Hathras Satsang Stampede: उत्तर प्रदेश के हाथरस में भोले बाबा उर्फ नारायण साकार हरि उर्फ सूरजपाल के सत्संग के दौरान भगदड़ और लापरवाही के मामले में मुख्य आरोपी देव प्रकाश मधुकर और नौ अन्य को शुक्रवार को कोर्ट में पेश किया गया. हालांकि देव प्रकाश मधुकर को इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश के बाद जमानत पर रिहा किया गया है. जबकि सूरजपाल का नाम इस मामले में आरोपी के तौर पर दर्ज नहीं है.
ये दर्दनाक हादसा इसी साल 2 जुलाई को हाथरस में हुआ था. जब वहां सूरजपाल का सत्संग खत्म होने के बाद भगदड़ मच गई थी. और उस दौरान 121 लोगों की मौत हो गई थी. बचाव पक्ष के वकील ए पी सिंह ने शुक्रवार को बताया कि अलीगढ़ जेल में बंद आरोपियों को चार्जशीट की कॉपी लेने के लिए हाथरस के जिला एवं सत्र न्यायालय में पेश किया गया.
ए पी सिंह ने कहा कि कॉपी पेन ड्राइव (यूएसबी) में उपलब्ध कराई जानी थी, लेकिन कुछ आरोपियों ने चार्जशीट की हार्ड कॉपी प्राप्त करने के लिए आवेदन दिया है. उन्होंने संवाददाताओं से बात करते हुए कहा कि अदालत ने मामले की अगली सुनवाई की तारीख 9 अक्टूबर तय की है और उससे पहले आरोपियों को (चार्जशीट की) कॉपी दे दी जाएगी.
ए पी सिंह के मुताबिक, मामले की अभी जांच चल रही है. उन्होंने कहा कि वे आरोप पत्र का अध्ययन करेंगे, यह 3,200 पृष्ठों का एक बड़ा आरोप पत्र है. वकील ने कहा कि मामले में 1100 हलफनामे प्रस्तुत किए गए और 500 लोगों के बयान दर्ज किए गए हैं. उन्होंने दावा किया कि प्रथम दृष्टया आरोप पत्र में अवैध संपत्तियों या किसी राजनीतिक दल से कार्यक्रम के लिए धन के बारे में कुछ भी उल्लेख नहीं किया गया है.
वकील उन्होंने कहा कि आरोपी कार्यक्रम के दौरान पानी और पार्किंग जैसी व्यवस्थाओं में लगे हुए थे. भगदड़ किसी जहरीले पदार्थ के छिड़काव के कारण हुई और यह राज्य सरकार, सनातन धर्म, नारायण साकार हरि (सूरजपाल) की छवि को धूमिल करने के प्रयास का हिस्सा था.
उन्होंने कहा कि यह किसी राजनीतिक दल की साजिश भी हो सकती है. जैसा कि हमने देखा, आरोप पत्र की प्रति आज साझा की गई लेकिन (बसपा प्रमुख) मायावती ने कल ही दावा किया कि उन्हें (सूरजपाल) बचाया जा रहा है. उन्होंने यह टिप्पणी कैसे की! शायद उन्हें जलन हो रही है.
पुलिस समेत सरकारी एजेंसियों ने कार्यक्रम में कुप्रबंधन के लिए आयोजकों को दोषी ठहराया है. अनुमति 80,000 लोगों के लिए ली गई थी, जबकि सत्संग में 2.50 लाख से अधिक भीड़ जुट गई थी. हालांकि, 'तपस्वी' के वकील ने दावा किया कि 'कुछ अज्ञात लोगों' द्वारा छिड़के गए 'जहरीले पदार्थ' के कारण भगदड़ मची थी.
आपको बता दें कि हाथरस के सिकंदराराऊ क्षेत्र के फुलराई गांव में 2 जुलाई को सूरजपाल उर्फ भोले बाबा उर्फ नारायण साकार हरि के सत्संग के बाद मची भगदड़ में कुल 121 लोगों की मौत हो गई थी, जिनमें ज्यादातर महिलाएं थीं. इस मामले में उसी दिन भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 105 (गैर इरादतन हत्या), 110 (गैर इरादतन हत्या का प्रयास), 126 (2) (गलत तरीके से रोकना), 223 (लोक सेवक द्वारा विधिवत आदेश की अवज्ञा) और 238 (साक्ष्यों को गायब करना) के तहत एफआईआर दर्ज की गई थी.
3 जुलाई को उत्तर प्रदेश सरकार ने हाथरस त्रासदी की जांच और भगदड़ के पीछे साजिश की संभावना की जांच के लिए एक सेवानिवृत्त उच्च न्यायालय के न्यायाधीश की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय न्यायिक आयोग का गठन किया था.