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मोराबी पुल हादसाः मरम्मत से जुड़े लोगों पर IPC की इन धाराओं में एक्शन, मिल सकती है इतनी सजा

गुजरात के मोरबी में हुए दर्दनाक हादसे के आरोपियों पर आईपीसी की धारा 114, 304 और 308 के तहत मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई की जा रही है. आइए जानते हैं कि क्या कहती हैं आईपीसी की ये धाराएं? और इन धाराओं के तहत क्या है सजा का प्रावधान?

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मोराबी के इस हादसे में 141 लोगों की मौत हो चुकी है
मोराबी के इस हादसे में 141 लोगों की मौत हो चुकी है

गुजरात के मोरबी में हुए दर्दनाक हादसे में 141 लोगों की मौत हो गई. इस हादसे के बाद चुनावी राज्य की सियासत भी गर्मा गई. पुलिस ने आनन-फानन में कार्रवाई करते हुए पुल की मरम्मत से जुड़े 9 लोगों को गिरफ्तार किया है. जिनमें मरम्मत करने वाली कंपनी का मैनेजर, ठेकेदार और टिकट क्लर्क भी शामिल है. आरोपियों के खिलाफ आईपीसी की धारा 114, 304 और 308 के तहत मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई की जा रही है. आइए जानते हैं कि क्या कहती हैं आईपीसी की ये धाराएं? और इन धाराओं के तहत क्या है सजा का प्रावधान?

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आईपीसी की धारा 114 (Indian Penal Code Section 114)
भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 114 (Section 114) के मुताबिक अपराध (Offence) किए जाते समय दुष्प्रेरक की उपस्थिति (Presence of an abettor) एक अपराध माना गया है और इसके लिए IPC की धारा 114 में दण्ड का प्रावधान (Provision of punishment) किया गया है. 

सजा का प्रावधान (Punishment provision)
धारा 114 के अनुसार, जब कभी कोई व्यक्ति जो अनुपस्थित होने पर दुष्प्रेरक के नाते दण्डनीय (Punishable as abettor) होता. उस समय उपस्थित हो जब वह कार्य या अपराध किया जाए जिसके लिए वह दुष्प्रेरण के परिणामस्वरूप दण्डनीय होता, तब यह समझा जाएगा कि उसने ऐसा कार्य या अपराध किया है.

आईपीसी की धारा 304 (Indian Penal Code Section 304)
जो कोई ऐसा आपराधिक मानव वध (Criminal homicide) करेगा, जो हत्या की कोटि में नहीं आता है, यदि वह कार्य जिसके द्वारा मृत्यु कारित की गई है, मृत्यु या ऐसी शारीरिक क्षति, जिससे मृत्यु होना सम्भाव्य है, कारित करने के आशय से किया जाए, तो वह इस धारा के तहत आरोपी माना जाएगा. यानी यह गैर इरादतन हत्या का मामला माना जाएगा.

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सजा का प्रावधान (Punishment provision)
ऐसे आरोपी को दोषी पाए जाने पर आजीवन कारावास (Life imprisonment) या दोनों में से किसी भांति के कारावास से से दण्डित किया जाएगा, जिसकी अवधि दस वर्ष तक की हो सकेगी. साथ ही दोषी पर जुर्माना (Fine) भी लगाया जाएगा. 

आईपीसी की धारा 308 (Indian Penal Code Section 308)
जानबूझकर ऐसा कार्य करना, जिसमें आप जानते हैं कि सामने वाले व्यक्ति को चोट लग सकती है या नुकसान पहुंच सकता है. लेकिन आपका इरादा उसको नुकसान पहुंचाने का नहीं है. पर वो घायल हो जाता है, तो यह मामला आईपीसी की धारा 308 के तहत आएगा. 

सजा का प्रावधान (Punishment provision)
इस धारा के तहत दोषी पाए जाने वाले शख्स को एक अवधि के लिए कारावास की सजा (Punished with imprisonment) हो सकती है. जिसे तीन साल तक बढ़ाया भी जा सकता है. अगर वह दोषी फिर भी ऐसा कुछ दोबारा करने की कोशिश करता है, तब ऐसे मामलों में उसकी सज़ा के तीन साल और बढ़ाए जा सकते हैं. अगर उस घायल व्यक्ति की मौत हो जाती है तो यही मामला आईपीसी की धारा 304 में तरमीम होगा. जिसमें दस साल की सजा का प्रावधान है.

क्या होती है आईपीसी (IPC)
भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) IPC भारत में यहां के किसी भी नागरिक (Citizen) द्वारा किये गये कुछ अपराधों (certain offenses) की परिभाषा (Definition) और दंड (Punishment) का प्रावधान (Provision) करती है. आपको बता दें कि यह भारत की सेना (Indian Army) पर लागू नहीं होती है. पहले आईपीसी (IPC) जम्मू एवं कश्मीर में भी लागू नहीं होती थी. लेकिन धारा 370 हटने के बाद वहां भी आईपीसी लागू हो गई. इससे पहले वहां रणबीर दंड संहिता (RPC) लागू होती थी.

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अंग्रेजों ने लागू की थी IPC
ब्रिटिश कालीन भारत (British India) के पहले कानून आयोग (law commission) की सिफारिश (Recommendation) पर आईपीसी (IPC) 1860 में अस्तित्व में आई. और इसके बाद इसे भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) के तौर पर 1862 में लागू किया गया था. मौजूदा दंड संहिता को हम सभी भारतीय दंड संहिता 1860 के नाम से जानते हैं. इसका खाका लॉर्ड मेकाले (Lord Macaulay) ने तैयार किया था. बाद में समय-समय पर इसमें कई तरह के बदलाव किए जाते रहे हैं.

 

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