बीते साल लखनऊ में हिस्ट्रीशीटर सुरेंद्र कालिया पर हुए जानलेवा हमले के पीछे के उद्देश्य और उसमें शामिल लोगों का यूपी पुलिस ने पर्दाफाश कर दिया है. हिस्ट्रीशीटर सुरेंद्र कालिया पर हमला किसी और ने नहीं बल्कि खुद कालिया और पूर्व विधायक अभय सिंह ने करवाया था जिसका इल्जाम पूर्व सांसद धनंजय सिंह पर लगाकर उन्हें फंसाना था.
पुलिस ने अब इस मामले में सुरेंद्र कालिया के साथ पूर्व विधायक अभय सिंह व तीन अन्य लोगों को भी साजिश रचने का आरोपी बनाया है. 48 घंटे की रिमांड पर लिए गए सुरेंद्र कालिया से पूछताछ के बाद, पुलिस ने यह कार्रवाई की है.
13 जुलाई 2020 को लखनऊ के आलमबाग थाना क्षेत्र के अजंता हॉस्पिटल में देर शाम सुरेंद्र कालिया पर जानलेवा हमला हुआ था. सुरेंद्र कालिया ने बताया है कि दो लड़कों ने ताबड़तोड़ 6 से 7 राउंड फायरिंग कीं थीं और फरार हो गए, फायरिंग में सुरेंद्र के ड्राइवर को गोली भी लगी थी, लेकिन उसकी जान बच गई. सुरेंद्र कालिया ने इस जानलेवा हमले का आरोप जौनपुर के पूर्व सांसद धनंजय सिंह पर लगाया था और आलमबाग थाने में इसकी एफआईआर दर्ज करवा दी.
पुलिस ने सुरेंद्र कालिया की उस गाड़ी का मुआयना किया तो उस पर एक दो नहीं बल्कि पूरी 17 गोलियां मारी गईं थीं, ये गोलियां भी गाड़ी के दोनों तरफ लगीं थीं. फॉरेंसिक टीम और टेक्निकल मुआयना करवाया गया तो साफ हो गया कि उसकी काली fortuner गाड़ी पर गोली तो चलीं थीं, लेकिन घटनास्थल पर नहीं और शूटरों की दिशा से भी नहीं.
पुलिस ने और पूछताछ की तो झूठ पकड़ा जाने लगा. इसके बाद सुरेंद्र कालिया ने चकमा देने के लिए खुद को कोरोना पॉजिटिव बता दिया. पुलिस को लगा कि 14 दिन तक अब घर से बाहर नहीं निकलेगा लेकिन सुरेंद्र कालिया मौका मिलते ही परिवार के साथ लखनऊ के आशियाना स्थित घर को छोड़कर फरार हो गया.
हिस्ट्रीशीटर सुरेंद्र कालिया पहुंचा लखनऊ जेल, 9 महीने पहले कोलकाता में पकड़ा गया
तत्कालीन पुलिस कमिश्नर ने कालिया पर पचास हजार का इनाम घोषित कर दिया था. सर्विलासं की मदद से तलाश की जाने लगी तो 13 अगस्त को सुरेंद्र कालिया की लोकेशन मध्य प्रदेश के सतना जिले के मैहर मंदिर के पास मिली. लखनऊ पुलिस मैहर पहुंची तो सुरेंद्र कालिया चकमा देकर निकल गया.
सितंबर 2020 में सुरेंद्र कालिया कोलकाता में अवैध पिस्टल के साथ गिरफ्तार हो गया. नाटकीय ढंग से हुई गिरफ्तारी भी सुरेंद्र कालिया का ही प्लान माना गया. सितंबर 2020 से मई 2021 तक पूरे 9 महीने में सुरेंद्र को लखनऊ लाने के लिए बार 5 वारंट दाखिल किया गया, लेकिन कभी कोरोना के नाम पर तो कभी बीमारी के नाम पर सुरेंद्र कालिया लखनऊ आने से बचता रहा.
आखिरकार लखनऊ पुलिस सुरेंद्र कालिया को 24 मई को लखनऊ ले आई, पुलिस ने सुरेंद्र कालिया से पूछताछ के लिए रिमांड की अर्जी दी. 48 घंटे की रिमांड पर सुरेंद्र कालिया से पूछताछ की गई. तो उसने साफ-साफ़ कबूल किया कि हमले की पूरी कहानी फैजाबाद से पूर्व विधायक अभय सिंह ने रची थी. अभय सिंह के कहने पर ही उसने पूर्व सांसद धनंजय सिंह का नाम लिया था. पुलिस ने इस मामले में हमले की साजिश रचने के आरोप में पूर्व विधायक अभय सिंह के साथ मुख्तार अंसारी गैंग से जुड़े तीन अन्य लोगों को भी आरोपी बनाया है.
एडिशनल डीसीपी सेंट्रल के अनुसार अब इस मामले में कॉल डिटेल, लोकेशन आदि से संबंधित पर्याप्त सबूत इकट्ठा करने के बाद पुलिस पूर्व विधायक से भी पूछताछ जरूर करेगी. (रिपोर्ट-संतोष कुमार)