Indian Penal Code: भारतीय दंड संहिता में अपराध (Offence) और उनकी सजा के बारे में जानकारी दर्ज हैं. साथ ही साथ आईपीसी में कोर्ट (Court), पुलिस (Police) और अन्य कानूनी एजेंसियों (Legal agencies) की कार्य प्रणाली से जुड़े प्रावधान भी मिलते हैं. इसी तरह से आईपीसी (IPC) की धारा 110 (Section 110) ऐसे शख्स की सजा के बारे में बताया गया है, जो उकसावे में आकर उकसानेवाले के मकसद से अलग काम करता है. चलिए जानते हैं कि आईपीसी की धारा 110 इस बारे में क्या जानकारी देती है?
आईपीसी की धारा 110 (Indian Penal Code Section 110)
भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 110 (Section 110) में ऐसे शख्स की सजा के बारे में प्रावधान (Provision) किया गया है, जो उकसावे में आकर उकसानेवाले के मकसद से अलग काम करता है. IPC की धारा 110 के मुताबिक कोई भी व्यक्ति किसी भी अपराध (Offence) के किए जाने का दुष्प्रेरण (Abetment) करता है, यदि दुष्प्रेरित व्यक्ति ने दुष्प्रेरक के आशय से भिन्न (Intention of the abettor) वह कार्य किया हो, तो वह उसी दण्ड से दण्डित (Punished with punishment)किया जाएगा, जो उस अपराध के लिए उपबन्धित (Provided for the offense) है, जो दुष्प्रेरक के ही आशय से न कि किसी अन्य आशय से किया जाता है.
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क्या होती है आईपीसी (IPC)
भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) IPC भारत में यहां के किसी भी नागरिक (Citizen) द्वारा किये गये कुछ अपराधों (certain offenses) की परिभाषा (Definition) और दंड (Punishment) का प्रावधान (Provision) करती है. आपको बता दें कि यह भारत की सेना (Indian Army) पर लागू नहीं होती है. पहले आईपीसी (IPC) जम्मू एवं कश्मीर में भी लागू नहीं होती थी. लेकिन धारा 370 हटने के बाद वहां भी आईपीसी लागू हो गई. इससे पहले वहां रणबीर दंड संहिता (RPC) लागू होती थी.
अंग्रेजों ने लागू की थी IPC
ब्रिटिश कालीन भारत (British India) के पहले कानून आयोग (law commission) की सिफारिश (Recommendation) पर आईपीसी (IPC) 1860 में अस्तित्व में आई. और इसके बाद इसे भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) के तौर पर 1862 में लागू किया गया था. मौजूदा दंड संहिता को हम सभी भारतीय दंड संहिता 1860 के नाम से जानते हैं. इसका खाका लॉर्ड मेकाले (Lord Macaulay) ने तैयार किया था. बाद में समय-समय पर इसमें कई तरह के बदलाव किए जाते रहे हैं.