भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) की अपराध (Offence) और उनकी सजा के बारे में प्रावधान (Provision) मिलते हैं. साथ ही कोर्ट (Court), पुलिस (Police) और अन्य कानूनी एजेंसियों (Legal agencies) की कार्य प्रणाली से जुड़ी प्रक्रियाओं के बारे में भी पता चलता है. ऐसे ही आईपीसी (IPC) की धारा 109 (Section 109) उकसाने की सजा के बारे में प्रावधान बताती है. चलिए जानते हैं कि आईपीसी की धारा 109 इस बारे में क्या जानकारी देती है?
आईपीसी की धारा 109 (Indian Penal Code Section 109)
भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 109 (Section 109) में उकसाने की सजा को लेकर जानकारी (Information) दी गई है. IPC की धारा 109 के अनुसार, जो कोई किसी अपराध (Offence) का दुष्प्रेरण (Abetment) करता है, यदि दुष्प्रेरित कार्य दुष्प्रेरण के परिणामस्वरूप (Resulting) किया जाता है, और ऐसे दुष्प्रेरण के दण्ड (Punishment for abetment) के लिए इस संहिता द्वारा कोई अभिव्यक्त उपबन्ध (Express provision) नहीं किया गया है, तो वह उस दण्ड से दण्डित किया जाएगा, जो उस अपराध के लिए उपबन्धित (Provided) है.
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क्या होती है आईपीसी (IPC)
भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) IPC भारत में यहां के किसी भी नागरिक (Citizen) द्वारा किये गये कुछ अपराधों (certain offenses) की परिभाषा (Definition) और दंड (Punishment) का प्रावधान (Provision) करती है. आपको बता दें कि यह भारत की सेना (Indian Army) पर लागू नहीं होती है. पहले आईपीसी (IPC) जम्मू एवं कश्मीर में भी लागू नहीं होती थी. लेकिन धारा 370 हटने के बाद वहां भी आईपीसी लागू हो गई. इससे पहले वहां रणबीर दंड संहिता (RPC) लागू होती थी.
अंग्रेजों ने लागू की थी IPC
ब्रिटिश कालीन भारत (British India) के पहले कानून आयोग (law commission) की सिफारिश (Recommendation) पर आईपीसी (IPC) 1860 में अस्तित्व में आई. और इसके बाद इसे भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) के तौर पर 1862 में लागू किया गया था. मौजूदा दंड संहिता को हम सभी भारतीय दंड संहिता 1860 के नाम से जानते हैं. इसका खाका लॉर्ड मेकाले (Lord Macaulay) ने तैयार किया था. बाद में समय-समय पर इसमें कई तरह के बदलाव किए जाते रहे हैं.