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एटा की फर्जी मुठभेड़ मामले में NHRC ने दिया यूपी के DGP को नोटिस, 6 सप्ताह में मांगी रिपोर्ट

खाने के पैसे मांगने पर पुलिस द्वारा दिव्यांग ढाबा संचालक पर फर्जी मुठभेड़ कर जेल में डालने की कारवाई का मामला राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के संज्ञान में आ गया है. आयोग ने इस मामले में यूपी के डीजीपी को नोटिस देकर छह सप्ताह में जबाव मांगा है. 

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प्रतीकात्मक चित्र
प्रतीकात्मक चित्र
स्टोरी हाइलाइट्स
  • यूपी के एटा में फर्जी मुठभेड़ का मामला 
  • NHRC ने प्रमुख सचिव न्याय को भी भेजा नोटिस
  • एक दरोगा समेत 2 सिपाही हो चुके हैं सस्पेंड

एटा में ढाबा चलाने वाले एक दिव्यांग युवक पर पुलिस द्वारा की गई कार्रवाई को लेकर सवाल खड़े होने लगे हैं. इस मामले में एक दरोगा समेत 2 सिपाही सस्पेंड कर दिए गए, उनके खिलाफ केस भी दर्ज किया गया. गिरफ्तारी के लिए पुलिस दबिश दे रही है तो वहीं इस मामले को लेकर अब नेशनल नेशनल ह्यूमन राइट कमीशन (NHRC) ने उत्तर प्रदेश के डीजीपी को नोटिस दिया है. 

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छह सप्ताह में मांगी रिपोर्ट 
नेशनल ह्यूमन राइट कमीशन ने यूपी के डीजीपी को नोटिस देकर छह सप्ताह के अंदर रिपोर्ट मांगी है. इसके साथ ही आयोग ने प्रमुख सचिव न्याय को भी नोटिस भेजा है. साथ ही कहा है कि न्याय विभाग जेल में पीड़ितों की सहायता करे. बता दें कि एटा पुलिस ने ढाबा चलाने वाले दिव्यांग युवक पर फर्जी मुठभेड़ की कहानी इसलिए रची, क्योंकि उसने खाने के पैसे मांग लिए थे. इतना ही नहीं उसके साथ पुलिस ने मारपीट भी की और बाद में फर्जी मुठभेड़ कर करीब दर्जन भर लोगों को ढाबे से उठाकर जेल में डाल दिया था. 

ये है पूरा मामला 
ये पूरा मामला एटा के कोतवाली देहात थाने का है, जहां प्रवीण कुमार नाम के एक दिव्यांग युवक ने डीएम विभा चहल को पुलिस के खिलाफ एक शिकायती पत्र दिया. प्रवीण ने बताया था कि उसका ढाबा एटा से 5 किलोमीटर दूर आगरा रोड पर खुशाल गढ़ गांव के पास है. जिसे वह अपने भाई और मां के साथ मिलकर चलाता है. 4 मार्च को सिपाहियों ने उसके यहां खाना खाया. इसके बाद जब उसने सिपाहियों से पैसे मांगे, तो सिपाहियों ने ढाबे वाले से गाली-गलौज की, फिर इतने से भी मन नहीं भरा तो उसकी जमकर पिटाई की. फिर अगले दिन दरोगा के साथ भारी फोर्स के साथ होटल पर दबिश दे दी. इस दौरान ढाबे पर काम करने वालों के अलावा ग्राहकों समेत करीब 11 लोगों को पुलिस थाने उठा ले गई. जिसमें से एक व्यक्ति को एक लाख रुपये लेकर छोड़ दिया. बाकी लोगों पर फर्जी मुठभेड़ दिखाकर शराब एवं अन्य मादक पदार्थ की तस्करी का आरोप लगाते हुए जेल में डाल दिया. पुलिसवालों ने 6 तमंचे और गांजा की बरामदगी भी दिखाई. 

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एसएसपी को सौंपी गई थी जांच 
हालांकि, जब पीड़ित ने मामले की शिकायत डीएम विभा चहल से की, तो उन्होंने जांच एसएसपी को सौंप दी. जांच के बाद पुलिस की पूरी कहानी झूठी निकली. जिसके बाद आरोपी दरोगा इंद्रेश पाल सिंह को सस्‍पेंड कर द‍िया गया. सिपाहियों के खिलाफ केस दर्ज करते हुए दोनों को सस्‍पेंड कर दिया गया, दोनों अभी फरार हैं. ये तीनों थाने से शराब के गायब होने के मामले में भी आरोपी थे. वहीं ढाबे में फर्जी मुठभेड़ के मामले में सिपाही शैलेंद्र और सिपाही संतोष का नाम सामने आया है, उन्हें भी निलंबित कर दिया गया है. उनके खिलाफ जांच जारी है. 

 

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