदालत में पेश किया जाए और 'अवैध प्रवेश' के आरोपों को वहां पढ़ा जाए. उच्च न्यायालय ने इस मामले की सुनवाई 3 जून की सुबह 9 बजे तक (6:30 बजे आईएसटी) स्थगित कर दी.
हाई कोर्ट 'अवैध प्रवेश' मामले की सुनवाई को जारी रखेगा. लेकिन चोकसी पक्ष इसे जारी रखने पर जोर दे रहा है लेकिन जज आज फैसला सुना सकते हैं.
मजिस्ट्रेट कोर्ट (निचली अदालत) में पेशी
मेहुल चोकसी को दो जून की शाम करीब चार बजे मजिस्ट्रेट की अदालत में पेश किया गया था. मजिस्ट्रेट की मौजूदगी में उन्हें आरोप पढ़कर सुनाए गए. चोकसी ने 'दोषी नहीं' होने की दलील दी और इस आधार पर जमानत याचिका दायर कर दी. उसने अदालत से कहा कि उसका अपहरण कर लिया गया था.
अदालत में मेहुल चोकसी के वकीलों ने तर्क दिया कि देश में अवैध रूप से प्रवेश करने के आरोप में कई लोग फंसे हैं, लेकिन उन सभी को जमानत दे दी गई है. वकीलों ने ये भी कहा कि अदालत 10,000 अमरिकी डालर का जमानत बांड ले सकती है, जो अवैध प्रवेश के लिए अधिकतम जुर्माना है.
लेकिन, निचली अदालत ने उसकी जमानत याचिका इस आधार पर खारिज कर दी कि उसके भागने का जोखिम है और उसका डोमिनिका के साथ कोई संबंध भी नहीं है, इसलिए वह देश से भाग सकता है. अब इस मामले की सुनवाई के लिए अदालत ने 14 जून का दिन मुकर्रर किया है.
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3 जून 2021, डोमिनिका उच्च न्यायालय
जमानत खारिज करने के निचली अदालत के फैसले को चुनौती देने के लिए चोकसी की लीगल टीम गुरुवार को उच्च न्यायालय का रुख कर सकती है. अदालत तय करेगी कि डोमिनिका में चोकसी की मौजूदगी अवैध है या नहीं.
यह पता लग जाने के बाद कि डोमिनिकन पुलिस ने चोकसी को कानूनी रूप से या अवैध रूप से गिरफ्तार किया था, किसी भी तरह से अदालत को यह तय करना होगा कि उसे किस देश में भेजा जाना चाहिए.
अब निचली अदालत यानी मजिस्ट्रेट कोर्ट आने वाली 14 जून को उस याचिका पर सुनवाई कर फैसला देगी. जिसमें कहा गया है कि मेहुल चोकसी 'दोषी नहीं' है
अहम तथ्यः डोमिनिका और एंटीगुआ व बारबुडा सरकार ने घोषणा की है कि वे चाहते हैं कि मेहुल चोकसी को भारत वापस भेजा जाए. इस बात से भारतीय टीम के हौसले बुलंद हैं.
डोमिनिकन सरकार ने भारत सरकार की ओर से उच्च न्यायालय में एक हलफनामा प्रस्तुत किया है, जिससे साबित होता है कि मेहुल चोकसी अभी भी भारत का नागरिक है और उसने अपनी नागरिकता छोड़ने की प्रक्रिया पूरी नहीं की है. इसके अलावा, वह 11 आपराधिक आरोपों का सामना कर रहा है. डोमिनिकन सरकार ने भी अदालत को बताया है कि चोकसी के खिलाफ इंटरपोल रेड नोटिस जारी हो चुका है.
एंटीगुआ के प्रधानमंत्री ने एक पत्र में डोमिनिकन अधिकारियों से आधिकारिक तौर पर अनुरोध किया था कि मेहुल चोकसी को भारत निर्वासित किया जाए. उन्होंने कहा कि जरूरत पड़ने पर चोकसी के खिलाफ दो अदालती मामले उसकी गैर हाजिरी में भी जारी रहेंगे.
अब आगे क्या होगा?
अगर मजिस्ट्रेट कोर्ट मेहुल चोकसी को एंटीगुआ और बारबुडा वापस भेजने का फैसला करती है, तो डोमिनिकन अधिकारी इस फैसले को उच्च न्यायालय में चुनौती दे सकते हैं. इस प्रक्रिया में महीनों लग सकते हैं. अगर अदालत उसे भारत निर्वासित करने का फैसला करती है, तो कोई अपील नहीं हो सकती क्योंकि इसे एक मान्य निर्णय माना जाएगा.