राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने भारत-बांग्लादेश सीमा के जरिए से भारत में विदेशी नागरिकों की अवैध घुसपैठ और तस्करी से जुड़े एक मामले में म्यांमार के तीन नागरिकों के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया है. मुख्य आरोपी रोहिंग्या मूल के हैं.
केंद्रीय एजेंसी के हवाले से मिली जानकारी के मुताबिक, तीनों आरोपियों की पहचान रबी इस्लाम उर्फ "रबीउल इस्लाम", शफी आलम उर्फ "सोफी अलोम" उर्फ "सैयदुल इस्लाम" और मोहम्मद उस्मान के तौर पर हुई है. ये सभी आरोपी म्यांमार के माउंगडॉ जिले के स्थायी निवासी हैं.
एनआईए से पीटीआई को मिली जानकारी के अनुसार, आरोपियों ने वैध यात्रा दस्तावेजों के बिना तस्करों और दलालों की मिलीभगत से भारत में अवैध रूप से प्रवेश किया. यही नहीं, ये तीनों आरोपी अनधिकृत और अवैध सीमा मार्गों से कई अन्य विदेशी नागरिकों की घुसपैठ को सुविधाजनक बनाने में भी शामिल थे.
एनआईए के एक अधिकारी ने बताया कि ये विभिन्न अवैध गतिविधियों में शामिल तस्करों और दलालों के एक सुसंगठित नेटवर्क का हिस्सा हैं. वे बांग्लादेश में शरण लेने वाली कमजोर रोहिंग्या महिलाओं को रोहिंग्या पुरुषों से शादी के झूठे वादे पर भारत में लाने की कोशिश में भी लगे हुए थे.
एनआईए ने कहा कि ऐसी महिलाओं को उत्तर प्रदेश, राजस्थान, जम्मू-कश्मीर, तेलंगाना और हरियाणा सहित विभिन्न भारतीय राज्यों में जबरन विवाह के लिए बेच दिया जाता था. एनआईए की जांच में दस्तावेजों की जालसाजी के उदाहरण और सबूत सामने आए हैं. और इससे यह साफ पता चलता है कि रबी इस्लाम और मोहम्मद उस्मान ने धोखाधड़ी से आधार कार्ड भी हासिल कर लिए थे.
एनआईए के प्रवक्ता ने कहा कि दोनों ने इन कार्डों का इस्तेमाल कई सिम कार्ड हासिल करने और बैंक खाते खोलने के लिए भी किया था, जिससे उनकी असली पहचान छिप गई थी. विशेष अदालत में दाखिल गए आरोपपत्र के साथ एनआईए ने पिछले साल 7 नवंबर को इस मामले की जांच शुरू की थी. इसी के बाद NIA ने एक प्रमुख अंतरराष्ट्रीय मानव तस्करी रैकेट को उजागर करने और उसे खत्म करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है.