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गुरुग्राम : कैंसर की दवा के नाम पर बेचा जा रहा नकली इंजेक्शन, इंटरनेशनल नेटवर्क का खुलासा 

तुर्की में बन रही कैंसर की नकली दवाओं का भारत में इंपोर्ट हो रहा है. सीएम फ्लाइंग और ड्रग विभाग द्वारा की जा रही जांच के दौरान कैंसर की नकली दवा के नेशनल और इंटरनेशनल रैकेट का खुलासा हुआ है. कैंसर की दवा के नाम पर नकली दवा के रैकेट से जुड़े काले कारोबारी लाखों करोड़ों के वारे-न्यारे कर रहे हैं.

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तुर्की से मंगवाया जा रहा था कैंसर का नकली इंजेक्शन.
तुर्की से मंगवाया जा रहा था कैंसर का नकली इंजेक्शन.

गुरुग्राम में कैंसर दवा के नाम पर नकली दवा के इंटरनेशनल नेटवर्क का खुलासा सीएम फ्लाइंग और ड्रग विभाग ने किया है. इस मामले में ड्रग कंट्रोलर अमनदीप चौहान ने कई अहम जानकारियां दीं. उन्होंने बताया कि बीती 21 अप्रैल को गुरुग्राम के आर्टिमिस अस्पताल के बाहर से कैंसर की नकली दवा के साथ पश्चिम बंगाल के रहने वाले संदीप भुई को गिरफ्तार किया गया था. 

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उसने पूछताछ के दौरान नकली दवा के रैकेट से जुड़े एक अन्य आरोपी मोतिउर रहमान अंसारी के बारे में बताया. टीम ने 28 अप्रैल को गुरुग्राम से ही उसे गिरफ्तार किया था. जांच के दौरान मोतिउर रहमान ने खुलासा किया कि उसने कनिष्क राजकुमार से कैंसर की नकली दवा के 40 इंजेक्शन खरीदे थे.

इसके बाद से लगातार सीएम फ्लाइंग और ड्रग विभाग की छापेमारी और जांच जारी थी. अब नकली दवा के इंटरनेशनल रैकेट का खुलासा किया गया है.

तुर्की से जुड़े हैं इस नकली इंजेक्शन के तार 

वहीं, इस मामले आजतक से फोन पर बातचीत में ड्रग कंट्रोलर अधिकारी अमनदीप चौहान ने बताया कि कैंसर के इस नकली इंजेक्शन के तार तुर्की से जुड़े हुए हैं. उन्होंने बताया कि भारी मात्रा में कैंसर के इस नकली इंजेक्शन डेफीब्रोटाइडका का इंपोर्ट तुर्की से भारत में किया जा रहा है. 

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निजी अस्पतालों में मरीजों को लग रहा था इंजेक्शन 

ड्रग विभाग के अधिकारी की मानें तो गुरुग्राम इंटरनेशनल मेडिकल टूरिज्म से जुड़ा है. लिहाजा, गुरुग्राम के नामी निजी अस्पतालों में यह इंजेक्शन कैंसर के मरीजों को लगाया जा रहा था. हालांकि, निजी अस्पताल के डॉक्टर्स को इस रैकेट के बारे में जानकारी थी या नहीं, यह जांच का विषय है. मगर, लाखों-करोड़ों के इस विदेशी रैकेट में और कौन-कौन शख्स शामिल हैं, इसकी जांच की जा रही है.

मानकों के आधार पर डॉक्टरों को लिखनी चाहिए दवा 

इस मामले में ड्रग का कंट्रोलर अधिकारी ने बताया कि डॉक्टर को मानकों के आधार पर ही लिखनी चाहिए. अगर किसी दवा को इंपोर्ट भी करवाना है, तो उसके लिए भी नियमों को फॉलो करते हुए दवा आयात करनी चाहिए.

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