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JM Joshi: वो भारतीय गुटखा कारोबारी, जिसने PAK में दाऊद इब्राहिम की फैक्ट्री लगवाने में मदद की... जानें कैसे हुआ पूरा खेल

मुंबई की स्पेशल कोर्ट ने भारतीय गुटखा कारोबारी जेएम जोशी को 10 साल की सजा सुनाई है. जोशी को पाकिस्तान में दाऊद इब्राहिम की गुटखा फैक्ट्री खुलवाने में मदद करने का दोषी पाया गया है. जोशी की मदद से ही दाऊद गैंग ने कराची में फायर ब्रांड गुटखा नाम से गुटखा बाजार में उतारा था.

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जेएम जोशी. (फाइल फोटो)
जेएम जोशी. (फाइल फोटो)

गुटखा कारोबारी जेएम जोशी (JM Joshi) को मुंबई की स्पेशल कोर्ट ने 10 साल की सजा सुनाई है. अदालत ने जोशी को भगोड़े गैंगस्टर दाऊद इब्राहिम (Dawood Ibrahim) की मदद करने के मामले में दोषी पाया है. जोशी की मदद से दाऊद इब्राहिम ने 2002 में कराची में एक गुटखा फैक्ट्री खोली थी. 

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इस मामले में जोशी के अलावा जमीरुद्दीन अंसारी और फारूख अंसारी को भी दोषी माना है. तीनों को 10-10 साल की सजा सुनाई गई है. इन पर पांच लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है. तीनों को मकोका और आईपीसी की धाराओं के तहत सजा सुनाई गई है.

दाऊद की मदद करने के मामले में मानिकचंद गुटखा कंपनी के मालिक रसिकलाल धारीवाल भी आरोपी थी. लेकिन 2017 में उनके निधन के बाद उन्हें इस केस से अलग कर दिया गया.

कैसे की इन्होंने दाऊद की मदद?

रसिकलाल धारीवाल और जेएम जोशी पहले साथ में ही गुटखा कारोबार करते थे. लेकिन दोनों के बीच विवाद हो गया था. बाद में जोशी ने अलग होकर गोवा गुटखा नाम से अलग कंपनी शुरू कर दी.

दोनों ने अपने बीच के विवाद को हल करने के लिए दाऊद इब्राहिम की मदद ली. इसके एवज में दाऊद ने 2002 में पाकिस्तान में भी गुटखा फैक्ट्री शुरू करने के लिए इनकी मदद मांगी.

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सीबीआई के मुताबिक, दाऊद की गुटखा कंपनी का नाम 'फायर गुटखा कंपनी' था. जेएम जोशी ने इसमें मशीनरी देने के साथ-साथ बाकी दूसरी मदद भी की थी.

कहा जाता है कि जोशी ने 2.64 लाख रुपये की पांच मशीनें दुबई के रास्ते पाकिस्तान भेजी थीं. इतना ही नहीं, एक एक्सपर्ट को भी वहां जबरन भेजा गया था जिसे कुछ समय तब जबरन यूएई में रखा गया था. ऐसा भी आरोप है कि जोशी और धारीवाल पाकिस्तान में दाऊद की फैक्ट्री के उद्घाटन में भी पहुंचे थे.

दाऊद इब्राहिम 1993 के बाद से फरार है. (फाइल फोटो- इंडिया टुडे)

कैसे हुआ था ये पूरा खेल?

'डोंगरी से दुबई तक' किताब में एक चैप्टर है 'जज दाऊद', जिसमें धारीवाल और जोशी के विवाद के पूरी कहानी बताई गई है.

किताब के मुताबिक, दाऊद के भाई अनीस की नजर गुटखे के कारोबार पर थी. इसी समय भारत में गुटखे की दुनिया के दो बड़े कारोबारी रसिकलाल धारीवाल और जेएम जोशी में पैसों को लेकर विवाद हो गया. आखिरकार 1997 में जोशी आरएमडी ग्रुप से अलग हो गया और अपनी कंपनी शुरू की.

किताब में लिखा है कि दोनों के बीच विवाद पैसों को लेकर था. जोशी का दावा था कि धारीवाल पर उसके 70 करोड़ रुपये बकाये हैं. जब अनीस ने इस विवाद के बारे में भी सुना. तभी जोशी ने दुबई में अनीस से संपर्क किया और उससे मदद मांगी. 

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बाद में अनीस ने कराची में दाऊद के साथ जोशी और धारीवाल की मीटिंग करवाई. इसमें तय हुआ कि धारीवाल 11 करोड़ रुपये देंगे. इनमें से 7 करोड़ रुपये जोशी को मिलेंगे और बाकी रकम दाऊद के पास आएगी.

बदले में दाऊद ने जोशी से कहा कि वो उसे गुटखा उत्पादन की तकनीकी जानकारी और जरूरी मशीनरी मुहैया करवाए. फिर क्या था, जोशी ने मशीनरी कराची भिजवा दी. अनीस ने फायर ब्रांड गुटखा नाम से गुटखा उतारा. 

गुटखा कारोबारी जेएम जोशी. (फाइल फोटो)

कौन हैं जेएम जोशी?

जेएम जोशी और रसिकलाल धारीवाल दोनों साथ में ही गुटखा कारोबार करते थे. बाद में जोशी ने गोवा गुटखा नाम से अपना ब्रांड उतारा.

जेएम जोशी JMJ ग्रुप के चेयरमैन हैं. JMJ ग्रुप का काम गुटखा, पान मसाला और उससे जुड़े प्रोडक्ट का है. हॉस्पिटैलिटी सेक्टर में भी काफी कारोबार है.

जोशी के बेटे सचिन जोशी एक्टर हैं. सचिन जोशी वही है जिसने गोवा में विजय माल्या का बंगला खरीदा था.

फरवरी 2021 में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने सचिन जोशी को गिरफ्तार किया था. जोशी पर 1,500 करोड़ रुपये के संदिग्ध ट्रांजेक्शन करने का आरोप था.

JMJ ग्रुप पर आईटी डिपार्टमेंट ने भी छापेमारी की थी. इस छापेमारी कई जानकारियां सामने आई थीं. छापेमारी में ब्रिटिश वर्जन आइलैंड में एक कंपनी का नाम भी सामने आया था, जिसकी नेटवर्थ 830 करोड़ रुपये थी. इस कंपनी पर जोशी का ही नियंत्रण था.

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इसके अलावा JMJ ग्रुप पर 393 करोड़ रुपये की हेराफेरी, हिमाचल प्रदेश में दो यूनिट लगाने और अन्य धोखाधड़ी करने का आरोप भी है.

(इनपुटः विद्या)

 

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