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गुमशुदा पुत्र की संपत्ति बेचने के लिए पूर्व अधिकारी पिता ने ही रच दी साजिश, बनाया फर्जी बेटा

मध्य प्रदेश के खरगोन में पूर्व अधिकारी पिता ने अपने गुमशुदा बेटे की जमीन हड़पने के लिए रची साजिश. दूसरे व्यक्ति को फर्जी बेटा बनाकर लालची पिता ने लाखों की जमीन बेची.

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पुल‍िस ग‍िरफ्त में आरोपी प‍िता.
पुल‍िस ग‍िरफ्त में आरोपी प‍िता.
स्टोरी हाइलाइट्स
  • बहू ने ससुर की करतूत की उजागर, करोड़ों की जमीन हड़पने का प्रयास
  • इस वारदात के बाद इंदौर में 10 करोड़ की संपत्ति बेचने की थी तैयारी
  • पूर्व अधिकारी पिता ने ही रची थी साजिश

एमपी में जिला मुख्यालय से 80 किलोमीटर दूर पूर्व में कृषि विकास अधिकारी और सेंधवा में पूर्व जनपद पंचायत सीईओ रहे लाखन सिंह राजपूत ने अपने ही गुमशुदा बेटे की करोड़ों की जमीन हड़पने का प्रयास क‍िया. पूर्व अधिकारी पिता ने गुमशुदा बेटे की जगह दूसरे को बेटा बना कर रजिस्ट्री करा 50 लाख की जमीन बेची. इंदौर में 10 करोड़ की जमीन बेचने के पहले बहू की शिकायत पर लाखन सिंह सहित उसके पांच साथियों को पुलिस ने गिरफ्तार किया है.

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बड़वाह में मामले का खुलासा करते हुए एडिशनल एसपी जितेंद्र सिंह पंवार ने बताया 11 जुलाई 2021 को फरियादिया मनोज पति नेत्रपाल सिंह यादव निवासी शिकारपुर जिला मुरैना के द्वारा थाना बड़वाह पर लिखित शिकायत आवेदन पत्र द‍िया गया था जिसमें बताया गया कि उसके पति नेत्रपाल सिंह पिछले 6 वर्ष से लापता हैं. उनकी गुमशुदगी रिपोर्ट पुलिस थाना माता बसैया जिला मुरैना में दर्ज होकर पुलिस द्वारा उनकी तलाश की जा रही है. उसके पति नेत्रपाल सिंह के नाम की ग्राम कटघड़ा थाना बड़वाह में स्थित कृषि भूमि को कोई व्यक्ति फर्जी नेत्रपाल सिंह बनकर धोखे से हड़पना चाहता है.

इस संबंध मे रजिस्ट्रार कार्यालय बड़वाह में 23 जनवरी 21 को नेत्रपालसिंह के नाम से अरविन्द तिवारी नाम के व्यक्ति के पक्ष मे पॉवर ऑफ अटॉर्नी संपादित कराई गई जिसके आधार पर अरविंद तिवारी द्वारा दिनांक 4.8.2021 को रजिस्ट्रार कार्यालय खरगोन से राजेश वर्मा नाम के व्यक्ति को उक्त कृषि भूमि विक्रय कर रजिस्ट्री कर दी गई.

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आवेदन पत्र की जांच एवं जमा साक्ष्यों के आधार पर थाना बड़वाह में अपराध पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया. प्रकरण की गंभीरता को देखते हुए पुलिस अधीक्षक खरगोन शैलेन्द्र सिंह चौहान ने पुलिस टीम को मामले का खुलासा करने एवं आरोपियों को गिरफ्तार करने के लिए लगाया था.

6 साल से लापता बेटे का बाप ही साजिशकर्ता निकला

यह प्रकरण प्रारंभ में अत्यंत पेचीदा था क्योंकि जो व्यक्ति पिछले 6 साल से गुमशुदा था उसके आधार कार्ड, पहचान संबंधी अन्य दस्तावेज एवं जमीन के दस्तावेजों के बिना पॉवर ऑफ अटॉर्नी एवं रजिस्ट्री की प्रक्रिया संपादित कराना संभव नहीं था एवं उक्त समस्त दस्तावेज भूमि स्वामी के किसी परिजन से ही प्राप्त किये जा सकते थे. इसके अलावा उपरोक्त दस्तावेज हासिल करने के लिए गुमशुदा नेत्रपाल के उस समय के मोबाइल नंबर की सिम के बिना यह संभव नहीं था और प्रारंभिक स्तर पर इस बात की जानकारी भी पुलिस के पास नहीं थी कि इस साजिश में गुमशुदा नेत्रपाल का पिता ही मुख्य साजिशकर्ता एवं आरोपी है.

गुम बेटे की सिम के आधार पर बनवाए फर्जी दस्तावेज

पुलिस द्वारा मामले की तह में जाकर इस बात का पता लगाया गया कि वर्ष 2015 में नेत्रपालसिंह के लापता होने के बाद उसके मोबाइल नंबर की सिम बंद हो गई थी जो वर्ष 2019 में मोबाइल सिम प्रदाता कंपनी आईडिया द्वारा छत्तीसगढ़ के जिला बलरामपुर के रेवतपुर ग्राम के एक व्यक्ति को आवंटित कर दी गई थी. आरोपियों ने रेवतपुर जाकर सिम रखने वाले व्यक्ति बुधनी अयाम को नेत्रपाल के संबंध में भावनात्मक रूप डायवर्ट क‍िया और नेत्रपाल की याद में अपने पास चालू रखने जैसी बातें करके सिम को प्राप्त किया गया. उपरोक्त मोबाइल सिम का उपयोग करके ओटीपी के जरिए नेत्रपाल का नया आधार कार्ड प्राप्त किया गया एवं जमीन संबंधी डुप्लीकेट दस्तावेज पावती इत्यादि तैयार कराये गये जिसमें खर्च होने वाला पैसा लाखनसिंह द्वारा वहन किया गया.

