आयकर विभाग ने पुणे के पनवेल क्षेत्र में अग्रणी बिल्डरों और एंट्री ऑपरेटरों से जुड़े मामलों में दस दिसंबर के दिन छापेमारी की. पनवेल और वाशी क्षेत्र की अलग-अलग 29 जगहों पर आयकर विभाग द्वारा इस तरह की छापेमारी की गई है.
छापेमारी की इस कार्यवाई के दौरान आयकर विभाग को जमीन और मकानों की खरीद-फरोख्त के संबंध में कई तरह के गड़बड़ आंकड़ों का खुलासा हुआ. जिसमें बिल्डरों द्वारा फ्लैट और जमीन बेचकर कमाए गए पैसे के स्थानान्तरण से जुड़े आंकडें शामिल हैं.
बिल्डरों ने फ्लैट और जमीन बेचकर कमाए गए अकूत पैसों की एंट्री, शेल कंपनियों द्वारा लिए गए लोन से खरीदे मकानों के रूप में दिखाई. लोन देने वाली ऐसी कंपनियां जिनका वास्तव में कोई अस्तित्व ही नहीं है.
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इस तरह के फर्जी कर्ज पर 58 करोड़ रुपये की ब्याज मिलने का जिक्र भी मिला है. इसके अलावा नकली कॉन्ट्रैक्ट पर किए खर्च के लिए 10 करोड़ रुपये के फर्जी व्यय को भी आयकर विभाग की टीम ने चिन्हित किया है.
आयकर विभाग द्वारा एंट्री ऑपरेटरों से संबंधित डेटा का अभी भी विश्लेषण किया जा रहा है. तलाशी कार्रवाई के दौरान आयकर विभाग को 13.93 करोड़ रुपये नकद भी मिले, जिनका अब तक कोई स्पष्टीकरण विभाग को नहीं मिल सका है.
इस तलाशी के दौरान जब्त कुल संपत्ति करीब 163 करोड़ रुपये है, जिसमें जब्त की गई नकदी भी शामिल है. आयकर विभाग द्वारा रियल एस्टेट ग्रुप और डाटा एंट्री ऑपरेटर्स के आंकड़ों की जांच अभी भी जारी है, अनुमान लगाया जा रहा है कि आगे और भी बड़े खुलासे सामने आ सकते हैं.