कहते हैं कानून के हाथ बहुत लंबे होते हैं. अपराधी चाहे जहां चला जाए एक ना एक दिन कानून उसे अपने शिकंजे में कस ही लेता है. ऐसा ही एक मामला हरियाणा के मेवात से सामने आया है. जहां डकौती और हत्या की वारदात को अंजाम देने वाले तीन आरोपी 33 साल बाद पुलिस के हत्थे चढ़ गए. तीनों आरोपी यूपी के बुलंदशहर जिले में नाम बदलकर रह रहे थे.
मेवात में डकैती और कत्ल का ये मामला 33 साल पुराना है. पुलिस के मुताबिक 30 अगस्त 1987 की रात मेवात के पिंगवा में स्वामीराम के घर डकैती पड़ी थी. वारदात रात तकरीबन 12 बजे से 2 बजे के बीच हुई थी. उस वक्त स्वामीराम का नाम मेवात के जाने-माने रईसों में शुमार होता था. शायद यही वजह थी कि डाकुओं ने स्वामी राम के घर को निशाना बनाया था.
जब डाकू उनके घरवालों को बंधक बनाकर लूटपाट कर रहे थे, तभी शोरगुल की आवाज सुनकर पड़ोसी जगदीश गुर्जर की नींद खुल गई थी, जगदीश गुर्जर स्वामीराम के बचाव में आए और डकैतों से भीड़ गए. तभी एक डकैत ने जगदीश की गोली मार कर हत्या कर दी थी. डकैती के बाद में सारे डकैत फरार हो गए थे. पुलिस के मुताबिक इस डकैती में 15 से 20 डाकू शामिल थे.
वारदात के दिन डकैतों ने स्वामीराम के घर से एक किलो सोना, 150 किलो चांदी और एक हजार रुपये कैश लूटे थे. वारदात के बाद पुलिस सिर्फ 2 आरोपियों को पकड़ पाई थी, जबकि अन्य डकैतों को कोर्ट ने साल 1988 में भगोड़ा घोषित कर दिया था. तभी से यह मामला पुलिस की फाइलों में दफन हो गया था.
इसी दौरान किसी मुखबिर से मेवात पुलिस को सूचना मिली कि 33 साल पहले सनसनीखेज डकैती और हत्या की वारदात को अंजाम देने वाले 3 आरोपी नाम बदलकर यूपी के बुलंदशहर में रह रहे हैं. इसी सूचना के आधार पर पुलिस ने बुलंदशहर में दबिश दी और तीनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया. जिनकी पहचान यासीन, मंजूर और बाबू के रूप हुई. आरोपियों को जरा भी उम्मीद नहीं थी कि वो कभी पकड़े भी जा सकते हैं.
पुलिस के मुताबिक तीनों से पूछताछ की गई. पूछताछ के आधार पर ही अन्य फरार आरोपियों की तलाश की जा रही है. लेकिन पुलिस को ये जानकारी भी मिली है कि उस डकैती के कई आरोपियों की मौत भी हो चुकी है.