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यूपी सहित अलग-अलग स्थानों से पकड़ा

योजनाबद्ध तरीके से आरोपियों को अलग-अलग उनके निवास स्थान इन्दौर, अकोदिया शाजापुर, मुरैना, जालोन (उत्तर प्रदेश) से पकड़कर बड़वाह लाया गया जहां पुलिस द्वारा पूछताछ करने पर सम्पूर्ण तथ्यों का खुलासा किया गया जिसके पश्चात आरोपियों को 17 अगस्त को गिरफ्तार कर 5 दिन का पुलिस रिमांड ली गई.

रिमांड के दौरान मिले फर्जी दस्तावेज

पुलिस रिमांड के दौरान आरोपियों के कब्जे से फर्जी पॉवर ऑफ अटॉर्नी, रजिस्ट्री, भूमि की डुप्लीकेट पावती, विक्रय की गई भूमि के संबंध में जारी किये गये चेक, नेत्रपाल के नाम की सिम, सिम के लिए उपयोग किया गया मोबाइल एवं आरोपियों द्वारा घटना करने में उपयोग किया गया वाहन को जब्त किया गया. प्रकरण में फर्जी पॉवर ऑफ अटॉर्नी तैयार करने में नेत्रपाल की झूठी पहचान करने में गवाही देने वाले दो अन्य आरोपियो की गिरफ्तारी शेष है.

फरियादिया का ससुर लाखनसिंह राजपूत वर्ष 1996 से 2007 तक बड़वाह ब्लॉक मे वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी के पद पर पदस्थ रहा था. इस दौरान उसने अपने पुत्र नेत्रपालसिंह के नाम पर ग्राम कटघड़ा में 1.517 हेक्टेयर कृषि भूमि खरीदी थी.  वर्ष 2015 से लाखनसिंह का पुत्र नेत्रपालसिंह गुमशुदा होने एवं अभी तक उसके संबंध मे कोई जानकारी प्राप्त नहीं होने के कारण लाखनसिंह अपने गुमशुदा पुत्र के नाम पर दर्ज उक्त कृषि भूमि को पारिवारिक अनबन होने के कारण नेत्रपाल सिंह की पत्नी व बच्चों को नहीं देना चाहता था किन्तु नेत्रपाल के आधार कार्ड एवं जमीन संबंधी दस्तावेज लाखनसिंह के पास नहीं थे. इस कारण उसके द्वारा अपने अन्य साथियों दरबारसिंह राजपूत, राजेश कुमार वर्मा, जितेन्द्र सक्सेना, अरविंद तिवारी के साथ मिलकर साजिश रची गई और बड़वाह रजिस्ट्रार कार्यालय में नेत्रपाल के स्थान पर जितेन्द्र सक्सेना को प्रस्तुत कर अरविंद तिवारी के पक्ष मे पॉवर ऑफ अटॉर्नी रजिस्टर्ड कराई गई. इस पॉवर ऑफ अटॉर्नी के आधार पर रजिस्ट्रार कार्यालय खरगोन मे उक्त जमीन की रजिस्ट्री अरविंद तिवारी द्वारा राजेश वर्मा के पक्ष मे संपादित कराई गई. इसके पश्चात आरोपी लाखनसिंह अपने पुत्र नेत्रपाल के नाम पर इन्दौर विकास प्राधिकरण का स्कीम नम्बर 136 मे स्थित 14370  वर्ग फीट का व्यावसायिक प्लॉट जिसकी वर्तमान कीमत लगभग दस करोड़ है, उसे भी अपने इन्ही साथियों के साथ इसी तरीके से विक्रय करने की साजिश रच रहा था. 

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मुख्य साजिशकर्ता लाखनसिंह का आपराधिक रिकॉर्ड

प्रकरण मे मुख्य साजिशकर्ता लाखन सिंह राजपूत वर्ष 1996 से 2007 तक बड़वाह जनपद मे वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी के पद पर एवं वर्ष 2007 से 2011 तक जनपद पंचायत सेंधवा जिला बड़वानी मे मुख्य कार्यपालन अधिकारी के पद पर पदस्थ रहा जिसके द्वारा उपरोक्त अवधि मे अवैध तरीके से अर्जित की गई. आय से अधिक संपत्ति प्राप्त करने एवं उसके द्वारा किए गए नियम विरूद्ध कार्यों के संबंध मे तत्कालीन समय से आर्थिक अपराध अन्वेषण शाखा इंदौर एवं लोकायुक्त थाना इंदौर मे प्रकरण पंजीबद्ध होकर विवेचनाधीन है.  जिला बड़वानी में अपराध क्रमांक 84/2012 धारा 409, 420, 467, 468, 34 भादवि का पंजीबद्ध होकर न्यायालय विचाराधीन है जिसमें जनपद पंचायत सेंधवा की ग्राम पंचायतों से फर्जी खाते बैंको मे खुलवाकर पांच करोड़, इक्कीस लाख, पचास हजार की शासकीय राशि का गबन किया गया था जिसमें तत्कालीन जनपद CEO लाखनसिंह सहित 49 अन्य आरोपी भी शामिल थे.

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