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IPC Section 112: उकसाने वाले के लिए दंड का प्रावधान करती है IPC की धारा 112

आईपीसी (IPC) की धारा 112 (Section 112) में बताया गया कि दुष्प्रेरक जब दुष्प्रेरण और किए गए कार्य के लिए संचयी दंड का उत्तरदायी हो. चलिए जानते हैं कि आईपीसी की धारा 112 इस बारे में क्या जानकारी देती है?

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 दुष्प्रेरण के लिए संचयी दंड बताती है IPC धारा 112
दुष्प्रेरण के लिए संचयी दंड बताती है IPC धारा 112
स्टोरी हाइलाइट्स
  • दुष्प्रेरण के लिए संचयी दंड बताती है IPC धारा 112
  • अंग्रेजी शासनकाल में लागू हुई थी आईपीसी
  • अपराध और उनकी सजा का प्रावधान बताती है IPC

Indian Penal Code: भारतीय दंड संहिता में अपराध (Offence) और उसकी सजा (Punishment) के बारे में जानकारी मौजूद है. इसके अलावा आईपीसी में कोर्ट (Court), पुलिस (Police) और अन्य कानूनी एजेंसियों (Legal agencies) की कार्य प्रणाली से जुड़े प्रावधान भी दर्ज हैं. ऐसे ही आईपीसी (IPC) की धारा 112 (Section 112) में बताया गया कि दुष्प्रेरक जब दुष्प्रेरण और किए गए कार्य के लिए संचयी दंड का उत्तरदायी हो. चलिए जानते हैं कि आईपीसी की धारा 112 इस बारे में क्या जानकारी देती है?

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आईपीसी की धारा 112 (Indian Penal Code Section 112)
भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 112 (Section 112) में प्रावधान है कि दुष्प्रेरक जब दुष्प्रेरण और किए गए कार्य के लिए संचयी दंड का उत्तरदायी होता है. IPC की धारा 112 अनुसार, अगर वो कार्य जिसके लिये दुष्प्रेरक आखरी पूर्वगामी धारा के अनुसार दायित्व के अधीन है, दुष्प्रेरित कार्य के अतिरिक्त किया जाता है और वह कोई सुभिन्न अपराध गठित करता है तो दुष्प्रेरक उन अपराधों में से हर एक के लिये दण्डनीय है.
 
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क्या होती है आईपीसी (IPC)
भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) IPC भारत में यहां के किसी भी नागरिक (Citizen) द्वारा किये गये कुछ अपराधों (certain offenses) की परिभाषा (Definition) और दंड (Punishment) का प्रावधान (Provision) करती है. आपको बता दें कि यह भारत की सेना (Indian Army) पर लागू नहीं होती है. पहले आईपीसी (IPC) जम्मू एवं कश्मीर में भी लागू नहीं होती थी. लेकिन धारा 370 हटने के बाद वहां भी आईपीसी लागू हो गई. इससे पहले वहां रणबीर दंड संहिता (RPC) लागू होती थी.

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अंग्रेजों ने लागू की थी IPC
ब्रिटिश कालीन भारत (British India) के पहले कानून आयोग (law commission) की सिफारिश (Recommendation) पर आईपीसी (IPC) 1860 में अस्तित्व में आई. और इसके बाद इसे भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) के तौर पर 1862 में लागू किया गया था. मौजूदा दंड संहिता को हम सभी भारतीय दंड संहिता 1860 के नाम से जानते हैं. इसका खाका लॉर्ड मेकाले (Lord Macaulay) ने तैयार किया था. बाद में समय-समय पर इसमें कई तरह के बदलाव किए जाते रहे हैं.

 

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