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हेट स्पीचः यति नरसिंहानंद और जितेंद्र त्यागी पर लगी हैं IPC की ये धाराएं, हो सकती है इतनी सजा

हेट स्पीच मामले में जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी के अलावा स्वामी धर्मदास, साध्वी अन्नपूर्णा, सिंधु सागर महाराज और यति नरसिंहानंद के खिलाफ हरिद्वार कोतवाली में मुकदमा दर्ज है. यति नरसिंहानंद को महिलाओं के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी करने के मामले में अरेस्ट किया गया है.

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यति नरसिंहानंद और जितेंद्र त्यागी इस वक्त हरिद्वार की जेल में बंद हैं
यति नरसिंहानंद और जितेंद्र त्यागी इस वक्त हरिद्वार की जेल में बंद हैं
स्टोरी हाइलाइट्स
  • जितेंद्र त्यागी के खिलाफ लगी हैं IPC की धारा 153 (ए), 298
  • यति नरसिंहानंद के खिलाफ आईपीसी की धारा 295 (ए), 509 दर्ज

हरिद्वार में आयोजित धर्म संसद के दौरान जहरीले बोल उगलने वाले आरोपी यति नरसिंहानंद और जितेंद्र त्यागी (वसीम रिज़वी) को उत्तराखंड़ पुलिस ने गिरफ्तारी के बाद जेल भेज दिया है. उन दोनों को हरिद्वार की रोशनाबाद जेल में रखा गया है. जितेंद्र त्यागी के खिलाफ आईपीसी की धारा 153 (ए), 298 के तहत कार्रवाई की गई है. दूसरे आरोपी यति नरसिंहानंद के खिलाफ आईपीसी की धारा 295 (ए) और 509 के तहत गिरफ्तार किया गया है. 

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हेट स्पीच मामले में जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी के अलावा स्वामी धर्मदास, साध्वी अन्नपूर्णा, सिंधु सागर महाराज और यति नरसिंहानंद के खिलाफ हरिद्वार कोतवाली में मुकदमा दर्ज है. पुलिस का कहना है कि यति नरसिंहानंद को उसके खिलाफ दर्ज तीसरे मुकदमें के चलते गिरफ्तार किया गया है. जिसमें उसने महिलाओं के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी की थी. 

पुलिस ने यति नरसिंहानंद को कोर्ट में पेश किया था, जहां से उसे 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है. आइए आपको बताते हैं कि इन दोनों धाराओं का मतलब क्या है और इनमें दोषी पाए जाने पर कितनी सजा हो सकती है.

भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 153 (ए)
अगर कोई व्यक्ति लिखित या मौखिक रूप से कोई ऐसा विवादित या आपत्तिजनक बयान देता है, जिससे साम्प्रदायिक तनाव या दंगा फैलता है या समुदायों के बीच दुश्मनी पनपती या बढ़ती है, तो ऐसा करने वाले व्यक्ति को आईपीसी की धारा 153 और 153ए के तहत दोषी माना जाएगा.

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सजा का प्रावधान
आईपीसी की धारा 153 या 153ए के तहत दोषी करार दिए गए शख्स को छह महीने से एक साल तक कारावास की सजा हो सकती है. दोषी पर आर्थिक जुर्माना भी लगाया जा सकता है. या फिर कारावास और जुर्माना दोनों से ही उसे दंडित किया जा सकता है.

भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 295 (ए)
अगर कोई व्यक्ति भारतीय समाज के किसी भी वर्ग के धर्म या धार्मिक विश्वासों का अपमान करता है या उनकी धार्मिक भावनाओं को आहत करने के इरादे से जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण कार्य करता है या इससे संबंधित वक्तव्य देता है, तो वह आईपीसी (IPC) यानी भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 295 ए के तहत दोषी माना जाएगा. 

सजा का प्रावधान
दोषी पाए गए ऐसे व्यक्ति को अधिकतम दो साल तक के लिए कारावास की सजा का प्रावधान है और उस पर आर्थिक दंड भी लगाया जा सकता है. या फिर उसे दोनों ही तरह से दण्डित किया जा सकता है. यह एक संज्ञेय अपराध है, जो गैर जमानती है. ऐसे मामलों की सुनवाई कोई भी मजिस्ट्रेट कर सकता है.

भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 298
अगर शख्स कोई किसी व्यक्ति की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के इरादे से कोई आपत्तिजनक शब्द उच्चारित करेगा या कोई ऐसी ऐसी आवाज करेगा या उसे कोई ऐसा आपत्तिजनक इशारा करेगा, या कोई ऐसी वस्तु उसके सामने रखेगा, तो वह भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 298 के अनुसार दोषी पाया जाएगा.  

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सजा का प्रावधान
ऐसे मामले में दोषी पाए जाने वाले उस व्यक्ति को किसी एक अवधि के लिए कारावास की सजा हो सकती है, जिसे एक वर्ष तक के लिए बढ़ाया जा सकता है. उस पर आर्थिक जुर्माना भी लगाया जा सकता है. या फिर उसे दोनों ही तरह से दंडित किया जा सकता है. 
 
भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 509
अगर कोई व्यक्ति किसी महिला का इज्जत उछालता है. उसका अपमान करने के इरादे से अपशब्द बोलता है, हावभाव दिखाता है या कोई भी ऐसा कार्य करता है. या यौन उत्पीड़न के इरादे से किसी महिला को परेशानी या मानसिक पीड़ा देता है. मोबाइल या इंटरनेट पर ऐसी कोई टिप्पणी, अनुरोध, सुझाव, प्रस्ताव या फिर याचना करता है, जिसका संबंध अश्लीलता, कामुकता, अभद्रता से हो तो ऐसा करने वाला व्यक्ति आईपीसी की धारा 509 के तहत दोषी माना जाएगा.

सजा का प्रावधान
IPC की धारा 509 के अनुसार दोषी को किसी एक अवधि के लिए साधारण कारावास की सजा हो सकती है. जिसे तीन वर्ष तक के लिए बढ़ाया जा सकता है. उस पर आर्थिक जुर्माना भी हो सकता है. या फिर उसे दोनों तरह से दंडित किया जा सकता है.

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